खटाई में पड़ना मुहावरे का अर्थ , khatai mein padna muhavare ka arth or vakya mein prayog
खटाई मे पड़ने का मतलब यह नही है की आप किसी खट्टी वस्तु के अंदर डुबकी लगा ले । बल्की यह एक तरह का मुहावरा है और आपको बता दे की यह प्रसिद्ध मुहावरो की लिस्ट में सामिल हो चुका है। आज भारत में जीतने भी एग्जाम में हिंदी पूछी जाती है उनमे लगभग यह मुहावरा आ चुका है । तो आइए जानते है की इसका अर्थ क्या है और इसका वाक्य प्रयोग क्या है साथ ही एक कहानी भी जान लेते है –
खटाई में पड़ना मुहावरे का अर्थ क्या होता है khatai mein padna muhavare ka arth
मुहावरा (idiom in Hindi) | अर्थ या मतलब (Meaning in Hindi) |
खटाई में पड़ना | किसी झंझट के अंदर फंस जाना । |
खटाई में पड़ना एक मुहावरा है जिसका अर्थ होता है किसी झंझट के अंदर फंस जाना । आपको बता दे की झंझट एक तरह की परेशानी या एक ऐसी स्थिति होती है जिसमे कुद निश्चित नही किया जा सकता है । यानि सब कुछ ऐसा लगे की सही हो और सब कुछ ऐसा लगे की गलत हो । तो इस तरह की स्थिति को झंझट कहा जाता है । तो इस तरह से आज के विद्वान भाईयो खटाई में पड़ना मुहावरे का अर्थ होता है किसी झंझट में फसना ।
खटाई में पड़ना मुहावरे का वाक्य में प्रयोग , khatai mein padna muhavare ka arth or vakya mein prayog
1. वाक्य में प्रयोग – महेश तो हमेशा खटाई में पड़ा नजर आता है ।
2. वाक्य में प्रयोग – जब किसन जीडी का एग्जाम देने के लिए जाने वाला था तो उसी दिन उसके पैर पर चोट लग 3. वाक्य में प्रयोग – गई और उसका पेपर खटाई में पड़ गया और वह पेपर देने के लिए नही जा पाया ।
4. वाक्य में प्रयोग – अरे क्यो बेवजह पुलिसवालो को अपने मुंह लगा कर खटाई में पड़ रहे हो ।
5. वाक्य में प्रयोग – महेश ने पुलिस वालो से बदतमीजी कर कर स्वयं ही खटाई में पड़ गया ।
राजवीर पुलिसकर्मी के कारण खटाई में पड़ गया एक प्रसिद्ध कहानी
आपने वैसे तो इस कहानी के बारे में नही सुना होगा मगर हमारे यहां पर यह एक प्रसिद्ध और सच्ची घटना है । दरसल राजवीर हमेशा गुस्सैल स्वभाव का था। वह कभी भी अपने गुस्से पर काबू नहीं रख पाता था और अक्सर जो भी उसके सामने आता था, उस पर झपट पड़ता था। उसका परिवार उसके बारे में बहुत चिंतित था और उसने उसकी मदद करने की कोशिश की, लेकिन राजवीर ने एक न सुनी। राजवीर अपने माता-पिता से भी गुस्से में बात करता था। लेकिन अब जब वह वयस्क हो गया है, तो उसने सीख लिया है कि उनके साथ अधिक रचनात्मक तरीके से कैसे संवाद किया जाए। उनका मानना है कि प्रभावी संचार की कुंजी आपके साथी की प्रेरणाओं और भावनाओं को समझ रही है। मगर अब भी उसके अंदर गुस्सा भरा हुआ था ।
