चोर की दाढ़ी में तिनका मुहावरे का अर्थ और वाक्य में प्रयोग

chor ki dadhi me tinka muhavare ka arth aur vakya, चोर की दाढ़ी में तिनका मुहावरे का अर्थ और वाक्य में प्रयोग

अगर किसी चोर की दाढी होती है और उसमें कुछ तिनका फस जाता है तो यह कभी चोर की दाढी में तिनका होता है ऐसा समझना गलत होता है । ‌‌‌क्योकी इस मुहावरे का अर्थ जो होता है वह चोर से अलग होता है तो आइए जानते है की इस मुहावरे का सही अर्थ क्या है

चोर की दाढी में तिनका मुहावरे का सही अर्थ क्या होगा

‌‌‌मुहावरा ‌‌‌हिंदी में (idiom in Hindi)मतलब‌‌‌ ‌‌‌या अर्थ (Meaning in Hindi)
चोर की दाढी में तिनकाअपराधी का शंका से घिरा रहना या ‌‌‌दोषी का किसी तरह से अपना दोष प्रकट करना ।

‌‌‌चोर की दाढी में तिनका मुहावरे को समझने का प्रयास करे

एक चोर जो होता है वह हमेशा पकड़े जाने से डरता है । क्योकी उसे पता है की अगर वह पड़ा गया तो उसके साथ काफी बुरा हो सकता है । इस कारण से चोर छोटी सी भी गलती नही करना चाहता है । मगर फिर भी चोर को ऐसा लगता रहता है की उसने कुछ गलत किया होगा ।

‌‌‌चोर को ऐसा लगता है जैसे की उसके अंदर ऐसा कुछ है जो की उसके चोर होने का सकेंत दे सकता है । तो यही कारण है की वह अपने आप को सही तरह से छान बिन करता है और जब लोगो के सामने जाता है तो घबरा जाता है । जैसे की चोर की दाढ़ी होती है उसके अंदर कोई तिनका होता है तो इसका मतलब वह नही है की वही चोर है । मगर ‌‌‌उसके हाव भाव को देख कर यह पता चल जात है की यह चोर है । तो इस तरह से जो व्यक्ति अपराधी या दोषी होता है उसका किसी तरह से अपना दोष प्रकट होना होता है तो उसे चोर की दाढी में तीनका कहा जाता है ।

‌‌‌लगता है की आप अभी तक समझे नही है । मगर टेंसन न ले वाक्य में प्रयोग देखे अच्छी तरह से समझने में उपयोगी होगे

चोर की दाढ़ी में तिनका मुहावरे का अर्थ और वाक्य में प्रयोग

चोर की दाढी में तिनका मुहावरे का वाक्य में प्रयोग

‌‌‌1. वाक्य में प्रयोग बंदर (Monkey) के विचित्र व्यवाहर को देख कर सभी जानवरो को लगा की “चोर की दाढी में तिनका” और उन्होने बंदर (Monkey) को चोर समझ लिया ।

2. वाक्य में प्रयोग आतकवादियो ने मोल को हाइजैक कर लिया और उसका साथ कोई दे रहा था इस बारे में पुलिस काफी तलाश कर रही थी मगर तभी राहुल जो उसी टीम का इंस्पेक्टर था घबराने लगा और पुलिस समझ गई यही उनका साथी है क्योंकि “चोर की दाढ़ी में तिनका” ।

‌‌‌3. वाक्य में प्रयोग गाव के लोगो का काफी सारा धन चोरी हो गया और इसकी तलाश सरपंच साहब कर रहे थे तब सरपंच साहब ने कहा की जो भी चोर होगा उसके हाथ पैर काट दिए जाएगे और यह सुन कर कल्याण डर गया और चुपके से वहां से जाने लगा सरपंच साहब समझ गए की यही चोर है क्योकी चोर की दाढी में तिनका ।

