आग लगने पर कुआँ खोदना मुहावरे का अर्थ क्या होगा और एक कहानी भी बताइए

आग लगने पर कुआँ खोदना मुहावरे का अर्थ, aag lagne par kuan khodna muhavare ka arth aur vakya prayog

आपने इस मुहावरे को कई बार सुना होगा । क्योकी यह काफी प्रसिद्ध और महत्वपूर्ण मुहावरा है । वैसे इसका अर्थ जो होता है वह इसी ‌‌‌मुहावरे के अंदर छीपा रहता है । तो आइए जानते है की इस मुहावरे के अर्थ को किस तरह से समझ सकते है और वाक्य मे प्रयोग कर सकते है ।

आग लगने पर कुंवा खोदना मुहावरे का अर्थ क्या होगा

‌‌‌मुहावरा ‌‌‌हिंदी में (idiom in Hindi)मतलब‌‌‌ ‌‌‌या अर्थ (Meaning in Hindi)
आग लगने पर कुंवा खोदनाविपत्ति आने पर उसका उपाय ढूढना या विपत्ति आने पर ही समाधान तलाशना ।

आग लगने पर कुंवा खोदना मुहावरे को समझने का प्रयास करे

आग ओर कुंवा के बारे में आप अच्छी तरह से जानते है । मगर आपको यह भी तो पता है की आग जब लगती है तो उसे बुझाना भी पड़ता है और इसके लिए पानी की जरूरत होती है । मगर यह पानी कहा पर मिल सकता है । आपके घर के अंदर जो मटके में पानी है उससे तो आग बुझाई ‌‌‌नही जा सकती है । क्योकी पानी पर्याप्त नही है । अधिक मात्रा में पानी की जरूरत होती है और इतनी अधिक मात्रा में पानी केवल व केवल कुंवे के अंदर ही मिल सकता है । जिसके कारण से आस पास जो भी कुवा होता है उससे पानी लेकर आग को बुझाया जाता है ।

मगर जब आस पास किस तरह का कुवा नही होता है तो फिर आग ‌‌‌बुझ नही सकती है । मगर मुहावरा कहता है की उस समय कुवा खोदना है । इस तरह से आग एक तरह की समस्या या विपत्ति हो जाती है और जो कुंवा होता है वह समाधान हो जाता है । इस आधार पर आग लगने पर कुंवा खोदना मुहावरे का अर्थ होता है ।

आग लगने पर कुआँ खोदना मुहावरे का अर्थ क्या होगा और एक कहानी भी बताइए

आग लगने पर कुंवा खोदना मुहावरे का वाक्य में प्रयोग किजिए

‌‌‌1. वाक्य में प्रयोग राहुल का कल एग्जाम है और आज दिन भर खेल कूद रहा है मगर जब कल फैंल हो जाएगा तो आग लगने पर कूंवा खोदने की कोशिश करेगा भला ऐसा कभी होता है ।

2. वाक्य में प्रयोग पप्पूयादव चुनाव में खड़े हुए और किसी तरह का प्रचार नही किया, वोटिग शुरू हो गई तब पप्पूयादव को पता चला की वह हार कसता है तब जाकर उसने प्रचार करना शुरू ‌‌‌किया यह तो वही बात हुई आग लगने पर कुवां खोदना ।

3. वाक्य में प्रयोग अनोखाचंद ने लोगो से उधार लेकर अपना पेट भरता गया और जब लोग अपना पैसा वापस मागने लगे तो काम करने के लिए जाता है सच है आग लगने पर कुआ खोदना ।

4. वाक्य में प्रयोग सेठ जी ने पहले तो अपने बेटे को पढाया नही और अब जब व्यवसाय संभालने में समस्या आने लगी तो उसे स्कूल भेज रहा है इसे ही कहेगे आग लगने पर कुआं खोदना ।

 

आखिर कैसे ‌‌‌लंगूर ने आग लगने पर कूंवा खोदा, एक अनोखी कहानी

एक बार की बात है, एक जंगल में एक लंगूर रहता था। वह बहुत खुश और मस्तिष्क वाला था। लंगूर की जिंदगी बहुत ही सरल थी। वह जंगल के ऊपरी भाग में रहता था और जंगल के निचले हिस्से में उसे खाने की कोई कमी नहीं थी।

एक दिन, एक दुखी मुर्गा उसके पास आया और अपनी समस्या बताने लगा। मुर्गा ने कहा कि उसका एक सफेद उंगली जल गयी है और वह उसे नहीं ठीक कर पा रहा है। लंगूर ने सोचा कि कैसे मुर्गा की मदद कर सकता है।

