चोली दामन का साथमुहावरे का अर्थ और वाक्य में प्रयोग, choli daman ka saath hona muhavare ka arth
महिलाओ को इस मुहावरे के बारे में कुछ ज्यादा ही पता है । मगर कोई बात नही हम भी यह जान लेगे की चोली दामन का साथ होना क्या है और इसका अर्थ क्या होता है , क्या है की यह मुहावरा महत्वपूर्ण माना जाता है और इस कारण से इसके अर्थ के बारे में पता होना जरूरी है
चोली दामन का साथ मुहावरे का अर्थ क्या होता है
मुहावरा हिंदी में (idiom in Hindi) | मतलब या अर्थ (Meaning in Hindi) |
चोली दामन का साथ | हमेशा साथ रहने वाला या गहरी मित्रता । |
चोली दामन का साथ मुहावरे को समझने का प्रयास करे
वैसे आप महिला हो तो आपको पता होगा की चोली क्या है । मगर आप पुरुष हो तो जान लो की चोली वक्षस्थल को ढकने के लिए एक कपड़ा होता है जो की महिला पहनती है । और दामन का मतलब होता है गले में या वक्षःस्थल पर पहने हुए अंगरखे , जिसे पल्लू या आंचल भी कहा जाता है । तो यह जो चोली और दाम होता है वह हमेशा एक साथ जुड़कर रहते है । ठिक वैसे ही जैसे की दो दोस्तो के बिच में गहरी दोस्ती होने के कारण से वे हमेशा साथ रहते है । तो हम कह सकते है की चोली और दामन मे गहरी मित्रता है । तो इस आधार पर चोली दामन का साथ होना मुहावरे का अर्थ हमेशा साथ रहने वाला या गहरी मित्रता होता है ।
चोली दामन का साथ मुहावरे के अर्थ के बारे में जान लेना काफी नही होता है इसका वाक्य में प्रयोग भी महत्वपूर्ण होते है तो आइए जानते है
चोली दामन का साथ मुहावरे का वाक्य में प्रयोग
1. वाक्य में प्रयोग – महेश ने अपने साथ साथ अपने दोस्त राहुल को भी सफल बना कर सिद्ध कर दिया की दोनो का साथ चोली दामन का साथ है ।
2. वाक्य में प्रयोग – जय विरू को जब आज भी लोग देखते है तो ऐसा लगता है की मानो दोनो का चाली दामन का साथ हो ।
3. वाक्य में प्रयोग – शर्मा जी और लालूयादव बचपन से दोस्त थे मगर जब शर्मा जी जीवन में सफल हो गए तो उन्होने अपने दोस्त लालूयादाव को भी सफल बनने में मदद की और इससे पता चलता है की दोनो मे चाली दामन का साथ वाली बात थी ।
4. वाक्य में प्रयोग – मुबाईल को आज लोग काफी ज्यादा उपयोग करने लगे है मगर इंटरनेट के बिना वह कुछ नही है मानो मुबाईल और इंटरनेट का चोली दामन का साथ हो ।
5. वाक्य में प्रयोग – राम और श्याम कई महिनो तक एक दूसरे के साथ रहे मगर अब जाकर उनका साथ चोली दामन का साथ बना है ।
6. वाक्य में प्रयोग – राजेश हमेशा मेरी फिकर करता है और मैं उसकी फिकर करता हूं और दोनो की दोस्ती के बारे में तो गाव के लोग भी यही कहते है चोली दामन का साथ ।
चूहे और खरगोश का चोली दामन का साथ , एक प्रसिद्ध कहानी
बहुत समय पहले, एक खरगोश था जो एक जंगल में रहता था। वह बहुत ही तेज़ था और उसे दौड़ना बहुत पसंद था। एक दिन, वह एक चूहे से मिला जिसका नाम था छोटू। खरगोश और छोटू दोनों को एक दूसरे से बहुत पसंद आया और वे दोस्त बन गए।
खरगोश और छोटू बहुत समय साथ खेलते रहते थे। वे साथ में दौड़ते थे, खेलते थे और बहुत मस्ती करते थे। वे दोनों बहुत खुश थे क्योंकि वे एक दूसरे के दोस्त थे।
एक दिन, खरगोश और छोटू के बीच एक बड़ी बात हो गई। छोटू बताना चाहता था कि वह चोरी करने के लिए जाता है। खरगोश बहुत ही चौंक गया था और उसने छोटू से कहा कि वह ऐसा क्यों करता है। छोटू बताता है कि उसे भूख बहुत लगती है और उसके पास कुछ खाने को नहीं होता है। खरगोश उसे समझाता है कि यह गलत है और उसे चोरी करना बंद कर देना चाहिए।
छोटू को समझ नहीं आता कि वह क्या करें। उसे भूख तो बहुत लगती है।