‌‌‌4. वाक्य में प्रयोग खूनी को पकड़ने के लिए पुलिसअधिकारी ने कुछ मुजरीमो को पकड़ा और उन्हे बिना कुछ बताए पीटने लगा तभी कालू बोल पड़ा की मैंने खून नही किया, यह सुन कर पुलिस समझ गई की यही खूनी है क्योकी चोर की दाढी में तिनका ।

बंदर (Monkey) की चोर की दाढी में तिनका, एक मजेदार कहानी

एक जंगल में एक बंदर (Monkey) रहता था जो बहुत विचित्र व्यवहार करता था। वह लोगों को नचाने, गाने गाने और आश्चर्यजनक कूदे लगाने के लिए जाना जाता था। लोग उसे देखकर हंसते और उसके व्यवहार से हैरान हो जाते थे।

एक दिन, जंगल के अन्य जानवरों ने बंदर (Monkey) को चोरी करते हुए पकड़ा। वे उसे समझाने की कोशिश की कि चोरी करना गलत है और उससे इसे छोड़ने के लिए कहा।

लेकिन बंदर (Monkey) ने अपने विचित्र व्यवहार से उनसे मजाक किया और कहा, “मैंने कुछ नहीं चुराया है, मैं तो बस इस बड़े पेड़ के ऊपर बैठा था। यदि आप मुझे उस पेड़ के नीचे देखेंगे तो आप देखेंगे कि मेरे पास चोरी करने के लिए कुछ नहीं था।” जानवरों ने बंदर (Monkey) के कहने पर उसे छोड़ दिया और उस पेड़ के नीचे जाकर देखा तो उन्होंने देखा कि बंदर (Monkey) के पास कुछ नहीं था।

बंदर (Monkey) के विचित्र व्यवहार ने जानवरों को चौंका दिया था और वे सभी उसे अब से ज्यादा सावधानी से देखत ‌‌‌है।

अगले दिन, जंगल में एक चोरी हुई। सभी जानवरों ने सोचा कि शायद फिर से बंदर (Monkey) ने चोरी की होगी। इसलिए वे सभी बंदर (Monkey) को शक करने लगे। एक जानवर ने बंदर (Monkey) को पीछा करने का निर्णय लिया। वह बंदर (Monkey) के पीछे-पीछे चला गया और उसे देखा कि बंदर (Monkey) फिर उसी बड़े पेड़ के ऊपर बैठा हुआ है।

जब वह बंदर (Monkey) के पास पहुँचा तो बंदर (Monkey) ने उससे कहा, “मैंने फिर से कुछ नहीं चुराया है। मैं तो बस इस पेड़ के ऊपर बैठा हुआ था। आप मुझे धोखा देने वाले इस शत्रु जानवर के पास जाइए, शायद वह आपको चोरी करते हुए देख सकता है।”

जानवर ने बंदर (Monkey) के कहने पर उसे छोड़ दिया और वह उस शत्रु जानवर के पास गया। जब उसने उस जानवर के पास पहुँचा तो वह उसे चोरी करते हुए पकड़ा गया।

बंदर (Monkey) के विचित्र व्यवहार ने उसे चोरी करने से बचाया और शत्रु जानवर को पकड़ाया गया। सभी जानवर बंदर (Monkey) को उनके नामस्ते सलाम करते थे और बंदर (Monkey) ने सभी जानवरों को देखा और कहा, “मैंने कभी भी चोरी नहीं की है और मैं अपनी निष्ठा के बारे में सोचता हूँ। मैंने इस दुखद घटना के लिए खेद व्यक्त किया है कि आप मेरे खिलाफ शक करते हैं। मैं उम्मीद करता हूँ कि अब आप मेरे विश्वास को स्थापित करेंगे और मेरी सच्चाई पर विश्वास करेंगे।”

