अक्ल का दुश्मन मुहावरे का अर्थ और वाक्य में प्रयोग किजिए

अक्ल का दुश्मन मुहावरे का अर्थ, akal ka dushman muhavare ka arth likhkar vakya mein prayog kijiye

‌‌‌अक्ल का दुश्मन एक प्रसिद्ध मुहावरा रह चुका है । अभी हाल में जो एग्जाम हुए थे उनमे यह अच्छी तरह से पूछा गया था  । तो हम कह सकते है की यह महत्वपूर्ण मुहावरा है । दोस्त इस कारण से आपको इस मुहावरे के बारे में अच्छी जानकारी होनी जरूरी है और इस लेख में हम यह सब जान लेगे ।

अक्ल का दुश्मन मुहावरे का अर्थ क्या होता है

‌‌‌मुहावरा ‌‌‌हिंदी में (idiom in Hindi)मतलब‌‌‌ ‌‌‌या अर्थ (Meaning in Hindi)
‌‌‌अक्ल का दुश्मनमूर्ख व्यक्ति या वह जो समझ कर काम न करे ।

‌‌‌अक्ल का दूश्मन मुहावरे को समझने का प्रयास करे

‌‌‌अक्ल को हमेशा बुद्धिमान माना जाता है । ‌‌‌और मानव अपनी बुद्धि के उपयोग से जो चाहे वह कर सकता है । और यह तभी होता है जब बुद्धि मानव के साथ होती है । मगर जब बुद्धि मानव के साथ न होकर उसकी दुश्मन होती है तो कभी भी मानव जो चाहे वह नही कर सकता है । और जो कुछ करता है वह बिना बुद्धि के उपयोग से करता है । जिसके कारण से मानव मुर्ख माना जाता ‌‌‌है । और ऐसे व्यक्ति के लिए कहा जाता है की यह समझ कर काम नही करता है । तो इस तरह से जो मुर्ख होता है या समझ कर काम नही करता है उसे अक्ल का दूश्मन कहा जाता है । यानि अक्ल का दूश्मन मुहावरे का अर्थ मूर्ख व्यक्ति या वह जो समझ कर काम न करे होता है ।

‌‌‌विद्वान साथियो आपको अर्थ के बारे मे समझ में आ गया । मगर इसका मतलब यह नही है की मुहावरा के बारे मे जानकारी खत्म हो गई है । अब आपको वाक्य में प्रयोग भी जान लेने चाहिए ।

अक्ल का दुश्मन मुहावरे का अर्थ और वाक्य में प्रयोग किजिए

अक्ल का दूश्मन मुहावरे का वाक्य में प्रयोग

‌‌‌ वाक्य में प्रयोगकोविड के समय सरकार ने घर से निकलने के लिए साफ मना कर दिया था मगर राम ठहरा अक्ल का दुश्मन वह घर से बाहर निकला और कोरोना हो गया ।

वाक्य में प्रयोगकिसन ने अपने बेटे को काफी समझाया की कोई काम कर ले ताकी भविष्य में वह काम आ सके मगर उस अक्ल के दूश्मन को कुछ समझ में नही आया ।

वाक्य में प्रयोगशिक्षक ने बच्चो को खुब ‌‌‌अच्छा अध्ययन करवाया और अंत में राहुल से एक प्रशन पूछा और उत्तर न देने पर शिक्षक ने कहा तुम तो अक्ल का दूश्मन हो ।

वाक्य में प्रयोगरिया को एक लड़के ने हाय कहा था मगर वह ठहरी अक्ल की दुश्मन उस लड़के से लड़ने लगी ।

आखिर क्यो बना बंदर अक्ल का दूश्मन

‌‌‌बहुत समय पहले की बात है एक जंगल हुआ करता था । ‌‌‌उस जंगल में तरह तरह के जानवर रहते थे मगर उनमे से ही एक बंदर था ।  बंदर को जीवन और उससे जुड़ी हर चीज से प्यार था। वह हमेशा उत्सुक रहता था, इधर-उधर कूदता रहता था और वह सब कुछ खोजता रहता था जो उसे मिलता था।

एक दिन, जब बंदर अपनी पूँछ से पेड़ों के बीच झूल रहा था, तो उसे एक गिरा हुआ पेड़ का तना मिला जिसमें एक दिलचस्प छेद था। वह यह देखने के लिए अंदर चढ़ गया कि नीचे क्या छिपा है। जैसे ही उसने छेद से बाहर झाँका, उसने देखा कि एक बड़ा, डरावना जानवर उसकी ओर आ रहा है! सहज रूप से, बंदर अपने जीवन के लिए पेड़ के तने पर चढ़ गया और अपनी सभी नई रोमांचक खोजों से भरे जंगल में वापस चला गया।