राजवीर रास्ते में शहर जा रहा था। रास्ते में उसे एक पुलिसकर्मी मिला और उसने उसे रोका लेकिन वह पुलिसकर्मी के साथ बदसलूकी करने लगा। राजवीर ने उससे पूछा कि क्या हुआ है और पुलिसकर्मी ने कहा कि उसे अनुचित व्यवहार करने के लिए राजवीर को रोकने के लिए भेजा गया था। राजवीर ने उससे कहा कि वह कुछ गलत नहीं कर रहा है, लेकिन पुलिसकर्मी ने नहीं सुना। आखिरकार राजवीर को गुस्सा आ गया और उसने पुलिसकर्मी को धक्का दे दिया, जिसने उसे गिरफ्तार कर लिया।
मगर उसके मामा एक हवलदार थे तो पुलिसकर्मी ने उसे छोड़ दिया और चेतावनी दी की आगे से वह किसी भी पुलिसकर्मी के साथ बदतमीजी न करे । तब राजवीर ने भी सर झुका लिया और यही कारण था की उस समय राजवीर को पुलिसकर्मी ने जाने दिया ।
जब पूरे गांव के लोगों को राजवीर के पुलिसकर्मी के साथ दुर्व्यवहार के बारे में पता चला, तो सभी राजवीर से ऐसा न करने के लिए कहने लगे। कुछ दिनों तक ऐसा ही चलता रहा जब तक कि आखिरकार राजवीर को एहसास नहीं हुआ कि उसे अपने व्यवहार के लिए पुलिसकर्मी से माफी माँगने की ज़रूरत है।
इस बात को एक महिना ही बिता था की एक दिन राजवीर बाईक पर दूसरे शहर से अपने गाव की तरफ आ रहा था । मरग शहर में ही उसे पुलिसकर्मी मिल गए । भारत के पंजाब निवासी 23 वर्षीय राजवीर मुंबई की सड़कों पर अपनी मोटरसाइकिल चला रहे थे, जब उन्हें एक पुलिसकर्मी ने रोका। पुलिसकर्मी ने राजवीर के कागजात मांगे लेकिन राजवीर के पास कोई नहीं था। इसके बाद पुलिसकर्मी ने राजवीर को सिर पर हेलमेट नहीं होने पर डांटा और बाकी कागजात मांगे। राजवीर को शर्मिंदगी महसूस हुई और समझ नहीं आ रहा था कि क्या करे।
दुर्व्यवहार के लिए सजा से बचने के लिए राजवीर को एक पुलिसकर्मी को रिश्वत देने की कोशिश करते हुए रंगे हाथ पकड़ा गया था। यह घटना शहर के बाहरी इलाके में एक सुनसान जगह पर हुई, और अधिकारी को भुगतान करने के प्रयासों से राजवीर की हताशा स्पष्ट थी। पुलिसकर्मी ने कोई पैसा नहीं लिया और राजवीर को पकड़ लिया और जेल में डाल दिया ।
इस बार राजवीर को उसके चाचा भी नही छुटवा सके थे । बल्की उन्होने कहा की तुम बार बार अपनी बदसलूकी के कारण से और गुस्से के कारण से पुलिसकर्मी के साथ सही तरह से पेश नही आते हो और जेल में चले आते हो । अगर तुमने ऐसा नही किया होता तो तुम आप खटाई में नही पड़ते । तभी राजवीर के पिता वहां पर आ जाते है और उन्होने कहा की मैं तुम्हे काफी समय से कह रहा हूं की अपने गुस्से को काबू में रखे और अगर आज गुस्सा नही करते तो आज खटाई में पडना नही होता था । मगर तुम तो हर बार ऐसे ही करते हो । और इस बार पुलिसकर्मी तुम्हे जाने भी नही दे रहा है । मेरी फुटी किसमत है जो की मैं तुम्हारे जैसे नालायक बेटे का पिता हूं । इस तरह से कहते हुए राजवीर के पिता वहां से चले गए और इस घटना के कारण से राजवीर को तीन महिने की सजा हो गई । इस तरह से राजवीर अपने गुस्से के कारण से पुलिसकर्मी के साथ बार बार बदसलूकी करता रहा था । और खटाई में पड़ जाता था ।