भाग्य सो जाना मुहावरे का अर्थ क्या होता है और इसका वाक्य में प्रयोग करे

भाग्य सो जाना मुहावरे का अर्थ , bhagya so jana muhavare ka arth aur vakya mein prayog

भाग्य सो जाने के बारे में आज सभी को पता है । क्योकी सभी को निंद आती है और वे खाना खा कर सो जाते है । आप जैसे और हमारे आज के युग के बच्चे पढने मे ‌‌‌कम दिलचस्पी दिखाते है और खाना खाते ही सो जाते है । मगर भाग्य सो जाने का मतलब यह नही है की आप सो चुके है । बल्की यह एक प्रसिद्ध मुहावरा है और इसका एक अलग ही अर्थ होता है । तो आइए इस लेख में इस मुहावरे के अर्थ को समझने का प्रयास करते है –

भाग्य सो जाना मुहावरे का अर्थ क्या होता है bhagya so jana muhavare ka arth

‌‌‌मुहावरा (idiom in Hindi)‌‌‌अर्थ ‌‌‌या मतलब (Meaning in Hindi)
भाग्य सो जानाकिस्मत खराब होना

‌‌‌भाग्य सो जाना एक ऐसा मुहावरा है जिसके बारे में सभी को पता है । मगर क्या आपको पता है की इस मुहावरे का अर्थ किस्मत खराब होना होता है । हमारे ज्योतिषी विज्ञान में कहा जाता है की जिस किसी का भाग्य जगा हुआ होता है उसकी किस्मत अच्छी होती है और उसके जीवन में काफी कुछ अच्छा होता रहता है । ‌‌‌मगर ज्योतिषी के मुख से आपने सुना होगा की जिस किसी का भाग्य सोया होता है उसके जीवन में बुरा ही बुरा होता है । और जब बुरा होता है तो कहते है की मेरी तो किस्मत ही खराब है । तो यह जो किस्मत खराब होने की बात है उसे ही भाग्य सो जाना कहा जाता है । मतलब इस मुहावरे का अर्थ किस्मत खराब होना होता ‌‌‌है ।

भाग्य सो जाना मुहावरे का अर्थ क्या होता है और इसका वाक्य में प्रयोग करे

भाग्य सो जाना मुहावरे का वाक्य में प्रयोग, bhagya so jana muhavare ka vakya mein prayog

‌‌‌ वाक्य में प्रयोग लगता है की मेरा तो भाग्य ही सो गया है तभी नोकरी नही लग रही है ।

‌‌‌ वाक्य में प्रयोग जब किसन की नोकरी नही लगी तारे उसने कहा की मेरा तो भाग्य सो गया है ।

‌‌‌ वाक्य में प्रयोग आज कल रामू के साथ पता नही क्यो इतना अधिक बुरा हो रहा है लगता है की उसका भाग्य सो गया है ।

‌‌‌‌‌‌ वाक्य में प्रयोग महेश के घर से कल 50 हजार रूपयो की चोरी हो गई महेश का तो भाग्य ही सो गया ।

क्यो आखिर एक साधू का भाग्य सो गया एक प्रसिद्ध कहानी

एक बार की बात है पंजाब में एक ऋषि थे जिन्हें अपने ज्ञान पर हमेशा गर्व रहता था। वह लोगों को बताते थे कि उनके जैसा ज्ञान किसी के पास नहीं है और वह दुनिया में सर्वश्रेष्ठ हैं। लोग अक्सर उनकी बातें सुनते और उनसे कुछ नया सीखते। ऋषि को उनके ज्ञान और शिक्षाओं के लिए याद किया जाएगा।

ऋषि हमेशा अपने ज्ञान के कारण लोगों को चुनौती देते थे कि उन्हें कोई हरा नहीं सकता। वह अपनी बुद्धि और ज्ञान का उपयोग किसी को भी मात देने के लिए करता था जो उसे चुनौती देता था। ऋषि कभी किसी विरोधी से विचलित नहीं हुए, और हमेशा अधिक सीखने का प्रयास करते रहे। अंत में, वह उन सभी का स्वामी बन गया जो वह जानता था और दूसरों को वह सिखाने में सक्षम था जो उसने सीखा था।

