आवाज उठाना मुहावरे का अर्थ, aawaz uthana muhavare ka arth

आवाज उठाना मुहावरे का अर्थ, aawaz uthana muhavare ka arth aur vakya mein prayog

आवाज को एक बैंग के अंदर डाल कर उसे उठा लेते हो तो हो गया आवाज उठाना………….. मगर मित्र यह एक तरह का मजाक होता है ऐसा कभी नही होता है । हां यह एक ऐसा ‌‌‌एक मुहावरा होता है जो काफी महत्वपूर्ण माना जाता है और इसका एक विशेष अर्थ होता है और वाक्य में प्रयोग क्या होता है यह एक प्रशन है तो आइए जान लेते है की आवाज उठाना के बारे में –

‌‌‌आवाज उठाना मुहावरे का अर्थ क्या होगा

‌‌‌मुहावरा ‌‌‌हिंदी में (idiom in Hindi)मतलब‌‌‌ ‌‌‌या अर्थ (Meaning in Hindi)
‌‌‌आवाज उठानाविरोध करना ।

‌‌‌आवाज उठाना मुहावरे को समझने का प्रयास करे

कहते है की आवाज में काफी दम होता है और आवाज का उपयोग कर कर किसी भी गलत काम को रोका जा सकता है । मगर इस गलत काम को रोकने के लिए उस काम के खिलाफ विरोध करना होता है । मगर दोस्त विरोध करने के लिए जोर सोर से चिल्लाना होता है मतलब आवाज करनी होती है और ‌‌‌यही आवाज उठाना होता है । मतलब आवाज उठाना मुहावरे का अर्थ विरोध करना होता है ।

विद्वान साथी आपके लिए ज्ञान काफी नही है क्योकी आपको वाक्य में प्रयोग भी तो जानने है जो की आपके निचे मिलेगे देखे –

आवाज उठाना मुहावरे का अर्थ, aawaz uthana muhavare ka arth

आवाज उठाना मुहावरे का वाक्य में प्रयोग करे

‌‌‌‌‌‌1. वाक्य में प्रयोग – विद्यार्थी को जब पता चला की स्कूल में अध्यापक सही तरह से नही पढा रहे है तो उन्होने आवाज उठानी शुरू कर दी ।

‌‌‌2. वाक्य में प्रयोग – शहर में बढ रहे प्रदूषण को कम करने के लिए अनेक लोगो ने आवाज उठाई मरग आज तक कुछ नही हुआ ।

‌‌‌3. वाक्य में प्रयोग – जब लोगो को पता चला की उनके शहर में जुर्म बहुत अधिक बढ रहे है तो लोगो ने जुर्म को रोकने के लिए ‌‌‌आवाज उठाई ।

‌‌‌4. वाक्य में प्रयोग – सरपंच साहब का हर निर्णय गलत होता है और यह देख कर किशोर ने उनके खिलाफ आवाज उठानी शुरू की ।

‌‌‌5. वाक्य में प्रयोग – जब मंत्री साहब राज्य के भले के बारे में नही सोचते थे तो उनके खिलाफ मंत्री साहब ने आवाज उठानी शुरू की ।

‌‌‌‌‌‌6. वाक्य में प्रयोग – अगर आज हम आवाज उठाते है तो हो सकता है की देश से जुर्म कम हो जाए ।

‌‌‌7. वाक्य में प्रयोग – जब शहर में नए कानून बनाए गए तो जंता ने उनके खिलाफ आवाज उठाई ।

‌‌‌8. वाक्य में प्रयोग – खटपुलिया गाव में जब प्राईवेट कंपनी लोगो की जमीने हड़पने लगी तो कुंदन ने उनके खिलाफ आवाज उठाई ।

‌‌‌आखिर क्यो खरगोश ने आवाज उठाई, एक प्रसिद्ध कहानी

एक जंगल में एक छोटा सा खरगोश रहता था। वह अपने माता-पिता के साथ रहता था जो उसे सीख रहे थे कि वह कैसे जंगल में रहना चाहिए और अपने खाने की तलाश कैसे करें।

