अक्ल के घोड़े दौड़ाना मुहावरे का अर्थ और वाक्य में प्रयोग का सरल रूप

अक्ल के घोड़े दौड़ाना मुहावरे का अर्थ, akal ke ghode daudana muhavare ka arth aur vakya mein prayog

‌‌‌अक्ल जो चाहे कर सकती है तो फिर घोड़ो को दोड़ाना कोनसी बढी बात है । हालाकी यह एक मुहावरा है जिसका एक विशेष अर्थ होता है और उसके बारे में ज्ञान होना काफी जरूरी होता है । वैसे इसका अर्थ क्या है सब कुछ जानेगे कृपा लेख देखे –

‌‌‌अक्ल के घोड़े दोड़ाना मुहावरे का अर्थ क्या होता है

‌‌‌मुहावरा ‌‌‌हिंदी में (idiom in Hindi)मतलब‌‌‌ ‌‌‌या अर्थ (Meaning in Hindi)
‌‌‌अक्ल के घोड़े दोड़ानाकल्पनाएँ करना ।

‌‌‌अक्ल के घोड़े दोड़ाना मुहावरे को समझने का प्रयास करे

दोस्तो कहा जाता है की अक्ल जो होती है वह काफी अधिक बुद्धिमान होती है और यह अपनी बुद्धि का उपयोग कर कर जो चाहे वह कर सकती है ‌‌‌केवल कल्पना भी की जाती है तो यह समस्या का समाधान कर देता है । और ऐसा कई बार सिद्ध भी हो चुका है । और यहां पर घोड़े दोड़ाने का मतलब है की सोच विचार करना । वैसे आपको पता होगा की अक्ल के अंदर कुछ सोच विचार चलता रहता है उसे कल्पना करना कहा जाता है । अत इस बात से सिद्ध यह होता है की अक्ल के ‌‌‌घोड़े दोड़ाना मुहावरे का अर्थ कल्पनाएं करना होता है ।

अक्ल के घोड़े दौड़ाना मुहावरे का अर्थ और वाक्य में प्रयोग का सरल रूप

‌‌‌अक्ल के घोड़े दोड़ाना मुहावरे का वाक्य में प्रयोग करे

‌‌‌ 1. वाक्य में प्रयोग जब बच्चो ने अध्यापक से पूछा की पहले मुर्गी आई की अंडा तो अध्यापक अक्ल के घोड़े दोड़ाने लगे ।

2. वाक्य में प्रयोग अध्यापक के पूछे गए प्रशन का उत्तर देने के लिए महेश अक्ल का घोड़े दोड़ाने लगे ।

3. वाक्य में प्रयोग वैज्ञानिको ने खूब अक्ल के घोड़े दोड़ाए और नए नए प्रयोग किए मगर कोरोना की दवा नही बन पाई  ।

4. वाक्य में प्रयोग जब देश में कोरोना का ‌‌‌हाल था तो कोरोना का इलाज के लिए दवा बनाने के लिए सभी ने अपनी अक्ल के घोड़े दोड़ाए ।

5. वाक्य में प्रयोग राजीवन ने काफी अक्ल के घोड़े दोड़ाए और परिक्षा में पूछे गए प्रशनो का उत्तर देने की कोशिश की मगर असफल रहा ।

‌‌‌6. वाक्य में प्रयोग देश के फोजी भाई ने जब अक्ल के घोड़े दोड़ाए तो दुश्मनो को जान बचा कर भागना पड़ा।

7. वाक्य में प्रयोग किसनलाल को जब देखो अकल के घोड़े दोड़ाता रहता है पता नही यह बडा होकर क्या करेगा ।

‌‌‌आखिर क्यो बंदर ने अक्ल के घोड़े दोड़ाए , एक प्रसिद्ध कहानी

एक बार एक शहर में एक आदमी रहता था जिसका नाम राजू था। वह एक नदी के किनारे अपने घर में रहता था। एक दिन वह नदी के किनारे से गुजर रहा था तभी उसने एक बंदर को देखा। बंदर बहुत खुश नजर आता था और राजू के पास आकर उससे खेलना शुरू कर दिया।

राजू बंदर से बहुत प्रेम करने लगा था और वह हमेशा बंदर के साथ समय बिताता था। लेकिन एक दिन, जब राजू दूसरे काम में व्यस्त था, एक अन्य आदमी आकर बंदर को पकड़ लेता है और उसे अपने साथ ले जाता है।

जब राजू अपने घर लौटता है, तो उसे पता चलता है कि उसके दोस्त बंदर नहीं है। उसे बहुत दुख होता है और वह बंदर को ढूंढने के लिए नदी के किनारे जाता है। वह देखता है कि बंदर को एक आदमी ले गया है और उसे अपने घर में बंधक बनाया हुआ है।