ऋषि के पास इतना ज्ञान था कि उन्हें कोई हरा भी नहीं सकता था। वह एक बुद्धिमान व्यक्ति था जो सब कुछ जानता था और किसी भी प्रश्न का उत्तर दे सकता था। कोई भी उसे मात नहीं दे सकता था, और अंत में, वह अपने द्वारा संचित सभी ज्ञान से मर गया।

पंकज ने कई लोगों से ऋषि के बारे में सुना था और उनसे ज्ञान प्राप्त करने की ठान ली थी। हालाँकि, ऋषि ने पंकज को ज्ञान देने से मना कर दिया क्योंकि वह पास के शहर से नहीं था। पंकज निराश था, लेकिन उसने ज्ञान की तलाश में यात्रा करना जारी रखा। एक दिन उनकी मुलाकात दत्तात्रेय नाम के एक व्यक्ति से हुई जो भी ज्ञान की तलाश में था। दत्तात्रेय ने स्वीकार किया कि उनके पास अभी तक कोई उत्तर नहीं था, लेकिन वे ऋषि से सीखने को तैयार थे।

पंकज शर्मा हमेशा एक आज्ञाकारी व्यक्ति थे। उन्होंने बिना किसी सवाल के अपने बड़ों के सभी निर्देशों का पालन किया। हालाँकि, जब उन्हें पता चला कि उनके ऋषि ने ज्ञान के बल पर खुद को हराने के लिए एक प्रतियोगिता आयोजित की है, तो पंकज ने प्रतियोगिता में प्रवेश करने का फैसला किया। थोड़ी खोजबीन से पंकज को पता चला कि अगर वह प्रतियोगिता जीत जाता है, तो ‌‌‌उसका ऋषि का निर्विवाद गुलाम बन जाएगा। प्रतियोगिता में केवल एक महीना बचा है, पंकज अपना ज्ञान बढ़ाने के लिए दिन-रात प्रशिक्षण लेना शुरू कर देते हैं। क्या वह ऋषि को हरा सकता है और परम पुरस्कार जीत सकता है? ‌‌‌और जानने के लिए इसी कहानी को पढते रहिए ।

पंकज बहुत जिज्ञासु था और जीवन के बारे में सब कुछ जानना चाहता था। वह ऋषि के पास गए, जो पंकज के किसी भी प्रश्न का उत्तर देने के लिए तैयार हो गए। पंकज ने ऋषि से ऐसे प्रश्न पूछे, जिनका उत्तर ऋषि शुरुआत में देते रहे, लेकिन अंत में ऋषि के पास कोई उत्तर नहीं था तब ऋषि को लगने लगा की उसका भाग्य सो गया है । और अंत में ऋषि की हार हुई।

भाग्य सो जाना मुहावरे का अर्थ क्या होता है और इसका वाक्य में प्रयोग करे

‌‌‌इसके बाद में ऋषि ने पंकज का गुलाम बनने की बात कही । मगर पकंज नही माना और उसने बताया की आपको अपने ज्ञान पर अभिमान हो गया है और उसे छोडना होगा । और इसके बाद में जो ज्ञान आपके पास है उसे सभी को बराबर बाटना चाहिए । चाहे वह शहर से आया हो या फिर इसी नगर का हो ।

‌‌‌इस बात को सुन कर ऋषि ने पंकज से कहा की आज के बाद में ऐसा कभी नही होगा । मगर अंत में ऋषि ने पूछा की पंकज तुम्हारे पास इतना ज्ञान है तो तुम मुझसे ज्ञान क्यो लेना चाहते हो । तब पंकज ने बताया की वह एक दत्तात्रेय नामक व्यक्ति से मिला था जिसके पास काफी अच्छा ज्ञान था । मगर वह अभी भी ज्ञान की ‌‌‌तलाश में है । उसका मनना है की व्यक्ति को मरते दम तक ज्ञान हासिल करना चाहिए । और उनको अपने ज्ञान पर गर्व नही था । उन्होने ही उसे ज्ञान दिया था । तो इस तरह से पंकज ने ज्ञान हासिल किया और ऋषि का अभिमान खत्म किया था ।

Leave a Comment