दाल न गलना मुहावरे का अर्थ और वाक्य प्रयोग

daal na galna muhavare ka arth, दाल न गलना मुहावरे का अर्थ और वाक्य प्रयोग

अगर दाल की सब्जी बनी होती है तो दाल का गलना काफी जरूरी होता है । क्योकी बिना गली दाल की सब्जी कभी अच्छी नही लगती है । तो दाल को गलाना जरूरी है । मगर यह एक मुहावरा भी है जो की ‌‌‌काफी अधिक महत्वपूर्ण माना जाता है । तो आइए जानते है की इस मुहावरे का अर्थ क्या होता है और इसका वाक्य में प्रयोग किस तरह से होता है

दाल न गलना मुहावरे का अर्थ क्या होगा

‌‌‌मुहावरा ‌‌‌हिंदी में (idiom in Hindi)मतलब‌‌‌ ‌‌‌या अर्थ (Meaning in Hindi)
दाल न गलनासफल न होना ।

दाल न गलना मुहावरे को समझने का प्रयास करे

विद्वानो आपने दाल तो जरूर देखी होगी । और इस दाल की सब्जी बनाने से पहले इसे पानी के अंदर भिगोया जाता है ताकी दाल जो होती है वह अच्छी तरह से गल जाए । मगर जब काफी समय तक दाल को पानी के अंदर भिगोने के बाद भी दाल नही गलती है तो इसका मतलब है की आप जो कुछ कर ‌‌‌रहे थे उसमें सफल नही हुए । और यही कारण है की दाल न गलना मुहावरे का अर्थ सफल न होना होता है ।

दाल न गलना मुहावरे का अर्थ और वाक्य प्रयोग

दाल न गलना मुहावरे का वाक्य में प्रयोग

‌‌‌वाक्य में प्रयोग किसनलाल वृद्धावस्था की पेंशन बनाने के लिए कई दिनो से सरकारी दफ्तर का चक्कर लगा रहा है मगर अभी तक उसकी दाल नही गली ।

‌‌‌वाक्य में प्रयोग आतंकवादी ने प्लेन को हाईजैक कर लिया था और खतरनाक गुन्हेगार को छोड़ने की मांग कर रहे थे मगर हमारी इंडियन आर्मी के होने के कारण से उनकी दाल नही गली और वे पकड़े गए ।

‌‌‌‌‌‌वाक्य में प्रयोग इंडियन आर्मी के होने के कारण से आज तक किसी भारत में आतकवादी की दाल नही गली ।

वाक्य में प्रयोग महेश चोरी के जुर्म में पड़ा गया मगर उसने लाख कोशिश की की वह स्वयं को बेगुनाह साबित कर ले मगर दाल नही गली ।

आखिर किस तरह से खरगोश की दाल नही गली, एक कहानी

एक बार की बात है एक जंगल में एक खरगोश रहता था। उसे अपने दोस्तों के साथ दौड़ना और खेलना बहुत पसंद था। खरगोश हमेशा अपने दिन जंगल में घूमने और नई चीजें सीखने में बिताते थे।

खरगोश जंगल में सबके साथ अच्छा व्यवहार करता था, लेकिन तभी कुछ बदल गया। अब खरगोश आक्रामक है और उसके पास कोई शिष्टाचार नहीं है। ‌‌‌और यह जानकारी जानवरो के एक शोधकर्ताओ ने उसे दी । ‌‌‌मगर खरगोश देखने में ऐसा नही लग रहा था जिसके कारण से शौधकर्ता की बात जानवरो ने नही मानी ।

एक बार की बात है, एक खरगोश था जो अपने माता-पिता के साथ कहीं जा रहा था। दुर्भाग्य से, उसके माता-पिता शेर द्वारा पकड़े गए! खरगोश को अपने दम पर भागना पड़ा और अपने लिए संभलना पड़ा। वह भाग्यशाली था कि उसके पास बहुत साहस और संसाधनशीलता थी, और वह जीवित निकल आया। ‌‌‌मगर अपने माता पिता को न बचाने के कारण से खरगोश काफी दुखी था ।

