आपे से बाहर होना मुहावरे का अर्थ और वाक्य प्रयोग

आपे से बाहर होना मुहावरे का अर्थ और वाक्य प्रयोग, aape se bahar hona muhavare ka arth aur vakya mein prayog

वैसे आज के समय में जो नियमित मुहावरो का अध्ययन कर रहे है उनको यह पता जरूर होगा की यह एक प्रसिद्ध मुहावरा है और यह कई बार एग्जामो में पूछा‌‌‌गया है । और विशेषरूप से इसके अर्थ के बारे में ही पूछा जाता है । तो हम केवल इस लेख में अर्थ ही नही जानेगे बल्की वाक्य में प्रयोग भी करेगे तो आइए शुरू करते है –

आपे से बाहर होना मुहावरे का अर्थ क्या होगा

‌‌‌मुहावरा ‌‌‌हिंदी में (idiom in Hindi)मतलब‌‌‌ ‌‌‌या अर्थ (Meaning in Hindi)
आपे से बाहर होनाअत्यधिक क्रोधित होना ‌‌‌या  अपने आप पर नियंत्रण न रहना ।

आपे से बाहर होना मुहावरे को समझने का प्रयास करना

जब आपका स्वयं पर नियत्रण होता है तो इसे कहा जाता है की आप अपने आपे के अंदर हो । मगर जब आप नियत्रण खो देते हो तो यह आपे से बहार होना होता है । क्योकी स्वयं से नियत्रण केवल क्रोधित होने की स्थिति में ही नही रहता है और वह भी काफी अधिक क्रोधित ‌‌‌होने पर । इस आधार पर दोस्तो आपे से बहार होना मुहावरे का अर्थ अत्यधिक क्रोधित होना होता है या फिर अपने आप पर नियंत्रण न रहना होता है ।

आपे से बाहर होना मुहावरे का अर्थ और वाक्य प्रयोग

आपे से बाहर होना मुहावरे का वाक्य में प्रयोग

‌‌‌1. वाक्य में प्रयोग हनुमाना राम अभी काफी वृद्ध हो चुका है मगर आपे से बहार अभी भी हो जाता है ।

2. वाक्य में प्रयोग जब राहुल को उसकी मन पसंद सब्जी नही मिली तो वह आपे से बहार हो गया ।

3. वाक्य में प्रयोग जब रिया को उसकी सहेली समझाने लगी तो वह बेवजह आपे से बहार हो गई ।

4. वाक्य में प्रयोग चिंटू अभी 8 वर्ष का हुआ है और जरा सा सुनाने पर आपे से बहार हो जाता है यह सही नही है।

‌‌‌5. वाक्य में प्रयोग चिंटू के इतनी छोटी उम्र में आपे से बहार होना सही नही है ओर यह सोच कर उसकी मांता ने उसके स्वभाव को बदलने की कोशिश की  ।

6. वाक्य में प्रयोग जब अध्यापक ने बच्चो को सही उत्तर न देने पर जरा सा सुना दिया तो बच्चे आपे से बहार हो गए ।

7. वाक्य में प्रयोग संतोष को कोई भी अध्यापक कुछ नही कहता है क्योकी सभी को पता है की जरा सा सुन कर ‌‌‌यह आपे से बहार हो जाएगी ।

‌‌‌शेर ‌‌‌ने सभी जानवरो को आपे से बहार न होने को कहा, एक अनोखी और मजेदार कहानी

एक बार एक शेर जंगल में रहता था। वह अपने जंगल का राजा माना जाता था। उसे जंगल के अन्य सभी जानवरों का डर नहीं था और वह हमेशा उन्हें दबा कर रखता था।

एक दिन, शेर की आंखों के सामने एक मुर्गा दिखाई दिया। शेर ने मुर्गे को पकड़ कर उसे खा लिया। मुर्गे का मालिक, एक शिकारी, बहुत दुखी हो गया और उसने शेर को डांटते हुए कहा, “तुमने मेरे मुर्गे को मार डाला! अब मैं तुम्हें जंगल के राजा होने का दावा नहीं करने दूंगा।”

शेर ‌‌‌आपे से बहार हो गया। उसे यह नहीं पसंद था कि कोई उसे धमकाए। उसने शिकारी के पीछे भागना शुरू किया और उसे पकड़ने के लिए बहुत सारे शेर भेज दिए। शिकारी को भागते-भागते भागते शेरों ने अंत में पकड़ लिया और उसे मार डाला।इस घटना से शेर ने सीखा कि क्रोध कभी भी उचित नहीं होता। अपने अहंकार में खोए रहने से केवल आपका ही नुकसान होता है।

शेर ने जंगल के अन्य जानवरों के साथ अब अधिक सहयोग और सदभाव का महत्व समझना शुरू कर दिया। वह दूसरों के भावनाओं का सम्मान करना सीख गया और अब उसे जंगल में सभी जानवरों का सम्मान मिलने लगा।

शेर ने अपनी बुराई को छोड़ दिया और दूसरों की ताकत और योग्यता को स्वीकार करना शुरू किया। उसने अब से जंगल के अन्य जानवरों को भी शामिल करते हुए संयुक्त रूप से जंगल के समस्याओं का समाधान करने के लिए काम करना शुरू किया।

शेर ने अपने अधिकार और जंगल के राजा होने के दावे को छोड़ दिया और उसने जंगल के अन्य जानवरों के साथ मिलकर जंगल की रक्षा करना शुरू कर दिया। उस दिन से शेर ने जंगल में एक सच्चे और न्यायप्रिय राजा की तरह काम करना शुरू कर दिया था। वह अब अपने जंगल के सभी निवासियों का सम्मान करता था और जंगल के लिए अपने जीवन का समर्पण करता था।