‌‌‌इस बारे में बंदर ने सभी को बताया तो किसी को यकिन नही हुआ था । सभी को लगा की बंदर नादान है तो ऐसे ही बाते बना लेता है।

एक बार जंगल के सभी जानवरो ने एक टीम बनाई और यह तय किया की जंगल की रक्षा कौन करेगा । सभी जानवरो की एक एक कर कर बारी आने वाली थी और रात को सभी को पहरा देना था । सभी को इस बारे मे काफी अच्छी तरह से समझाया गया था और अंत में जब सभी से पूछा की आपको समझ में आ गया है की नही । तब सभी ने कहा की हमे समझ में ‌‌‌आ गया ।

पहले दिन बिल्ली रात को जंगल का पहरा दे रही थी । ‌‌‌रात को पहरा देना शुरू करती है और बिल्ली मस्ती कर रही थी। वह एक ठंडी, छायादार जगह में सिमटी हुई थी, जंगल को सोती देख रही थी जबकि कुत्ते भौंक रहे थे और गिलहरियाँ दूर से फुसफुसा रही थीं। कितनी शांति थी, उसने सोचा। अचानक उसे दूर से शोर सुनाई दिया।

ऐसा लग रहा था जैसे कोई आ रहा हो। बिल्ली घबराई- वह इंसानों के साथ खिलवाड़ करने से बेहतर जानती थी, लेकिन कभी-कभी वे बिना देखे ही चुपके से निकल जाते हैं और चीजों को पीछे छोड़ देते हैं। वह अपने बसे से कूद गई और शोर की ओर बढ़ने लगी, सावधान लेकिन जो कुछ भी उसके रास्ते में आया उसके लिए तैयार थी। ‌‌‌मगर अंत में उसने देखा की यह तो एक उल्लू है जो की रात को इधर उधर जा रहा है । इस कारण से बिल्ली अपने निवास स्थान पर चली जाती है और अगले दिन सुबह यह सब बाते बाकी जानवरो को बता कर अपना काम खत्म करती है ।

‌‌‌दूसरे दिन जंगल का पहरा देने की बारी हिरण की आती है । हिरण रात में जंगल में शिकारियों के लिए चौकस नजर ‌‌‌रहा था। ‌‌‌मगर हिरण को ऐसा कुछ नजर नही आया जो परेशान करने वाला था और इसी तरह से रात बित गई और सुबह हो गई । हिरण ने यह सब बाते पूरे जानवरो को बताई और अपना काम खत्म किया ।

‌‌‌तिसरे दिन जंगल का पहला देने के लिए बंदर को बुलाया जाता है । और अब बंदर जंगल का पहला देने के लिए तैयार था । रात हो गई सभी जानवर सो गए मगर बंदर अकेला था जो की पहला देने के लिए तैयार था । ‌‌‌मगर अब बंदर के सामने एक समस्या थी उसे पता नही था की आखिर पहरा कैसे दिया जाता है । तब बंदर को लगा की यहां पर सोना है और वह रात को सो गया । बंदर को गहरी निंद आ गई और तभी वहां पर एक शेर आ गया और उसने चुपके से एक हिरण को मार गिरा और उसे खा कर चला गया ।

आखिर क्यो बना बंदर अक्ल का दूश्मन

अगले दिन जब इस सबके बारे में बाकी जानवरो ‌‌‌को पता चला तो उन्होने बंदर को बुलाया और पूछा की रात को कोन आया था । एक हिरण गायब है । तब बंदर ने कहा की मुझे क्या मालूम मैं तो पहरा दे रहा था । यह सुन कर सभी हैरान हो गए तो जानवरो ने बंदर से पूछा की तुम सो तो नही गए थे । तब बंदर ने कहा की हां मुझे निंद आ गई थी ।

यह सुन कर बाकी जानवर बोले तो ‌‌‌फिर कैसा पहरा दे रहे थे । मगर बंदर को कुछ समझ में नही आया और उसने कहा की पहरा ऐसे ही दिया जाता है । तब सभी जानवरो ने कहा की उस दिन सभा में सभी को समझाया था की किस तरह से पहरा देना है । मगर तुम तो अक्ल के दूश्मन हो जिसको कुछ समझ में नही आया ।

इस घटना के बाद में सभी जानवर ने हिरण की मोत का ‌‌‌जिम्मेदार बंदर को माना और फिर कभी भी बंदर को ऐसा काम नही दिया जो की उसे समझ में न आए ।

इस तरह से बंदर अक्ल का दुश्मन बन गया था ।

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