नाकों चने चबाना मुहावरे का अर्थ ‌‌‌क्या है जानिए सरल भाषा में

नाकों चने चबाना मुहावरे का अर्थ, nako chane chabana muhavare ka arth aur vakya mein prayog

आपके पास एक नाक है और उसका उपयोग हम श्वास लेने और श्वास छोड़ने के लिए करते है। और आप जैसे ज्ञानी को यह बात अच्छी तरह से पता है । तो आखिर यह मुहावरा ऐसा क्यो है और इसका ‌‌‌अर्थ क्या है जैसी बातो के बारे में हम इस लेख में चर्चा करेगे । तो लेखे और ज्ञान हासिल करे –

नाको चने चबाना मुहावरे का अर्थ क्या होता है

‌‌‌मुहावरा ‌‌‌हिंदी में (idiom in Hindi)मतलब‌‌‌ ‌‌‌या अर्थ (Meaning in Hindi)
नाको चने चबानाबहुत परेशान करना।

नाको चने चबाना मुहावरे को समझने का प्रयास करे

चने के बारे में आप जैसे ज्ञानी को पता होगा । और आपने सुखे चने कई बार खाए भी होगे । अगर नही खाए है तो मार्केट से चने खरीदे और फिर उसे खाए । आपको देखने को मिलेगा की चनो को खाने में काफी जोर आता है यानि काफी परेशानी होती है मगर वही चने आपको नाक के ‌‌‌माध्यम से अपने शरीर में पहुंचाने हो और वह भी चबा चबा कर तो आप यह कहते ही कहेगे की ऐसा कभी हो ही नही सकता है । अगर हमने आपसे ऐसा करवाने की कोशिश की तो आपको बहुत परेशान करना होगा । और यही कारण है की नाको चने चबाना मुहावरे का अर्थ बहुत परेशान करना होता है ।

‌‌‌विद्वान साथियो किसी भी मुहावरे के लिए यह काफी नही होता है की उसके अर्थ को समझ ले । इसके बाद में वाक्य प्रयोग होते है जो की आपको आने काफी जरूरी है तो आइए जानते है इसके वाक्य प्रयोग किस तरह से होगे –

नाकों चने चबाना मुहावरे का अर्थ ‌‌‌क्या है जानिए सरल भाषा में

नाको चने चबाना मुहावरे का वाक्य में प्रयोग

वाक्य में प्रयोग कौरव ने युद्ध में मांडवो को हराने की सोची थी मगर युद्ध में हुआ उल्टा मांडवो ने कोरवो को नाको नचे चाबा दिए ।

‌‌‌वाक्य में प्रयोग संजयदत ने फिल्मी दुनिया में अपना एक अलग ही नाम बनाया और जो उनकी बात नही मानते उन्हे वे नाको चने चबा देते है ।

‌‌‌वाक्य में प्रयोग जब पाकिस्तान ने भारत पर हमला किया तो इंडियन आर्मी ने उन्हे नाको चने चबाना शुरू कर दिया ।

वाक्य में प्रयोग भारत को बर्बाद करने के लिए आंतकवादियो ने कई चाले चली, मगर एक बार इंडियन आर्मी ने आंतकवादियो को नाको चने चबा दिए जिसके बाद में भारत में आंतकवादी दिखाई तक नही देते है ।

‌‌‌आखिर कैसे बिल्ली ने बंदरो को नाको चने चबा दिए, एक प्रसिद्ध कहानी

एक जंगल में एक बहुत ही सुंदर और सुंदर बिल्ली रहती थी। बिल्ली इतनी खूबसूरत थी कि ‌‌‌जानवर अक्सर रुककर उसे निहारते। बिल्ली हमेशा खुश दिखती थी, चाहे कुछ भी हो जाए। बिल्ली हमेशा अपना जीवन अच्छे से जीती थी। उन्हें किसी में कोई दिलचस्पी नहीं थी, अकेले रहना पसंद करते थे। वह हमेशा खुश और संतुष्ट नजर आते थी ।

‌‌‌एक दिन बिल्ली जहां सो रही थी वहां पर बंदर आ जाते है और बिल्ली को परेशान करने लग जाते है । और यह सब होने के कारण से बिल्ली काफी नाराज हो जाती है । और बंदरो को जाने को कहती है । मगर बंदर भी कम नही थे जो परेशान हो रहा था उसे परेशान करने में लगे रहते थे । उसी तरह से जो बिल्ली थी वह काफी ‌‌‌परेशान हो रही थी और यह देख कर बंदर खुश हो रहे थे ।