एक दिन, खरगोश ने एक वर्षा वाले पेड़ के नीचे खाने की तलाश करते हुए एक पशु का सामना किया। खरगोश ने उस दिन अपनी जान बचाने के लिए एक बड़ा फैसला किया। उसने सोचा कि यदि वह अपने आप को स्वस्थ रखना चाहता है, तो वह अब उस पेड़ के नीचे कभी नहीं जाएगा।

खरगोश ने अपनी माँ से इस विषय पर बात की तो उसकी माँ ने उसे बताया कि वह अब अगले कुछ दिनों तक पेड़ के नीचे खाने की तलाश नहीं करेगा। इस फैसले से खरगोश की माँ असंतुष्ट थी खरगोश की माँ उसे समझाने की कोशिश की कि यह ठीक नहीं है कि वह उस पेड़ के नीचे जाने से इनकार करता है। लेकिन खरगोश अपना फैसला नहीं बदला और उसने अगले कुछ दिनों तक पेड़ के नीचे नहीं जाने का व्रत रखा।

इस दौरान, खरगोश ने अन्य जंगली जानवरों को देखा कि वे अपने खाने की तलाश में दौड़ रहे हैं। वह अपने माता-पिता से सीखता था कि वे कभी भी निराश नहीं होते हैं और हमेशा खुश रहते हैं।

खरगोश ने देखा कि जंगल में अन्य जानवर ज़्यादा सक्रिय हैं और अपने खाने की तलाश में अपनी जान जोखिम में डालते हैं। वह अपनी माँ से फिर बात करने के बाद उसने एक फैसला किया कि वह अब से अपनी जान खतरे में नहीं डालेगा, लेकिन वह जंगल में भी ज्यादा सक्रिय होगा।

खरगोश ने इस फैसले के साथ सक्रिय होना शुरू कर दिया। वह अब अपने खाने की तलाश में दौड़ता था, खेलता था और और अपनी जानवरी मित्रों के साथ समय बिताता था।

खरगोश ने दिनों बाद फिर उसी पेड़ के नीचे जाने का विचार किया। उसने सोचा कि अब वह सक्रिय हो चुका है और अपनी जान जोखिम में नहीं डालेगा। वह पेड़ के नीचे जाकर अपने बचपन के मित्रों से मिलने के लिए खुश था।

खरगोश के मित्रों ने उसे बताया कि उस पेड़ में एक झोपड़ी है, जिसमें एक बूढ़ी लोमड़ी रहती है। वह लोमड़ी खरगोश के बचपन की माँ जैसी थी और उसे अपने बच्चों के साथ रहने में मदद करती थी। खरगोश ने उस झोपड़ी के बाहर खड़े होकर देखा और उसने लोमड़ी को देखा जो उसकी माँ की तरह थी। वह उसे अपनी माँ की याद दिला देती थी।

खरगोश ने लोमड़ी से बातचीत की और उसे अपने माँ की याद दिलाया। लोमड़ी ने खरगोश को बताया कि यह पेड़ उनके परिवार का घर है और वे यहां से नहीं हटेंगे। खरगोश ने उन्हें समझाने की कोशिश की कि जंगल में बहुत सारे झोंपड़े हैं और वह और उसका परिवार अन्य झोंपड़ों में रह सकते हैं।

लेकिन लोमड़ी ने खरगोश को बताया कि यह उनका घर है और वे यहां से कहीं और नहीं जाएंगे। वह उसे भयभीत करती रही कि यदि वह और उसके मित्र उस पेड़ के नीचे आते हैं, तो उन्हें धोखा दिया जा सकता है और उन्हें अपने जंगल से बाहर निकाला जा सकता है।

खरगोश ने लोमड़ी को समझाने की कोशिश की और उसे अपने सहयोग के लिए मनाया। उसने उसे यह बताया कि अगर वह उसकी मदद करेगी तो उसे अपने झोंपड़े में लेकर जा सकता है और वह उसकी मदद करने के लिए तैयार था।

लोमड़ी ने खरगोश की मदद करने से मना कर दिया, लेकिन खरगोश ने अपनी मित्रता का प्रतिशोध दिया और उसने लोमड़ी के साथ अपनी मदद का अनुरोध किया। लोमड़ी ने उसकी मदद स्वीकार की और खरगोश ने उसे अपने झोंपड़े में लेकर जा सका। वहाँ पहुंचकर लोमड़ी के परिवार ने खरगोश को धन्यवाद दिया और उसे अपना घर बनाने में मदद करने के लिए तैयार थे।

