अंधे की लाठी मुहावरे का अर्थ, वाक्य और कहानी

अंधे की लाठी मुहावरे का अर्थ, andhe ki lathi muhavare ka arth aur vakya mein prayog

अंधे के पास हमेशा एक लाठी होती है तो यह एक मुहावरे के रूप में क्यो प्रयोग होता है और इसका अर्थ क्या होता है । साथ ही इस मुहावरे का वाक्य में प्रयोग कैसे होता है जैसे ‌‌‌कुछ प्रशन आपके दिमाग के अंदर बसे हुए है । तो हम सब कुछ आपको बताएगे लेख देखे और उत्तर जाने –

अंधे की लाठी मुहावरे का अर्थ क्या होगा

‌‌‌मुहावरा ‌‌‌हिंदी में (idiom in Hindi)मतलब‌‌‌ ‌‌‌या अर्थ (Meaning in Hindi)
अंधे की लाठीएकमात्र सहारा होना ।

अंधे की लाठी  मुहावरे को समझने का प्रयास करे

अगर आपके पास आंखे है और आप देख सकते है तो यह आपके लिए दुनिया की सबसे खुबसूतर चीज होगी । क्योकी आंखो से ही आज अनेक तरह की वस्तुओ को देखा जाता है और आनन्द लिया जाता है  ।साथ ही कही पर जाना होता है तो आंखो की मदद से आसानी से जा सकते है ।

मगर जिस ‌‌‌किसी के पास आंखे नही होती है उसे अंधा कहा जाता है ।

और इस तरह का अंधा व्यक्ति किसी दूसरे स्थान पर जाने के लिए अपनी आंखो का उपयोग नही करता है बल्की इसके पास एक अलग एक लाठी होती है और उसी के सहारे आगे बढता रहता है । तो कहा जाता है की अंधे के लिए उसकी लाठी एकमात्रा साहरा होता है । और इस ‌‌‌आधार पर अंधे की लाठी मुहावरे का अर्थ एकमात्र साहरा होना होता है ।

अंधे की लाठी मुहावरे का अर्थ, वाक्य और कहानी

‌‌‌अंधे की लाठी मुहावरे का वाक्य में प्रयोग करे

‌‌‌1. वाक्य में प्रयोग इस दुनिया के जन्म मरण से मुक्ती पाने के लिए श्री कृष्ण ही मेरी अंधे की लाठी है ।

2. वाक्य में प्रयोग किसन हमेशा चंदाराम को अपने साथ पुलिसस्टेशन छोड़ देता है आप तो यह समझो की चंदाराम की अंधे की लाठी किसन है ।

3. वाक्य में प्रयोग जब पार्वती बीमार हो गई तो उसके पति ने ही अंधे की लाठी बन कर उसकी सेवा की ।

‌‌‌4. वाक्य में प्रयोग इस अंधे की लाठी ने मुझे सफलता तक पहुँचाया है।

‌‌‌5. वाक्य में प्रयोग राजवीर दिन रात अपने दोस्तो के साथ समय बिताता है मगर उसे पता है की इनके अलावा उसकी मां ही उसकी अंधे की लाठी है ।

6. वाक्य में प्रयोग भारत देश की सुरक्षा करने के लिए इंडियन आर्मी अंधे की लाठी बनी हुई है ।

‌‌‌आखिर कैसे खरगोश बना हिरण की अंधे की लाछी एक प्रसिद्ध कहानी

एक बार एक छोटा सा खरगोश हिरण बनने के लिए बड़ी मेहनत कर रहा था। वह रोज दौड़ता, उछलता और अन्य शिकारियों से बचता था। खरगोश की मेहनत ने उसे तेज, स्वच्छ और स्वस्थ बनाया था।

एक दिन, खरगोश दौड़ते हुए हिरण से मिला। हिरण देखते ही उसने कहा, “अरे खरगोश, तुम हिरण बनने के लिए बहुत छोटे हो। तुम कभी हिरण नहीं बन सकते।” खरगोश ने श्रद्धापूर्वक सुना और फिर बोला, “मुझे पता है कि मैं हिरण नहीं बन सकता, लेकिन मैं खुश हूं जो मैं हूँ और अपनी मेहनत से संतुष्ट हूं।” वह खरगोश अपनी मेहनत जारी रखता रहा और उसने दिन दूसरे दिन सुबह सफलता हासिल की। अब उसे हिरण बनने की ज़रूरत नहीं थी।

