एड़ी चोटी का जोर लगाना मुहावरे का अर्थ और वाक्य

edee chotee ka jor lagana muhavare ka arth, एड़ी चोटी का जोर लगाना मुहावरे का अर्थ और वाक्य

वैसे इस मुहावरे का उपयोग आपने भी जीवन में कई बार किया होगा । ओर आपको अर्थ के बारे में नही पता है तो आपको बात दे की लेख में हम अर्थ को केवल बताएगे ही नही ‌‌‌बल्की आपको अच्छी तरह से समझाएगे भी । तो आइए शुरू करते है

ऐड़ी चोटी का जोर लगाना मुहावरे का सही अर्थ क्या होता है बताइए

‌‌‌मुहावरा ‌‌‌हिंदी में (idiom in Hindi)मतलब‌‌‌ ‌‌‌या अर्थ (Meaning in Hindi)
ऐड़ी चोटी का जोर लगानाअत्यधिक परिश्रम करना ।

ऐड़ी चोटी का जोर लगाना मुहावरे के अर्थ को समझने का प्रयास करे

अगर आप अपने पूरे शरीर को देखते हो और निचे की और जाते हो जहां पर आपको पैर दिखाई देता है तो पैर का जो जोड़ होता है वह ऐढी के नाम से जाना जाता है । वही पर शरीर का सबसे उपरी भाग जो होता है वह चोटी होती है । और आपको यह बात अच्छी तरह से मालूम ‌‌‌है ।

वैसे जब हम किसी कार्य के परिश्रम करते है तो अपने पूरे शरीर का जोर लगा देते है । यानि ऐढी से लेकर चोटी तक पूरा जो शरीर होता है उसका जोर जब लग जाता है तो यह बताता है की हमने अत्यधिक परिश्रम किया है । ऐढ़ी चोटी का जोर लगाना मुहावरे का सही अर्थ अत्यधिक परिश्रम करना ही होता है ।

एड़ी चोटी का जोर लगाना मुहावरे का अर्थ और वाक्य

ऐड़ी चोटी का जोर लगाना मुहावरे का वाक्य में प्रयोग किजिए

‌‌‌1. वाक्य में प्रयोग सज्जन ने ऐढी चोटी का जोर लगा कर अध्ययन किया और उसने जीवन में जल्द ही सफलता प्राप्त कर ली ।

2. वाक्य में प्रयोग पप्पू को उसके पिता ने समझाया की अगर तुम एढी चोटी का जोर लगा कर कोई काम करोगे तो जीवन में सफल होने से तुम्हे कोई नही रोक पाएगा ।

3. वाक्य में प्रयोग पप्पू लाल आजकल गेंहू काटते हुए ऐढी चोटी का जोर लगा रहा है ।

4. वाक्य में प्रयोग एक ‌‌‌किसान को फसल तैयार करने के लिए ऐढी चोटी का जोर लगाना पड़ता है ।

5. वाक्य में प्रयोग लालूयादव का छोरा ऐढी चोटी का जोर लगा कर पढ रहा है जरूर वह इस बार जॉब लग जाएगा ।

6. वाक्य में प्रयोग व्यापार में सफल होने के लिए ऐढी चोटी का जोर लगाना पड़ता है ।

‌‌‌चींटी (ant) ने ऐढी चोटी का जोर लगाया, एक अच्छी कहानी

एक बार एक छोटी सी चींटी (ant) एक बड़ी नदी के किनारे रहती थी। वह दिनभर नदी के किनारे पर जाकर खाने की तलाश में रहती थी और रात को एक छोटे से छेद में रहती थी। ‌‌‌वह अपने जीवन को बहुत ही सरलता के साथ जीती थी और खुश रहती थी। वह नदी में नहाने जाती थी, फल और मछली खाती थी और समय बिताने के लिए नदी के किनारे बैठती थी। वह खुश और संतुष्ट जीवन जीती थी, लेकिन एक दिन उसे अचानक से एक लम्बा सफ़र करना पड़ा।

चींटी (ant) को जाने की ज़रूरत है थी क्योंकि उसे अपने खाने की तलाश में अधिक दूर जाना पड़ता था। वह नदी के पार की ओर जा रही थी जहां उसे एक बड़ा पहाड़ मिला जो उसे पार करना था।चींटी (ant) ने अपनी पूरी शक्ति लगाकर पहाड़ की ओर जाना शुरू किया। वह बहुत खुश थी क्योंकि यह उसका अगला खाने का स्थान था और उसने अपनी निर्धारित धारा में आगे बढ़ने के लिए सोच लिया था।

