लोहा मानना मुहावरे का अर्थ, loha manna muhavare ka arth aur vakya mein prayog
आपको पता होगा की लोहा एक तरह की ठोस वस्तु होती है जिसका उपयोग कई तरह से किया जाता है । मगर क्या आपको पता है की लोहा मानना भी एक लोहे से जुड़ा मुहावरा है । हालाकी इसका अर्थ क्या है यह प्रशन आपके मन के अंदर अभी है । तो आपको बता दे की इस लेख में आपको अच्छी तरह से समझा देगे पहले जरा खुश हो जाए और शांत दिमाग से पढे –
लोहा मानना मुहावरे का अर्थ क्या होता है
मुहावरा हिंदी में (idiom in Hindi) | मतलब या अर्थ (Meaning in Hindi) |
लोहा मानना | श्रेष्ठता स्वीकार करना या शक्तिशाली समझना । |
लोहा मानना मुहावरे को समझने का प्रयास करे –
लोहा कठिन और मजबूत होता है, जो इसे औजारों और हथियारों के लिए आदर्श बनाता है। इसमें एक उच्च गलनांक भी होता है, इसलिए इसका उपयोग ऐसी मिश्रधातु बनाने के लिए किया जा सकता है जो मजबूत और टिकाऊ दोनों हों। तो इस तरह से लोहा बहुत ही शक्तिशाली और श्रेष्ठ धातु है। और यही कारण है की जब श्रेष्ठता स्वीकार करने या शक्तिशाली समझने की बात होती है तो इसे लोहा होना कहा जाता है ।
श्रेष्ठता को स्वीकार करने वालों में कुछ तो खास होता है। उन्हें अपनी क्षमताओं की स्पष्ट समझ होती है और वे जानते हैं कि अपने लाभ के लिए उनका उपयोग कैसे करना है। वे ऐसे वातावरण में फलते-फूलते हैं जहां उन्हें उनकी उपलब्धियों का श्रेय दिया जाता है और जानते हैं कि कब पीछे हटना है। श्रेष्ठता को स्वीकार करना आसान नहीं है, लेकिन सफलता के लिए यह आवश्यक है। अत स्वयं को स्वयं की श्रेष्ठता स्वीकार करना चाहिए ।
लोहा मानना मुहावरे का वाक्य में प्रयोग –
वाक्य में प्रयोग – पवनपुत्र ने राम रावण के युद्ध में कई राक्षसो का अंत किया और यही कारण था की उन्हे अच्छे अच्छे विद्वान लोहा मानते है ।
वाक्य में प्रयोग – झांसी की रानी नाम ही काफी है क्योकी सभी उन्हे आज भी लोहा मानते है ।
वाक्य में प्रयोग – जब भगवान लक्ष्मण ने राक्षसो का वध करना शुरू किया तो देखने वाले उल्हे लोहा मानने लगे ।
वाक्य में प्रयोग – भगवान कृष्ण जी के प्रवचनो को सुन कर अर्जुन ने उन्हे लोहा माना ।
आखिर क्यो जानवरो ने लोमड़ी को लोहा माना, एक प्रसिद्ध भारतिय कहानी
जंगल में रहने वाले जानवरो में से लोमड़ी भी एक होती है । लोमड़ी के चतुर व्यवहार के कारण बहुत से लोग उसे जानते हैं। उदाहरण के लिए, लोमड़ियों को जटिल समस्याओं को हल करने और अन्य जानवरों को मात देने की उनकी क्षमता के लिए जाना जाता है। नतीजतन, लोमड़ियों को अक्सर स्मार्ट प्राणी माना जाता है। और इसी तरह से इस लोमड़ी को समझदा और चालाक माना जाता था ।