खरगोश को लोमड़ी के परिवार की मदद से एक नया घर बनाया गया जो उसे संरक्षण प्रदान करता था। खरगोश ने लोमड़ी के परिवार का धन्यवाद किया और उसके साथ एक सच्ची मित्रता का वादा किया।

लोमड़ी को खरगोश के साथ अपने झोंपड़े में ज्यादा समय बिताने के बाद, उसे यह लगने लगा कि खरगोश को अपनी सहायता की ज़रूरत नहीं है। उसने खरगोश को याद दिलाया कि उसकी सहायता इस वक्त बहुत ज़रूरी है।

खरगोश के साथ एक सच्ची मित्रता बनने के बाद, लोमड़ी उसे अपने जंगल के नियमों और जीवन शैली के बारे में सिखाने लगी। उसने उसे बताया कि कैसे उसे अपने घर का ख्याल रखना है और कैसे उसे अपनी सुरक्षा के बारे में सोचना है।

खरगोश ने लोमड़ी के साथ जीवन की नई दुनिया का अनुभव किया और उसने उसकी मदद करने का अनुभव प्राप्त किया। यह कहानी बताती है कि मित्रता और सहयोग अपार ताकत होती है जो हमें कठिनाईयों से निपटने में मदद कर ‌‌‌सकते है ।

धीरे-धीरे, खरगोश ने लोमड़ी के साथ जंगल में नए दोस्त बनाए और उसने अन्य जानवरों से भी मित्रता की। वह अपनी मित्रता के लिए अन्य जानवरों के साथ शांति बनाए रखने में मदद करने लगा।

एक दिन, खरगोश ने लोमड़ी से सीखा कि कैसे वह अपनी आवाज को समझाने और अपनी बात कहने के लिए उसे बोलना शुरू करना चाहिए। वह अब अपनी मंच पर खड़ा होकर जंगल के अन्य जानवरों से बात करने लगा।

इससे पहले, खरगोश अक्सर लोमड़ी के साथ छिपकर बैठता था या अपने आस-पास जंगल की सुरक्षा के लिए अभ्यास करता था। लेकिन अब वह सभी जानवरों से जोड़ा जा सकता था और उनसे अपने विचारों का विस्तार कर सकता था।

‌‌‌धिरे धिरे समय बिता रहा था । एक बार बंदरो ने जंगल के जानवरो को काफी परेशान कर दिया था । जिसके कारण से खरगोश ही आगे बढा और बंदरो से बात की की आंतक कम कर दो और जब बंदर नही माने तो खरगोश ने आवाज उठाई और लोगो को समझाया की बंदरो से परेशान होने की जरूरत नही है आपको एक साथ मिल कर बंदरो को भगा देना ‌‌‌चाहिए । खरगोश की बात सुन कर जानवरो के अंदर जोश भर जाता है और वे बंदरो को बुरी तरह से भगा देते है । समय बितता जा रहा था और ब खरगोश जो था वह जंगल के अंदर जो भी कुछ बुरा होते देखता तो उसके खिलाफ आवाज उठाने लगा था ।

‌‌‌आखिर क्यो खरगोश ने आवाज उठाई, एक प्रसिद्ध कहानी

‌‌‌खरगोश के आवाज उठाने के कारण से जंगल में धिरे धिरे जुर्म कम हो गया और सभी शांती से रहने लगे ।

खरगोश के इस नए अवतार से लोमड़ी बहुत खुश थी। उसने देखा कि खरगोश ने अपनी नयी सीखी हुई कौशल का उपयोग करके जंगल में एक सुखी और अस्थायी संतुष्टि की खोज कर ली थी।

इस कहानी से हमें यह सीख मिलती है कि सभी जानवरों ‌‌‌के दूखो को दूर करना चाहिए और उनके दूखो को दूर करने के लिए आवाज उठानी चाहिए ।

इस तरह से दोस्तो इस कहानी में आवाज उठा कर खरगोश सभी का नेता बना था ।

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