लेकिन चींटी (ant) जल्दी ही थक गई थी और उसे पहाड़ के चढ़ाई में ‌‌‌ऐढी चोटी का जोर लगाना पड़ रहा था। वह थक चुकी थी, लेकिन वह नहीं हारी थी। उसने एक छोटा सा टोटा खोजा और उसे धारा में भर दिया।

चींटी (ant) ने धारा में भरा हुआ टोटा अपने साथ लेकर पहाड़ चढ़ना जारी रखा। वह धीरे-धीरे पहाड़ के चढ़ाई पर उठती जा रही थी, जबकि दूसरे संचारी जानवर वहाँ से आसानी से गुजर जाते थे।चींटी (ant) जल्द ही थक जाती थी, लेकिन वह अपने मन में ताकत और निरंतरता से सब्र रखती थी। उसने अपने संचारी जानवरों से अलग नहीं होने के बारे में सोचा था, जो आसानी से पहाड़ को चढ़ सकते थे।

चींटी (ant) को पहाड़ चढ़ते हुए कई घंटे लगे, लेकिन वह निरंतर जारी रखी। अंत में वह उस स्थान तक पहुँची जहाँ उसे अपना खाने का स्थान मिला। चींटी (ant) खुश थी क्योंकि उसने अपनी मेहनत और निरंतरता से अपना लक्ष्य हासिल कर लिया था।

चींटी (ant) ने पहाड़ के ऊपर खुशी से उछलते हुए देखा और फिर अपने टोटे को उठाकर खाने की तलाश में निकल गई। वह पहाड़ के ऊपर उच्चतम स्थान पर थी, इसलिए वहाँ बहुत कम खाने के विकल्प थे। उसने खोज की लेकिन वह निराश हो गई क्योंकि उसे कुछ नहीं मिला।

चींटी (ant) ने खुद को डिस्करेज करते हुए अपने टोटे के साथ पहाड़ से उतरने के लिए तैयार होने लगी। लेकिन उसे अचानक एक दाखमधुमकी दिखाई दी, जो पहाड़ के चढ़ाई से उतरते हुए जा रही थी।

चींटी (ant) ने उसे पीछा करना शुरू कर दिया और उसे एक छोटे से गुफा में जाते देखा। गुफा में एक भूरे रंग के स्वादिष्ट फल मिला, जो चींटी (ant) ने उठाकर खाया। फल बहुत ही स्वादिष्ट था और चींटी (ant) ने अपने टोटे के साथ उसे खूब खाया।

चींटी (ant) ने देखा कि उसके चारों ओर बहुत सारी फसलें थीं जिनमें से उसने कुछ सब्जियां चुनीं और उन्हें खाने लगी। उसने फसलों में घूमते हुए और खाने के लिए नए तरीकों की खोज करते हुए कई दिनों तक बीताए।

चींटी (ant) के लिए, फसलों में भोजन का स्रोत ढूंढना नए और मजेदार खोज का सफर था। उसके पास कम से कम खाने के विकल्प नहीं थे, इसलिए उसने अपनी खोज जारी रखी और अंततः उसे बहुत सारी सब्जियों, फलों और अन्य खाद्य पदार्थों का ज्ञान हो गया।

‌‌‌चींटी (ant) ने ऐढी चोटी का जोर लगाया, एक अच्छी कहानी

चींटी (ant) की ‌‌‌ऐढी चोटी का जोर लगा कर ‌‌‌अपने लिए भोजन और फसल की खोज की और वहां पर उसने खोजी गई फसलें उसे एक नई शिक्षा दीं कि अगर वह धैर्य से खोज करती रहती है तो वह सफलता प्राप्त कर सकती है। वह अब अपने जीवन में बहुत समृद्ध हो गई थी और उसे खाने की कोई कमी नहीं थी।

इस कहानी से हमें यह सीख मिलती है कि धैर्य, ‌‌‌ऐढी चोटी का जोर लगा कर और विवेक से हम किसी भी चुनौती का सामना कर सकते हैं और सफलता हासिल कर सकते हैं।

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