खरगोश ने छोटू को समझाया कि वह कुछ और तरीके से अपनी भूख मिटा सकता है। उसने बताया कि वह अपनी माँ से बात कर सकता है और उसे अधिक खाने के लिए बोल सकता है। इससे छोटू को बहुत ही अच्छा लगा और उसने खरगोश की बात मान ली।
उस दिन से छोटू ने चोरी करना बंद कर दिया और वह अधिक खाने की जरूरत नहीं पड़ती थी। उसके घर में अब खाने का पूर्ण समान था और उसे खुशी हुई कि उसने गलत काम बंद कर दिया था। खरगोश भी बहुत खुश था क्योंकि उसने अपने दोस्त को सही राह दिखाया था। वह जानता था कि अगर छोटू ने चोरी करना जारी रखा तो उसकी सीमा बढ़ जाएगी और वह भी गलत रास्ते पर चला जाएगा।
इसके बाद में छोटू और खरगोश की दोस्ती चोली दामन के साथ की तरह हो गई थी । और वे एक दूसरे के साथ खेलते और मस्ती करते रहते हैं। इस दोस्ती की वजह से छोटू ने गलत रास्ते पर चलना बंद कर दिया था और वह खुश था कि उसने सही किया था।
एक दिन खरगोश और छोटू एक स्कूल में जाने वाले बच्चों को देखते हुए बैठे थे। उन्हें देखते हुए खरगोश के मन में एक विचार आया कि वह भी स्कूल जाएं। इस विचार को वह छोटू से साझा करते हुए बोला, “मुझे भी स्कूल जाना है।”
छोटू को खरगोश के इस विचार से बड़ा अचंभा हुआ। उसने पूछा, “खरगोश भाई, आप स्कूल जाना चाहते हो?”
खरगोश ने हां कह दिया और उसने बताया कि उसे भी ज्ञान प्राप्त करना है और वह भी स्कूल जाकर अधिक सीख सकता है। छोटू भी इस विचार से सहमत था और वह भी स्कूल जाना चाहता था।
फिर दोनों दोस्तों ने मिलकर अपनी माताओं को इस बारे में बताया और उनसे स्कूल जाने की अनुमति मांगी। उनकी माताएं बड़ी खुश थीं क्योंकि उन्हें लगा कि इससे उनके बच्चों की शिक्षा में सुधार होगा।
अब खरगोश और छोटू दोनों स्कूल जाते हैं और वे दोनों बहुत खुश हैं। उनकी शिक्षा में सुधार हुआ है और वे अधिक सीखने के लिए उत्सुक हो गए हैं। दोस्तों की दोस्ती में भी कुछ अंतर होता है। खरगोश स्कूल में अधिक ध्यान देता था जबकि छोटू किसी भी शिक्षा के साथ-साथ खेलना भी चाहता था।
एक दिन, छोटू खेलते हुए थक गया था और वह खरगोश के पास आया। उसने खरगोश से कहा, “खरगोश भाई, मैं थक गया है। क्या हम एक दूसरे के साथ बैठकर बातें नहीं कर सकते?”
खरगोश ने हंसते हुए कहा, “हाँ, बैठो ना। आराम करो।” और वे दोनों बैठकर बातें करने लगे। खरगोश ने छोटू से पूछा, “तुम्हारा सबसे पसंदीदा खेल कौन सा है?”
छोटू ने बताया, “मेरा सबसे पसंदीदा खेल फुटबॉल है।”
खरगोश ने कहा, “फुटबॉल मुझे भी बहुत पसंद है। चलो, हम दोनों इसे खेलते हैं।”
इस पर दोनों दोस्त खेलने लगे और उनकी दोसती और मजेदार बातें करते रहती थी। वे एक दूसरे की मदद करते और एक साथ सीखते थे। उन्होंने सभी चीजों में सहयोग किया, जैसे कि खेल, शिक्षा, और खुशी के अनुभव।
छोटू और खरगोश को देख बाकी जानवरो को लगने लगा था की मानो दोनो चोली दामन का साथ की तरह है । जब देखो साथ रहते है और साथ समय बिताते है । जानवरो को पता चला की खरगोश और छोटू दोनों बचपन से ही दोस्त थे और उनकी दोस्ती बचपन से लेकर अब तक जारी है। वे हमेशा एक दूसरे के साथ रहते हैं, और एक दूसरे के सहयोग से सफलता हासिल करते हैं।
खरगोश और छोटू की दोस्ती एक मिसाल है कि यदि हम सहयोग करते हैं तो हम दुनिया में हमेशा सफल हो सकते हैं। वे हमेशा एक दूसरे के साथ एक समझौते पर चलते हैं और हमेशा एक दूसरे के साथ उदार और अधिक समझदार रहते हैं।
इस कहानी से हमे पता चलता है की मित्र को हमेशा अपने मित्र का सहयोग करना चाहिए और उसके साथ रहना चाहिए ।
इस कहानी में हमे पता चलता है की चूहे जिसे छोटू के नाम से जानते है वह खरगोश का दोस्त था और दोनो में चोली दामन के साथ की तरह की बात थी।