अपने मुँह मियाँ मिट्ठू बनना मुहावरे का अर्थ, apne muh miya mithu banna muhavare ka arth aur vakya mein prayog
अगर आप भारत में रहते हो तो आपको पता होगा की तोता जो होता है उसे प्रेम से या साधार भाषा में मिट्ठू कहा जाता हैं। तो इस मुहावरे का मतलब यह नही है की आपको इंसान से तोता बनना होगा । बल्की इसका अर्थ कुछ अलग ही है। यह एक प्रसिद्ध मुहावरा होने के कारण से सही अर्थ के बारे में जानकारी होनी भी जरूरती है तो आइए जानते है इसके अर्थ के बारे में –
अपने मुँह मियाँ मिट्ठू बनना मुहावरे का अर्थ क्या होगा
मुहावरा हिंदी में (idiom in Hindi) | मतलब या अर्थ (Meaning in Hindi) |
अपने मुँह मियाँ मिट्ठू बनना | स्वयं की बड़ाई स्वयं ही करना या स्वयं ही स्वयं की प्रशंसा करना । |
अपने मुँह मियाँ मिट्ठू बनना मुहावरे को समझने का प्रयास करे
आज के युग में अगर कोई ऐसा है जो की दूसरो की प्रशंसा करता है तो इसे लोगो के द्वारा महत्व तो दिया जाता है मगर इसे बुरा नही माना जाता है । मगर जब कोई स्वयं ही स्वयं की प्रशंसा करने लग जाता है तो इसे अपने मुंह मिया मिट्ठू बनना कहा जाता है
भविष्य के महान विद्वानो जरा इस बात पर नजर डाले की जो तोता होता है वह मिट्ठू के नाम से जाना जाता है और वह स्वयं की तारिफ स्वयं ही करता है। तो यही कारण है की अपने मुँह मियाँ मिट्ठू बनना मुहावरे का अर्थ स्वयं ही स्वयं की प्रशंसा करना होता है ।
अपने मुँह मियाँ मिट्ठू बनना मुहावरे का वाक्य में प्रयोग –
वाक्य में प्रयोग – जब किसन पुलिसअधिकारी बन गया तो वह हर किसी से अपने मुंह मियां मिट्ठू बनता रहता था ।
वाक्य में प्रयोग – जब सरीता नोकरी लग गई तो उससे अध्ययन करने के लिए टिप्स क्या माग ली वह तो अपने मुंह मियां मिट्ठू बनने लगी ।
वाक्य में प्रयोग – कलाश 6 का सुरेश कक्षा में प्रथम क्या आ गया वह पुरे गाव में अपने मुंह मिया मिट्ठू बनता फिर रहा है ।
वाक्य में प्रयोग – जब रमेश दसवी कक्षा में जीले में प्रथम रहा तो अपने ज्ञान को लेकर अपने मुंह मिया मिट्ठू बनने लगा ।
आखिर क्यो लोमड़ी अपने मुंह मिया मिट्ठू बनने लगी, एक प्रसिद्ध कहानी
एक जंगल में कई तरह की लोमड़ी रहा करती थी मगर सुनहरी लोमड़ी जंगल की सभी लोमड़ियों से सबसे अलग थी। केवल यही एक थी जो बोल सकती थी, और अमूर्त रूप से सोच भी सकती थी। अन्य लोमड़ियों को यह अजीब और असामान्य लगा, लेकिन वे सभी सुनहरी लोमड़ी की बुद्धिमत्ता के लिए उसका सम्मान करते थे।
एक दिन जंगल में एक शिकारी आया और उसने चालाक सुनहरीलोमड़ी का शिकार करने का फैसला किया। दूसरी लोमड़ियाँ डर के मारे भाग गईं, लेकिन चतुर सुनहरीलोमड़ी अपनी जगह पर खड़ी रही। और अंत में उसने शिकारी को हरा कर भेज दिया ।
लोमड़ी जंगल के अन्य जानवरों से भिन्न थी क्योंकि वह शक्तिशाली थी। लोमड़ी को जो शक्ति मिली थी, वह उसकी चालाकी और उसके पैरों पर सोचने की क्षमता से आई थी। लोमड़ी जंगल के अधिकांश अन्य जानवरों को चतुराई से मात देने में सक्षम थी, जिसने उसे बहुत शक्तिशाली बना दिया।