खरगोश ने यह सीख ली कि जब तक आप अपने संघर्षों से निरंतर मेहनत करते रहते हैं तब तक आप कभी निराश नहीं हो सकते। इस तरह खरगोश ने अपने सपनों को साकार करने के लिए अपनी मेहनत के बल पर हिरण बनने की ‌‌‌की मगर हिरण नही बन सकता था मगर वह स्वयं को हिरण के जैसा ताक्तवर बना लेता है ।

एक दिन, खरगोश दौड़ते हुए हिरण से मिला। हिरण ने खरगोश को देखा और कहा, “अरे खरगोश, तुम बहुत छोटे हो। मैं तुम्हें नहीं चोट पहुंचाऊंगा। मैं तुम्हारा दोस्त बनता हूं।” खरगोश बहुत खुश हुआ कि हिरण ने उसे अपना दोस्त बनाया। वे दोनों अब साथ में दौड़ते थे, खेलते थे और जंगल के अन्य जानवरों को देखते थे।

खरगोश के साथ हिरण रोज खेलता था और उसे अपने खुशी में शामिल करता था। खरगोश ने हिरण से बहुत कुछ सीखा और उसे जंगल में अपनी तरह सफलता हासिल करने के लिए मदद दी। खरगोश और हिरण के बीच अब एक गहरा दोस्ती का रिश्ता था। वे दोनों सहयोग करते थे और एक दूसरे का साथ देते थे।

एक दिन, हिरण को जुखाम हो गया और वह अपनी आवाज में कराहने लगा। वह सारी रात अपने जुखाम के कारण परेशान रहा और कोई भी उसकी मदद के लिए नहीं आया। अगले दिन, जब उसने अपनी खोज जारी रखी तो उसे एक खरगोश मिला, जो उसके पास आया था। खरगोश ने हिरण की समस्या सुनी और उसे अपनी सहायता के लिए पेश किया। खरगोश ने हिरण को अपने स्तनों से दूध पिलाया और उसे अपनी सूखी घास खिलाई जो उसके लिए उपयोगी थी।

इस तरह, खरगोश ने हिरण की मदद की और उसे ठीक करने में मदद की। हिरण ने खरगोश की मदद से अपनी समस्या का समाधान पा लिया और उसके लिए उन्हें धन्यवाद दिया। उस दिन से आगे, हिरण और खरगोश एक-दूसरे के बहुत करीब बन गए थे और वे साथ-साथ रहते थे।

मगर एक दिन फिर से हिरण के साथ घटना हो गई । हिरण जब अपनी रोटी-दाल खा रहा था, तभी उस पर एक शेर ने हमला कर दिया। शेर ने हिरण को दौड़ते-दौड़ते पीछे करने की कोशिश की, लेकिन हिरण अपनी जान बचा ली। शेर की गतिविधियों से उसके शरीर में बड़े घाव हो गए थे जो बहुत दर्दनाक थे।

उस दिन से हिरण अपने घावों के लिए बेचारा था और उसकी मदद के लिए कोई नहीं था। लेकिन उसका दोस्त खरगोश उसे अपनी मदद करने के लिए तैयार था। ‌‌‌तब खरगोश ने कहा की इस दुनिया में मेरा ख्याल रखने वाले तुम ही मेरे अंधे की लाठी हो ‌‌‌। यह सुन कर खरगोश ने ने हिरण के घावों की देखभाल की और उसे अपनी सलाह दी कि वह अपने घावों पर लगातार निगरानी रखे।

खरगोश ने अपने दोस्त की सेवा करने के लिए कुछ सुझाव दिए जैसे कि वह नींबू और मेथी का प्रयोग कर सकता है जो उसकी गंभीर चोटों को ठीक कर सकते हैं। हिरण ने खरगोश की सलाह सुनी और उसने अपने घावों पर इस प्रकार का उपचार किया।