लोमड़ी अपने जीवन में खेलती कुदती रहती थी और जंगल से अंगूर खाती थी । और इस तरह से लोमड़ी जंगल में अपना जीवन बिता रही थी । लोमड़ी को अंगूर बहुत पसंद थे। लोमड़ियों को उनकी चालाकी और कुशलता के लिए जाना जाता है, इसलिए इसमें कोई आश्चर्य की बात नहीं थी कि इस विशेष लोमड़ी को अंगूर खाने में मज़ा आया। अंगूर चीनी का एक प्राकृतिक स्रोत है, जिसकी आवश्यकता लोमड़ी को अपने आहार के कारण होती है। हालाँकि अंगूर मीठे हो सकते हैं, कुछ लोग इन फलों के तीखेपन का आनंद लेते हैं। और लोमड़ी भी अंगूर इसी कारण से खाती थी क्योकी उसे खाने में मजा आता था ।
लोमड़ी सभी जंगली जानवरों की मदद करती थी। वह उनके लिए भोजन लाता और उन्हें खतरे से आगाह करता। लेकिन एक दिन लोमड़ी को सताया गया मगर लोमड़ी ने इसका जरा सा बुरा नही माना और सभी के साथ उसी तरह से रहती आई ।
एक दिन लोमड़ी और खरगोश अंगूर खाने के लिए गए, लोमड़ी और खरगोश अंगूर खाकर बहुत मजे कर रहे थे। उन्होंने शेर को तब तक नहीं देखा जब तक वह उनके ठीक बगल में नहीं था। शेर ने कहा, “अरे रुक जाओ! मुझे भी कुछ अंगूर चाहिए!” लोमड़ी और खरगोश ने सोचा कि यह हास्यास्पद है कि शेर उनके साथ अंगूर खाना चाहता है।
शेर ने खरगोश पर हमला कर दिया । शेर एक ताकतवर जानवर है और ऐसा लगता है कि वह खरगोश को मारना चाहता है। खरगोश भागने की कोशिश करता है, लेकिन शेर उसे पकड़ लेता है। लोमड़ी देखती है कि क्या हो रहा है। लोमड़ी शेर पर हमला करती है और खरगोश को बचा लेती है।
शेर लोमड़ी का पीछा करने लगता है। खरगोश एक छेद में चला जाता है। शेर खरगोश के पीछे बिल में जाता है। खरगोश एक गहरे गड्ढे में गिर जाता है और शेर उसमें फंस जाता है। मगर फिर शेर वहां से निकल जाता है और लोमड़ी और खरगोश का पीछा करता है ।
लोमड़ी दौड़ते-दौड़ते और चढ़ते-चढ़ते थक गई थी, लेकिन वह भी शेर से खरगोश को बचाने की ठान चुकी थी। उसने रेत में शेर की पटरियाँ देखी थीं और जानता था कि वह कहाँ जा रहा है। लोमड़ी ने अंगूर के पेड़ को आगे देखा और वह जानती थी कि यह खरगोश के लिए सबसे सुरक्षित जगह है। वह तेजी से पेड़ पर चढ़ गया और उसकी पत्तियों के पीछे छिप गया। जब शेर आया तो उसे न तो खरगोश और न ही लोमड़ी दिखाई दी।
मगर कुछ समय के बाद में शेर को लोमड़ी और खरगोश पेड़ पर दिखे तो शेर भी पेड़ पर चढ गया ।और यह देख कर लोमड़ी और खरगोश अंगूर के पेड़ के सबसे उंचे भाग पर चले गए । मगर वहां पर भी शेर आ गया । तब मोका पाते ही लोमड़ी ने शेर को धक्का दे दिया और वह अंगूर के पेड़ से निचे गिर गया । हालाकी शेर काफी घायल हुआ मगर वह मरा नही । तब शेर ने लोमड़ी को लोहा मान लिया और सोचा की वह खरगोश को उसे खाने नही देगी । क्योकी शेर अंगूर के पेड़ से निचे गिर गया था तो वह घायल हो गया था । जिसके कारण से शेर निराश होकर वहां से चला गया ।
काफी समय बित जाने पर लोमड़ी और खरगोश जमीन पर आते है ओर जल्दी से अपने निवास स्थान पर आ जाते है । तब खरगोश यह सारी बाते पूरे जानवरो को बताता है और यह सुन कर जानवर लोमड़ी को लोहा मानते है और उससे दोस्ती कर लेते है ।
अब लोमड़ी ओर बाकी जानवर सभी एक साथ खुश खुश रहने लगे थे ।
तो इस तरह से लोमड़ी को लोहा माना गया था ।