मगर मजा कुछ ही पल का था और अब दोनो में एक तरह की दुश्मनी का जन्म होने लगा था । क्योकी बंदर बिल्ली को परेशान करना छोड़ते नही है । तब बिल्ली थक हार कर बंदरो पर वार करना शुरू कर देती है और अंत में बिल्ली जो होती है वह थक जाती है और बंदर ‌‌‌भी थक जाते है । जिसके कारण से बंदर वहां से चले जाते है और बिल्ली आराम से सो जाते है ।

अगले दिन की बात है बिल्ली आराम से बिस्तर ओर तकिया लगा कर सो रही थी उसके पास खाना रखा हुआ था । तरह तरह का भोजन था जो की दुर दुर तक खुशबू फैला रहा था ।

इस खुशबू ने बंदरो को आने पर मजबूर कर दिया और बंदर ‌‌‌बिल्ली के पास आ जाते है और उसका सारा का सारा खाना खा कर पास के पेड़ पर शौर करने लगते है । और शोर सुन कर जब बिल्ली की आंखे खुलती है तो उसकी ध्यान बंदरो पर जाता है और वह देखते ही घुस्सा हो जाती है ।

तभी उसका ध्यान अपने भोजन पर जाता है तो बिल्ली देखती है की उसका भोजन वहां पर नही है। और यह सब ‌‌‌देखने के बाद में बिल्ली काफी अधिक गुस्से में आ जाती है ओर अब वह बंदर को वहां से जाने को कहने गल जाती है और बिल्ली ने कहा की तुमने मेरा खाना खा कर अच्छा नही किया । मगर बंदर शरारती थे वे बिल्ली सेलड़ने लगे थे  ।

बिल्ली को इस बार खरगोश ने नाको चने चबा दिए थे और बिल्ली स्वयं ही थक हार ‌‌‌कर वहां से चली जाती है । जब बंदर को पता चलता है की बिल्ली वहां पर नही है तो वह बिल्ली की तलाश जारी रखते है । मगर बिल्ली कही नही मिलती है । बंदरो को लगता है की बिल्ली नाराज हो गई है तो उन्होने बिल्ली को तलाशा । काफी समय तक बिल्ली को इधर उधर ढूंढने पर भी वह नही मिलती तो बंदर अपने ‌‌‌निवास स्थान पर चले जाते है ।

अगले दिन की बात है बिल्ली फिर से वही पर मिलती है ओर बंदर भी वही पर आ जाते है । पास में ही एक सेब का पेड़ था और बंदर सेव खाते रहते ओर कुछ भाग जमीन पर फैंकने लगे थे । और यह जो सेब का बंचा हुआ भाग था वह सिधा बिल्ली के सर पर जाकर लगता था ।

‌‌‌और इस तरह से बिल्ली फिर से काफी परेशान हो गई थी । तब बिल्ली ने बंदरो से कहा की तुम्हे एक बात समझ में नही आती है क्या मुझे परेशान करना बंदर करो । यह सुन कर बंदरो ने पूरे के पूरे सेव को बिल्ली पर फैंक दिया । तब बिल्ली ने कहा की तुम यही पर रहना आज तुम्हारा अंत होगा । बंदरो ने कहा की हां ‌‌‌ठिक है यही पर मिलेगे जिसको बुलाना हो बुलालो ।

यह सुन कर बिल्ली वहां से चली जाती है और शेर के पास जाती है । और शेर से बिल्ली कहती  है की राजा साहब मैं आपकी ही प्रजाती की एक सदस्य हूं  । बिल्ली ने कहा की कुछ बंदरो ने उसे नाको चने चबा दिए है ।

‌‌‌आखिर कैसे बिल्ली ने बंदरो को नाको चने चबा दिए, एक प्रसिद्ध कहानी

 तो आप उन्हे खा जाओ । ऐसा करने के कारण से आपको भोजन मिल जाएगा । ‌‌‌बंदर रोज वहा पर आते है तो आपको भोजन की ‌‌‌तलाश में जाना नही होगा । बिल्ली की बात सुन कर शेर उसके साथ आया और बंदरो को देख कर एक दहाड़ लगाई ।

जिसके कारण से कुछ बंदर जमीन पर गिरे तो कुछ डर के मारे भाग गए । एक आधा बंदर शेर का शिकार बना । इसके बाद में शेर रोज वहां पर आने लगा था और जब बंदर बार बार ‌‌‌शेर को वहां पर देखने लगे तो वह वहां फिर कभी नही आए । और इसका नतीजा यह हुआ की बिल्ली आराम से रहने लगी थी । इस तरह से बिल्ली का जीवन पहले की तरह हो गया था ।

‌‌‌इस तरह से बिल्ली को नाको चने चबाने पड़े थे ।

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