खरगोश के मदद से हिरण के घावों का उपचार हुआ जिससे उन्हें राहत मिली। उनके घाव धीरे-धीरे ठीक होते गए और उनकी सेहत भी सुधरने लगी। हिरण खरगोश के बचाव के लिए हमेशा आभारी रहा और दोनों मजेदार खेल खेलने लगे।

खरगोश और हिरण अब एक-दूसरे के लिए दोस्त थे और वे साथ में बहुत समय बिताते थे। वे जंगल में घूमते और खेलते थे जिससे दूसरे प्राणियों को उनकी दोस्ती और मित्रता का अनुभव होता था। खरगोश और हिरण की दोस्ती जंगल में बहुत मशहूर हो गई थी। उनकी जोड़ी अनेकों प्राणियों के बीच प्रसिद्ध थी। वे सभी प्राणी उन्हें स्नेहपूर्ण नजर से देखते थे और उन्हें जाने बिना कहीं भी नहीं जाते थे।

खरगोश और हिरण की दोस्ती दूसरों के बीच एक अद्भुत संबंध था। यह एक उत्कृष्ट उदाहरण था कि एक साथ काम करने, सहयोग करने और आपस में संवाद करने से किसी भी मुश्किल को सहज तरीके से हल किया जा सकता है।

‌‌‌समय के साथ साथ हिरण की उम्र हो गई और वृद्ध हिरण अब ज्यादा दौड़ नहीं सकता था और उसे अपनी खुशियों का आनंद भी नहीं मिलता था। खरगोश ने फिर एक बार हिरण की मदद की और उसे एक सुरंग में ले जाकर बताया कि यहां से बाहर कुछ देरों के लिए बाघ आता है, जिससे हिरण को संभाल लेना चाहिए।

हिरण ने खरगोश की सलाह मानी और सुरंग में रहकर बाघ का आना इंतजार करने लगा। कुछ समय बाद, बाघ आकर हिरण को देख लिया और उसके पास आकर खड़ा हो गया। हिरण का दिल धड़कने लगा, लेकिन वह खरगोश की बात सुनकर थोड़ा सा बहादुर हो गया था।

बाघ ने हिरण को देखते हुए उसे छोड़ दिया और भाग गया। हिरण ने देखा कि उसकी जान बच गई थी और उसके दोस्त खरगोश ने उसे उस खतरे से बचाया था। वह खरगोश को देखकर उसे धन्यवाद देते हुए बोला, “धन्यवाद मेरे दोस्त, आपने मुझे फिर से जीवन दिया है।” इस प्रकार हिरण और खरगोश की दोस्ती सदैव बनी रही।

अंधे की लाठी मुहावरे का अर्थ, वाक्य और कहानी

हिरण जब वृद्ध हो गया तो इस अवस्था में हालत खराब हो रही थी तब खरगोश उसके लिए अंधे की लाठी बना और उसकी खुब सेवा की ओर अंत में हिरण की मृत्यु हो गई । वह दिन खरगोश के लिए बहुत दुखद था, जब उसे पता चला कि उसका दोस्त हिरण गुजर गया है। लेकिन खरगोश को पता था कि वह अकेला नहीं है, वह जब भी उसकी जरूरत होती थी, हिरण की मदद से उसने खुद को मजबूत बनाया था।

अब उसे हिरण की याद बहुत याद आती थी, और वह हर बार अपने दोस्त को याद करते हुए उससे बात करता था। खरगोश ने सोचा कि उसकी सेवा से हिरण ने उसके जीवन को बचाया था, और अब उसे यह जिम्मेदारी निभानी होगी कि वह दूसरों की सहायता करता रहे। वह इस दुखद घटना से अपने जीवन का सबक लेकर, दूसरों की सहायता करते रहा और खुश रहता था।

‌‌‌इस तरह से हिरण के जीवन में उसका दोस्त खरगोश ही उसकी अंधे की लाठी था ।

कहानी अच्छी लगी तो कमेंट में बताना ।

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