उस दिन से बंदर (Monkey) की निष्ठा पर सभी जानवर विश्वास करने लगे। वे उसे अपना साथी मानते थे और उसके साथ मिलकर रहते थे। बंदर (Monkey) ने उन्हें दिखाया कि वह एक सामान्य जानवर नहीं है, बल्कि उसमें निष्ठा और विश्वास है। उसके विचित्र व्यवहार ने सभी जानवरों को सीख दी कि हमेशा किसी के व्यवहार पर शक नहीं करना चाहिए, बल्कि हमेशा उसे समझने की कोशिश करनी चाहिए।

उस दिन के बाद से, बंदर (Monkey) के विचित्र व्यवहार का सभी जानवरों के बीच में खूब चर्चा हुआ। कुछ जानवरों ने उसे अजीब समझा, वहीं कुछ ने उसे निष्ठावान समझा। बंदर (Monkey) ने जब सबसे बोला, तो सभी उसके प्रति रुचि जताने लगे और उसके बारे में अधिक जानने की इच्छा हुई।

एक दिन, एक बाघ ने बंदर (Monkey) से पूछा, “तुम इतने अजीब क्यों हो? और तुम्हारा व्यवहार इतना विचित्र क्यों है?” बंदर (Monkey) ने जवाब दिया, “मैं अपनी अलग पहचान रखना चाहता हूँ और दूसरों से थोड़ा अलग होना चाहता हूँ। मेरा व्यवहार आम नहीं है, लेकिन मेरा दिल आपसे जुड़ा हुआ है।”

बाघ ने उसे दोबारा पूछा, “तो यह चोरी का मामला क्या था?” बंदर (Monkey) ने बताया, “मैंने उस दिन देखा था कि कुछ खाने के लिए चोरी की गई थी, लेकिन फिर मैंने उसे लौटा दिया था। मुझे पता था कि यह गलत है और मैं उससे दूर रहना चाहता था।”

बाघ ने बंदर (Monkey) से विस्तार से बातचीत की और उसे समझाने की कोशिश की कि चोरी करना गलत होता है और उसे दूसरों की सहायता से अपना खाना ढूंढना चाहिए। ‌‌‌बाघ ने बताया की चोर की दाढी में तिनका होता है और यही कारण है की बार बार वे जानवर तुम्हे पकड़ लेते है । क्योकी तुम्हारा विचित्र व्यवाहर उन्हे बताता है की तुम चोर हो । बंदर (Monkey) ने ध्यान से सुना और उसे समझाने की कोशिश की कि उसने उस दिन सच में चोरी को रोका था और उसे अपनी गलती समझ में आ गई थी।

वह दिन से बंदर (Monkey) ने एक नई शुरुआत की और उसने अपने व्यवहार में सुधार लाने का प्रयास किया। उसने सभी जानवरों के साथ मिलकर उन्हें अपने दोस्त बनाने की कोशिश की और उसका व्यवहार उन्हें खुश करने लगा।

अब बंदर (Monkey) का व्यवहार न केवल विचित्र था बल्कि उसके दोस्त बनने के कारण वह अपने आसपास के सभी जानवरों के बीच में एक लोकप्रिय व्यक्ति बन गया था। उसकी अलग पहचान अब उसकी ताकत थी और वह जानवरों के बीच बड़ा महत्वपूर्ण बन गया था। उसकी अलग पहचान उसे सबसे अलग बनाती थी, लेकिन उसका दिल सभी के साथ मिला हुआ था।

बंदर (Monkey) के व्यवहार में हुए इस बदलाव ने उसे बहुत सारे अनुभव दिए और उसने अपने दोस्तों के साथ नए रोमांचक और मनोरंजक अनुभवों को जीना शुरू किया। वह दूसरों के साथ खेलने लगा, उनसे बातें करने लगा और उन्हें अपने साथ समय बिताने के लिए आमंत्रित करने लगा। बंदर (Monkey) ने जानवरों के बीच अपनी अलग पहचान बनाई जो उसे बहुत खुश करती थी।