फिर उसने एक तरकीब सोची और मुर्गा से कहा कि उसे अपनी सफेद उंगली को लंगूर के हाथ में रखनी चाहिए। तब लंगूर अपनी उंगली को एक छोटे से फांस की मदद से जला देगा। मुर्गा ने उसकी बात मानी और लंगूर ने उसकी सफेद उंगली को धीरे से जलाना शुरू कर दिया।

थोड़ी देर में, लंगूर ने उसे आग से बचा लिया। मुर्गा की समस्या का समाधान हो गया था और वह अपने रास्ते चला गया। लंगूर ने उस दिन सीखा कि समस्याओं के समाधान के लिए कुछ नए और अनोखे तरीकों को ढूंढना आवश्यक होता है।

इस घटना के बाद से, लंगूर ने अन्य जानवरों की समस्याओं का भी समाधान ढूंढने का प्रयास किया। एक दिन, उसे एक बाघ मिला जो बीमार था और उसे दवा की जरूरत थी। लंगूर ने बाघ को अपनी समस्या बताने के लिए समझाया और उसे बताया कि उसे किसी चीज की जरूरत है जो जंगल में आसानी से नहीं मिलती।

लंगूर ने सोचा कि इस समस्या का समाधान कैसे निकाला जा सकता है। फिर उसने एक नया तरीका सोचा, उसने कुछ झाड़ियों को एकत्र किया और बाघ को दवा देने के लिए उसे लेकर चल पड़ा। इस तरह, लंगूर ने बाघ की समस्या को समाधान किया और उसकी मदद की।

‌‌‌क्योकी आपको बताया की लंगुर उपरी हिस्से में रहता था जहां पर भोजन की कमी थी तो लंगूर जो था वह अपनी इस समस्या का समाधान नही तलाश रहा था । उसे यह नही लग रहा था की आखिर जब उसके पास भोजन की कमी होगी तब क्या करेगा । बल्की दूसरो की समस्या को दूर कर रहा था ।

मगर कहते है ना की एक दिन समस्या बड़ी ‌‌‌हो जाती है और उस समय समस्या का समाधान तलाशना ही होता है । तो ऐसा ही कुछ लंगुर के साथ हुआ था ।

एक दिन, लंगूर को खाने के लिए कुछ नहीं मिल रहा था। वह अपनी फरेब से भरी आँखों से आसमान की तरफ देखने लगा। उसने अपने चारों तरफ खोज कर देखा, लेकिन खाने के लिए कुछ नहीं मिल रहा था।

लंगूर को बहुत खाने की आदत थी, इसलिए वह उसी समय बहुत दुखी था। फिर उसने अपनी सोच की ताकत का उपयोग करते हुए सोचा कि वह इस समस्या को कैसे हल कर सकता है।

आखिर कैसे ‌‌‌लंगूर ने आग लगने पर कूंवा खोदा, एक अनोखी कहानी

फिर उसने एक पौधे के पास जाकर उससे सलाह मांगी कि उसे क्या करना चाहिए जो उसे भोजन की कमी को दूर करने में मदद कर सके।

‌‌‌तब पौधे ने लंगूर की समस्या सुन कर कहा की लंगूर भाई तुम तो हमेशा आग लगने पर कूंवा खोदते हो । जब तुम्हे पता था की तुम्हारे पास भोजन की कमी है तो तुम्हे पहले से ही भोजन को तलाशना चाहिए था । मगर नही अब तुम्हारे पास कुछ नही है तब तुम भोजन तलाश रहे हो । ऐसे में सभी को भोजन मिल जाए यह जरूरी नही ‌‌‌है ।

तब पौधे ने कहा की फिलहार किसी पेड़ पर भी फल नही दिखते है । कुछ ही मेरी तरह होते है जिनपर एक दो फल नजर आ जाते है । इतना कहने के बाद मे पौधे ने कहा कि वह पानी का सेवन करें, क्योंकि पानी उसे भोजन की जगह प्रदान कर सकता है।

लंगूर ने पौधे की सलाह मानी और वह पानी का सेवन करने लगा। उसने पानी के साथ थोड़ा सा फल भी खाया जो उसे दूसरे पौधों के नीचे मिला था। ‌‌‌इसके बाद में लंगूर को पता चला की उसे भोजन की कमी को दूर करने के लिए अपने पास अधिक भोजन हमेशा बनाए रखना चाहिए । इसके बाद में लंगूर अपने पास हमेशा अधिक भोजन रखने लगा और फिर से कभी भी भोजन की कमी देखने को नही मिली थी  ।

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