खरगोश ने शेर से अपने माता-पिता का बदला लेने की सोची। एक दिन, जब शेर घास खा रहा था, खरगोश उसके पीछे आ गया और उसकी गर्दन को जोर से काट लिया। शेर दर्द से चिल्लाया और भाग गया। खरगोश को संतोष हुआ कि आखिरकार उसने अपने माता-पिता से बदला ले लिया है।

अगले दिन शेर खरगोश को ढूंढने लगा। यह इसे मारना चाहता था। खरगोश भाग्यशाली था कि शेर के आने पर वह एक छेद में छिप गया था।  खरगोश अपनी जान बचाने के लिए शेर से छिप गया। यह छोटे जानवर के लिए एक करीबी कॉल था, लेकिन यह शिकारी से तब तक छिपने में सफल रहा जब तक कि उसके पास भागने का समय नहीं था। खरगोश की त्वरित सोच ने उसकी जान बचा ली, और वह अपने भाग्यशाली पलायन को कभी नहीं भूलेगा।

‌‌‌अगले दिन खरगोश ने सोचा की शेर को किसी तरह से इस जंगल से भगा देना चाहिए । और यही सोच कर खरगोश ने जंगल के जानवरो से मदद मागी । और यह जानकार जानवर समझ नही सके की आखिर उनसे किस बात के लिए मदद मागी जा रही है । अंतत जानवरो ने हां कह दी । मगर जब जानवरो को पता चला की खरगोश शेर को जंगल से भगाने की बात कर रहा है तो जानवर ने साथ देने से मना कर दिया और सभी जोरो सोरो से हंसने लगे और कहा की देखो खरगोश जंगल के राजा को ही उसके स्थान से निकाले वाले है ।

इस तरह से कहने पर खरगोश को पता चल गया की उसकी यहां पर दाल नही गली है । और इस कारण से फिर खरगोश ने किसी अन्य तरह का दिमाग लगाया । मगर ‌‌‌उसी समय शेर फिर से खरागेश को खाने के लिए आ जाता है ।और यह देख कर खरगोश मदद के लिए सभी जानवरो से गुहार लगाता है ।

मगर जानवर शेर से डर कर भाग जाते है । और यह सब देख कर खरगोश समझ नही पा रहा था की आखिर क्या किया जाए । समय जैसे जैसे बितता था टिक टिक टिक ………. वैसे ही शेर खरगोश के नजदीक ‌‌‌आता जा रहा था ।

अंत में जैसे ही शेर ने खरगोश को खाने के लिए झपटा मारा तो खगोश भाग कर बिल्ली में छिप गया था । मगर शेर बिल्ली के बहार ही बेठा रहा था । खरगोश को यह पता था मगर काफी समय हो गया तो खरगोश शेर को मारने के लिए बहार आया और उसने शेर को मारने के लिए अपने साथ तरह तरह के हथियार ले लिए ‌‌‌।

दाल न गलना मुहावरे का अर्थ और वाक्य प्रयोग

खरगोश कई बार शेर से जीत चुका था तो उसे लगा की इस बार शेर का अंत हो जाएगा । और उस पर हमला कर देता है । हमला करने के कारण से शेर को पता चल जाता है की खरगोश बहार आ गया है । तो शेर ने खरगोश को पकड़ा और उसे खा गया । और फिर वहां से चला गया ।

‌‌‌यह सब जंगली जानवर देख रहे थे जिन्होने कहा की खरगोश मुर्ख था जो की शेर को मारने की कोशिश कर रहा था मगर उसकी दाल नही गली और इसी तरह की मुर्खता हम कोई नही करना चाहते है । इसके बाद में सभी ने कहा की हम कभी शेर से जीत नही सकते है तो इस बारे में सोचना तक नही । अगर सोचोगे तो खरगोश के जैसा हाल होगा ।

‌‌‌इस तरह से बाकी जानवरो को समझ में आया की वे शेर से कभी जीत नही सकते है । और जंगल था जनाब इसी तरह से चलता रहता है और आगे भी इसी तरह से चलता रहा । मगर हमारी कहानी खत्म हो जाती है ।

इस तरह से दोस्तो खरगोश की दाल नही गली थी ।

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