उस दिन से बंदर (Monkey) ने अपने व्यवहार में बहुत सुधार लाया और वह सबको दिखाना चाहता था कि उसकी गलतियां उसके दोस्तों के बीच उसे अलग नहीं करती हैं। वह चाहता था कि दूसरे उसे अपना दोस्त मानें और उससे बातें करें।

अपनी नई पहचान के साथ बंदर (Monkey) ने जानवरों के समूह का एक महत्वपूर्ण हिस्सा बना लिया था। वह दूसरों के साथ खुश था, लेकिन उसके अंदर एक चीज थी जो उसे कभी कभी उदास कर देती थी। वह अपनी गलतियों के लिए कभी-कभी खुद को दोषी मानता था और उसे लगता था कि उसने उन दिनों कुछ बुरा किया था और उसके दोस्त उसे अब भी अपने साथ खेलने के लिए थोड़ा संकोच करते थे। बंदर (Monkey) को लगता था कि उसने अपनी गलतियों के लिए कभी-कभी सजा भी भुगती है। लेकिन फिर भी वह उसे सीख देती थी और उसे नए और अधिक समझदार बनाती थी।

बंदर (Monkey) के दोस्तों को उसकी बुराई करने की आदत नहीं थी और उन्होंने उसे उसकी गलतियों से आगे बढ़ने के लिए प्रोत्साहित किया। वे उसे बताते थे कि उसकी गलतियों से कुछ सीखना चाहिए और उसे अपनी गलतियों के लिए कभी खुद को दोषी मानने की जरूरत नहीं है।

बंदर (Monkey) ने अपनी गलतियों से सीख ली थी और उसने उनसे निपटने के लिए एक नई सोच और एक नई दृष्टिकोण प्राप्त किया था। उसने जाना कि अगर वह सीखता है तो उसकी गलतियों से वह बच सकता है और दूसरों को भी सीख सकता है। बंदर (Monkey) के विचारों में एक नयी दिशा आ गई थी और वह एक नयी शुरुआत करने के लिए ‌‌‌तैयार हुआ

बंदर (Monkey) ने उस दिन से बदलाव का संकेत दिया और अब वह अपनी गलतियों से सीखता और आगे बढ़ता था। उसके दोस्त भी उसे बेहतर तरीके से समझाने लगे थे और उसे समर्थन करने लगे थे।

बंदर (Monkey) की चोर की दाढी में तिनका, एक मजेदार कहानी

बंदर (Monkey) ने उस सकेन्ट के बाद न तो चोरी की और न ही उसके दोस्तों के साथ गुस्से के संघर्ष में पड़ा। वह उन्हें समझने लगा था और अपनी समस्याओं को सही तरीके से सुलझाने की कोशिश कर रहा था। उसके दोस्त भी उसे अधिक आसानी से समझ पाने लगे थे और वे उसे अपना समर्थक मानने लगे थे। ‌‌‌अब बंदर (Monkey) को देख कर किसी को नही लगता था की बंदर (Monkey) चोर है क्योकी चोर की दाढी में तिनका होता है यह बात समझ कर बंदर (Monkey) ने अपना व्यवाहर बदल लिया ।

बंदर (Monkey) ने अपने विचारों और व्यवहार से सबक सीखा था और उसने अपने दोस्तों के साथ अधिक संवेदनशील और समझदार बनने का वचन लिया था। उसने अपनी गलतियों से सीख कर एक नयी शुरुआत की थी और अपने दोस्तों के साथ एक नए रिश्ते को बनाया था।

इस कहानी से हमें यह सीख मिलती है की अगर हमारा व्यवाहर गलत होता है तो दूसरो को हम बुरे दिखते है और इससे बचने का केवल एक ही तरीका है की हमे अपना व्यवाहर बदलना होगा ।

‌‌‌इस तरह से बंदर (Monkey) के अजीब तरह के व्यवाहर के कारण से लोगो को लगता की बंदर (Monkey) की चोर की दाढी में तिनका है ।

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