राजू बंदर को छुपकर आदमी के घर में जाता है और बंदर को आजाद कर देता है। बंदर बहुत खुश होता है क्योंकि वह फिर से अपने दोस्त राजू के साथ हो जाता है। उस दिन से बंदर और राजू का रिश्ता और भी मजबूत होता जाता है। राजू बंदर को दूध और केले खिलाता है और उसे अपने घर में सुरक्षित रखता है। बंदर भी राजू के घर का हिस्सा बन जाता है और उसे अपने नए घर में बहुत सुख और समृद्धि मिलती है।

इस कहानी से हमें यह सीख मिलती है कि हमें जीव-जन्तुओं के साथ मेहरबान और दयालु होना चाहिए। हमें उन्हें अपना प्यार देना चाहिए और उनकी रक्षा करनी चाहिए। हमें उनसे अपनी भावनाओं का अभिव्यक्ति करनी चाहिए ताकि हम उन्हें अपना साथी बना सकें। इस तरह से हम सभी जीवों के साथ सहयोग और समझदारी से रह सकते हैं और साथ ही हम सभी को अपनी समझ और प्यार से जोड़ सकते हैं।

‌‌‌इसके बाद क्या होता है आइए जानते है

‌‌‌एक बार की बात है बंदर राजू के घर जाता है राजू बंदर के साथ अपनी मेहमान नवाज़ी करता रहता है और बंदर को अपने दोस्तों से मिलाता रहता है। बंदर भी राजू के साथ बहुत खुश होता है और उसकी जिंदगी में नया उत्साह आ जाता है।

एक दिन, राजू बंदर के साथ खेल रहा था जब एक विदेशी गुड़िया वाला आदमी उनके पास आता है और उनसे गुड़ियों की दुकान में कुछ खरीदने के लिए कहता है। बंदर को देखकर वह आदमी उसे भी दुकान में ले जाता है।

गुड़िया वाले आदमी उन्हें कुछ दिखाता है और तब उन्हें मालूम होता है कि उसने बंदर को अपने पास ले जाने के लिए कुछ पैसे दिए थे। राजू को यह जानकर बहुत बुरा लगता है और वह उस आदमी से बंदर को वापस ले जाने के लिए पैसे देता है।

बंदर को वापस घर लाकर राजू उसे अपने दोस्तों के साथ खेलने के लिए छोड़ता है। ‌‌‌तब बंदर अपने दिमाग के घोड़े दोड़ाता है और सोचता है कि उसके दोस्त राजू ने उसे हमेशा के लिए आजाद कर दिया है।

‌‌‌आखिर क्यो बंदर ने अक्ल के घोड़े दोड़ाए , एक प्रसिद्ध कहानी

बंदर राजू के दोस्तों के साथ खेलते हुए जीवनभर की आज़ादी का अनुभव करता है। उसके दोस्त भी उसे आजादी देते हैं और उसकी मदद करते हैं जब वह कुछ खाने के लिए या खेलने के लिए कुछ मांगता है।बंदर के साथ रहने से राजू को भी अपने दोस्त के प्रति एक अधिक संवेदनशील बनाने का मौका मिलता है। उसे बंदर की संख्या और उनके जीवन के बारे में बहुत कुछ सीखने का मौका मिलता है। बंदर को आजाद करवाने का फैसला लेने से पहले, राजू ने उसके साथ बहुत समय बिताया था। इससे बंदर ने उसके परिवार जैसा महसूस करना शुरू कर दिया था। ‌‌‌

तब एक दिन बंदर भी अपने दिमाग के घोड़े दोड़ता है और राजू के लिए कुछ बड़ा करना चाहता है । तो उसने अपने जंगली दोस्तो को बुलाया और राजू के लिए तरह तरह के फल फ्रुट मगवाया था । जिसके कारण से बंदर के जंगली दोस्त बंदर अपने साथ काफी मात्रा में फल वगैरह लेकर आते है और राजू को देते है । और यह सब ‌‌‌देख कर राजू काफी अधिक खुश हो जाता है की उसके दोस्त बंदर ने उसके लिए इतना बड़ा किया है । अब बंदर को अपने माता पिता की याद आती है तो वह अपने भाईयो बंदरो के साथ चला जाता है । मगर कभी कभार फिर से बंदर राजू के साथ खेलने के लिए आ जाता है । तो इस तरह से दोनो की मित्रता जीवित रहती है ।

इस तरह से ‌‌‌बंदर ने अपने मित्र राजू के लिए अक्ल के घोड़े दोड़ाए थे ।

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