रास्ता साफ होना मुहावरे का अर्थ, rasta saaf hona muhavare ka arth aur vakya mein prayog
अगर आप विद्यालय में पढते है तो आप इस मुहावरे के बारे में काफी बार सुन चुके होगे । क्योकी यह एक प्रसिद्ध मुहावरा है जो की परिक्षाओ में भी हाल ही में पूछा गया है । आप अगर इस मुहावरे के अर्थ के बारे में नही जानते है तो आपको बता दे की आप बिल्कुल सही स्थान पर आए है । आपको यहां पर रास्ता साफ होना मुहावरे के अर्थ और इसके वाथ्य में प्रयोग के बारे में जानने को मिलेगा ।
आखिर क्या होता है रास्ता साफ होना मुहावरे का अर्थ
इस मुहावरे का जो अर्थ होता है वह आपको निचे देखने को मिल रहा होगा-
मुहावरा (idiom in Hindi) | अर्थ या मतलब (Meaning in Hindi) |
रास्ता साफ होना | किसी कार्य के अंदर कोई अवरोध या व्यवधान न होना । |
रास्ता साफ होना मुहावरे को समझने का प्रयास करे
किसी भी कार्य स्थल में कोई बाधा या व्यवधान नहीं होना चाहिए। यह एक बुनियादी मानव अधिकार है । मगर जब आप कोई काम करते हो और उस काम के अंदर किसी तरह का अवरोध होता तो इसका मतलब हुआ की रास्ता साफ नही है । जैसे की आप आगे बढ रहे है मगर रास्ते में काटे है तो यह एक अवरोध या बाधा है । और रास्ता साफ नही है । मगर जब किसी तरह की परेशानी नही होगी तो रास्ता साफ होगा । मतलब किसी तरह का अवरोध या व्यवधान नही है । अत इस तरह से कहा जा सकता है की रास्ता साफ होना मुहावरे का अर्थ किसी कार्य के अंदर कोई अवरोध या व्यवधान न होना होता है ।
रास्ता साफ होना मुहावरे का वाक्य में प्रयोग –
वाक्य में प्रयोग – जब सरपंच साहब का सबसे करीबी नोकर पकड़ा गया तो सरपंच साहब के बारे में सब कुछ पता चलने वाला है क्योकी रास्ता साफ हो चुका है ।
वाक्य में प्रयोग – अब रामू की मृत्यु हो गई है और उसका खेत मेरा होगा क्योकी रास्ता साफ हो चुका है ।
वाक्य में प्रयोग – महेश किशोर का खेत हड़पना चाहता था और इसी कारण से महेश ने किशोर को मरवा दिया और अब उसका रास्ता साफ हो चुका है ।
वाक्य में प्रयोग – उकसा तो पहले से ही रास्ता साफ था तभी वह इतना जल्दी नोकरी लग गया ।
महेश ने किशोर की हत्या कर कर रास्ता साफ कर लिया, एक कहानी
सेठ एक अमीर आदमी था और वह शहर का सबसे अमीर आदमी बनना चाहता था। वह लोगों से उनकी ज़मीन ख़रीदता था और फिर उसे ऊँची क़ीमत पर बेच देता था। सेठ बहुत सफल हुआ और वह शहर का सबसे अमीर आदमी बन गया। इसके साथ ही सेठ जमीन को हड़पता भी था । उस सेठ का नाम महेश था जो की शहर का सबसे बड़ा और धनवान आदमी के रूप में जाने जाने लगा ।
महेश, भारत के तेलंगाना क्षेत्र के एक किसान, दो दशकों से अधिक समय से उसी भूमि पर खेती कर रहे थे। लेकिन 2013 में उसने अन्य किसानों की सहमति के बिना उनकी जमीन हड़पना शुरू कर दिया। इसके कारण एक लंबी और कड़वी कानूनी लड़ाई हुई जिसे अंततः महेश ने जीत लिया। यह कोई अकेला मामला नहीं है; इसी तरह की जमीन पर कब्जा पूरे भारत में हो रहा है, अक्सर बहुत कम या कोई सरकारी हस्तक्षेप नहीं होता है। समस्या यह है कि संपत्ति के अधिकारों को नियंत्रित करने वाले मौजूदा कानून पुराने हो चुके हैं और यह नहीं दर्शाते हैं कि आज लोग किस तरह से भूमि का उपयोग करते हैं।
एक बार फिर से महेश ने ऐसा कर दिया था । दरसल भारत के एक छोटे से गांव के एक गरीब किसान महेश ने वर्षों से रामलाल के स्वामित्व वाली भूमि पर दावा करने के लिए एक साहसिक कदम उठाया। यह भूमि एक महत्वपूर्ण कृषि क्षेत्र के मध्य में स्थित थी, और रामलाल ने दृढ़ निश्चय कर लिया था कि वह इसे किसी से छीनने नहीं देगा। संघर्ष को रोकने के लिए, महेश ने रामलाल से एक प्रस्ताव के साथ संपर्क किया: यदि रामलाल उन्हें जमीन पर खेती करने की अनुमति देगा तो वह अपना दावा छोड़ देंगे। रामलाल ने इस प्रस्ताव को स्वीकार कर लिया और तब से महेश के साथ शांति से काम कर रहा है।
मगर समय के साथ महेश ने जमीन रामलाल से छीन ली । जिसके कारण से रामलाल को हार्ट अटैंक आ गया और उसकी मोत हो गई । इसके बाद में रामलाल का बेटा था जिसका नाम किशोर था जिसने महेश के खिलाफ आवाज उठानी शुरू कर दी । और महेश को लगने लगा था की किशोर उससे जमीन वापस छीन लेगा ।
जिसके कारण से महेश ने किशोर को मरवा दिया । किशोर की हत्या हो जाने के कारण से महेश का रास्ता साफ हो गया और वह उस जमीन को अपने पक्ष में ले लेता है और कानूनी कागजात बना लेता है । अब इस जमीन के लिए कोई भी महेश के खिलाफ बोलने वाला नही था । जब नगर के लोगो को इस बारे में पता चला तो सभी डर गए ।
मगर तभी वहां पर एक पुलिसकर्मी आ गया जिसने महेश के खिलाफ आवाज उठाई और उसके खिलाफ सबूत जुटाने लगा । अंत में जब पुलिसकर्मी के पास सबुत हाथ आ गए तो उसने महेश को किशोर की हत्या के जुर्म में पकड़ लिया और कई वर्षों की सजा करवा दी ।
जब महेश को सजा हो गई तो महेश को पता चला की यह जो पुलिसकर्मी है वह किशोर का एक अच्छा दोस्त रह चुका है ।
किशोर के दोस्त पुलिसकर्मी ने उसको न्याय दिलाया । भले ही किशोर अब मर चुका है मगर उसके गुनहेगार को सजा मिल गई थी । और यह सब देख कर नगर के लोग भी खुश थे क्योकी एक गुन्हेगार को सजा मिली थी ।
और इस बात से यह सभी के अंदर विश्वास बैठ गया की जो भी कोई गलत करता है उसके साथ ऐसा ही होता है । और गलत करने वाले को अंत में सजा मिल ही जाती है । तो इस तरह से महेश के जमीन हड़पने के लिए जो रास्ता साफ किया था उसी के कारण से उसे जेल में जाना पड़ गया था ।
तो रास्ता साफ ऐसे नही करना चाहिए ।