कुछ समय बाद, शेर को अपने नए स्वभाव के लिए बधाई मिलती हुई दिखाई देने लगी। जंगल के अन्य जानवर उसे अपना नया राजा मानने लगे थे और उसे बहुत सम्मान दिखाते थे। शेर का नया स्वभाव उसे न केवल उसके दोस्तों का सम्मान जीतने में मदद करता था, बल्कि उसे जंगल की रक्षा करने में भी बेहतर होने की क्षमता देता था।

एक दिन, शेर के जंगल में एक दलित शिकारी आ गया। शिकारी का मकसद था शेर को मारना और उसके चमड़े और बाजुओं को बेचकर धन कमाना। शेर ने शिकारी को देखा और जाना कि उसका जीवन खतरे में है। शेर ने जल्दी से संगठित होकर उस शिकारी को धर्मसंतान के हाथों में सौंप दिया। इससे शिकारी की जान बच गई और उसे इस घटना के बाद सीधे रास्ते जाने का फैसला कर लेना पड़ा।

शेर के नए स्वभाव का प्रभाव जंगल के सभी जानवरों पर पड़ा था। सभी जानवर अब शेर के साथ रहना चाहते थे और उसे सम्मान देने लगे थे। शेर ने उन सभी जानवरों के साथ एक बड़ा समूह बनाया और उन्हें अपने राज्य के संरक्षण में मदद करने के लिए आह्वान दिया।

शेर का नया स्वभाव उसे जंगल के सारे निवासियों के बीच नया सम्मान लाया था। समूह में शामिल होने से पहले बहुत से जानवर शेर को नफरत करते थे, लेकिन अब उन्होंने शेर की नैतिकता और उसकी ताकत को समझा था।

शेर ने उन सभी जानवरों को अपने राज्य के संरक्षण में शामिल करके उन्हें सम्मान दिखाया। उसने जंगल के विभिन्न हिस्सों में सुरक्षा के लिए पहियों का निर्माण करवाया और सभी जानवरों को इस नए संगठन का हिस्सा बनने के लिए आह्वान दिया। इससे शेर के संगठन में बहुत से जानवर शामिल हो गए और जंगल के रक्षा कार्य में मदद करने लगे।

शेर के संगठन में शामिल होने से जंगल के सभी जानवर सुरक्षित महसूस करने लगे थे। अब उन्हें कोई भी खतरा नहीं होता था और उन्हें शेर के संगठन की मदद से उनकी समस्याओं का समाधान भी मिलता था।

शेर ने अपने संगठन के सदस्यों के लिए एक खास ट्रेनिंग कार्यक्रम शुरू किया, जिसमें उन्हें जंगल में खतरनाक स्थितियों से कैसे निपटना है या जंगल के संरक्षण के लिए कैसे योगदान देना है आदि के बारे में सिखाया जाता था। इससे संगठन के सदस्यों का निर्भीक और सक्रिय होने लगा और वे जंगल की रक्षा के लिए अपनी समझदारी और सामर्थ्य का इस्तेमाल करने लगे।

शेर अब जंगल में बदलाव लाने में सक्षम हुआ था और उसके संगठन ने जंगल की सुरक्षा के लिए काफी मदद की थी। उसने अब एक नए स्तर पर उठकर, उन सभी जानवरों का सम्मान प्राप्त करने में सक्षम हुआ था, जिन्होंने पहले उससे नफरत की थी।

शेर ने दिखाया कि नए स्वभाव को अपनाना संभव है और उसके संगठन ने जंगल के सभी जानवरों के लिए एक मंच तैयार किया था, जिसमें वे अपनी समस्याओं और समाधान के बारे में बात कर सकते थे। इसमें जंगल के सभी जानवर शामिल होते थे और शेर उन सभी की मदद करता था। यह मंच जंगल के संरक्षण के लिए एक महत्वपूर्ण उपकरण बन गया था।

आपे से बाहर होना मुहावरे का अर्थ और वाक्य प्रयोग

‌‌‌शेर ने अब सभी को शिक्षा दी की वह आपे से बहार होना कैसे रोक सकते है ओर सभी जानवर इसमें सफल भी हो गए थे । और धिरे धिरे कोई अपने अपने आपे से बहार नही होता था ।

शेर के संगठन के लोग अब जंगल में न सिर्फ अपने संगठन के सदस्यों के लिए, बल्कि जंगल के सभी जानवरों के लिए भी उपयोगी बन गए थे। वे जंगल के सभी जानवरों को समझने लगे थे, उनकी समस्याओं को समझते थे और उन्हें निराश नहीं करते थे।

शेर की महानता और उसके संगठन के सदस्यों का निरंतर प्रयास जंगल की सुरक्षा के लिए एक महत्वपूर्ण योगदान था। उन्होंने जंगल की संरक्षा में अपना बहुमूल्य योगदान दिया और इससे जंगल के सभी जानवर सुरक्षित और समृद्ध रहे।

अंत में, शेर ने अपने नए स्वभाव ‌‌‌के बारे में समूंह को बताया और क्रोधित न होने के लाभ के बारे में भी बताया । साथ ही जंगल की समस्या को दूर करने के लिए भी समूंह को समझाया । साथ ही बताया की किस तरह से जंगल की सुरक्षा करनी है ।

इस कहानी से हमे समझ में आता है की शेर ने जंगल के जानवरो को आपे से बहार न होने के बारे में बताया था ।

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