जब से सुनहरी लोमड़ी ने पहली बार कार्रवाई की, उसकी बहादुरी ने जंगल में अन्य सभी लोमड़ियों को प्रेरित किया। वे जानते थे कि अगर यह गिर गया तो वे जीवित नहीं रह सकते। जब सुनहरी लोमड़ी घायल हो गई, तो वे अन्य लोग थे जिन्होंने अपने जीवन को खतरे में डालकर उसे अपने पैक में वापस लाने और चिकित्सा सहायता प्राप्त करने में मदद की। इसकी बहादुरी ने उन्हें खतरे से बचने और दूसरे दिन लड़ने के लिए जीने दिया। और इसके बाद में सुनहरी लोमड़ी बाकी सभी लोमडी की हिफाजत करने लगी थी ।
एक बार एक शेर जंगल में आ गया जो खाने के लिए एक सुनहरी लोमड़ी की तलाश में था। शेर बहादुर और मजबूत था, लेकिन जब उसे लोमड़ी मिली तो उसे नहीं पता था कि क्या करना है। लोमड़ी बहुत तेज थी और शेर के हमलों को चकमा दे देती थी। शेर को गुस्सा आने लगा और वह लोमड़ी को मारना चाहता था। लेकिन फिर, लोमड़ी ने उसे दिखाया कि कैसे ठीक से शिकार करना है और शेर को वहां से भगा दिया ।
अगले दिन फिर से सुनहरी लोमड़ी का शिकार करने के लिए शेर आ गया । और सुनहरी लोमड़ी को इधर उधर ढूढने लगा । काफी समय के बाद में शेर को सुनहरी लोमड़ी दिखी तो उसे मारने के लिए हमाला किया । मगर लोमड़ीको पता चल जाने के कारण से वह बच निकली । मगर शेर ने हार नही मानी सुनहरी लोमड़ी को पकड़ने की कोशिश करता रहा ।
अंत में सुनहरी लोमड़ी ने अपनी चतुराई दिखाते हुए शेर को फिर से भागने पर मजबूर कर दिया। शेर को इधर-उधर धकेलने की आदत नहीं थी और वह बहुत क्रोधित हो गया। वह बाद में वापस आया, लेकिन इस बार उसके साथ उसका एक दोस्त था- एक बाघ। उन दोनों ने लोमड़ी का पीछा किया मगर इस बार भी लोमड़ी ने उन दोनो को हरा दिया और किसी के हाथ नही आई ।
और फिर सुनहरी लोमड़ी अपनी बाकी की लोमड़ी को जाकर इस बात के बारे में बताया । सुनहरी लोमड़ी अपनी ही तारीफ स्वयं ही कर रही थी जिसके कारण से बाकी की लोमड़ी ने कहा की यह तो अपने मुंह मिनया मिट्ठू बन रही है । मगर सुनहरी लोमड़ी इससे नाराज हो जाती है । कुछ समय बितने के बाद में वह फिर से अपनी बढाई करने लग जाती है और थकती नही है ।
सुनहरी लोमड़ी भयभीत होते हुए भी अपनी वीरता की कहानी सुनाती रही। उसने बताया कि कैसे उसने शिकारी को पछाड़ दिया और उसे अपनी मांद में वापस कर दिया। उसके साथी जानवर उसकी बहादुरी से प्रभावित हुए और उसकी कहानी के लिए उसे धन्यवाद दिया। मगर अंत में थक हार कर सभी ने कहा की क्यो अपने मुंह मिया मिट्ठू बन रही हो हमे पता है की तुम ऐसा कर सकती हो । अब बस भी करो इतना बहुत है अपनी विरता के बारे में बताना ।
तब जाकर लोमड़ी चुप रही । और इस तरह से कहानी में लोमड़ी अपने मुंह मिया मिट्ठू बन रही थी ।
इस तरह से इस कहानी के बारे में सच के रूप में कहा जाता है की सुनहरी लोमड़ी एक पौराणिक प्राणी है जिसके बारे में कहा जाता है कि उसने शेर को तीन बार हराया था। वह अपनी चालाकी, ताकत और बुद्धिमत्ता के लिए जानी जाती है। पहली बार उसने अपनी फुर्ती और चपलता से शेर को मात दी। दूसरी बार उसने अपने जाल से बचने के लिए अपनी चालाकी का इस्तेमाल करके उसे मात दे दी और तीसरी बार उसने अपनी ताकत का इस्तेमाल करते हुए उसे बुरी तरह घायल कर दिया। शेर पर उसकी जीत दर्शाती है कि दृढ़ संकल्प और साहस वाले व्यक्ति के लिए कोई भी बाधा बहुत बड़ी नहीं होती है।
हालाकी कहानी कितनी सच है यह तो केवल पूराने जमाने के जानवरो को ही पता होगा । अगर आप पता करना चाहते है तो सुनहरी लोमड़ी की तलाश शुरू कर दे ।
कैसा लगा …….. । मतलब कैसा लगा मुहावरा कमेंट में बता देना ।