छाती पर पत्थर रखना मुहावरे का अर्थ 

chhati par patthar rakhna muhavare ka arth, छाती पर पत्थर रखना मुहावरे का अर्थ 

आप अपनी छाती पर एक पत्थर को जब रखते है तो हो जाता है छाती पर पत्थर रखना…….. मजाक कर रहे है ऐसा कभी नही होता है ।

वैसे यह कोई साधारण तरह का मुहावरा नही है बल्की यह कई बार ‌‌‌परिक्षाओ में पूछा गया है। तो आपको इस लेख में इस मुहावरे के बारे में सब कुछ जानने को मिलेगा तो आइए शुरू करते है –

छाती पर पत्थर रखना मुहावरे का सही अर्थ क्या होगा

‌‌‌मुहावरा ‌‌‌हिंदी में (idiom in Hindi)मतलब‌‌‌ ‌‌‌या अर्थ (Meaning in Hindi)
छाती पर पत्थर रखनाहृदय कठोर करना या हृदय कठोर होना ।

छाती पर पत्थर रखना मुहावरे के अर्थ को समझने का प्रयास करे

दोस्तो छाती जो होती है वह हृदय को कहा जाता है । और आपको बता दे की जो हृदय होता है उसे मन भी कहा जाता है । जो की समय समय पर दुखी होता रहता है । ‌‌‌वैसे अगर छाती पर पत्थर रख लिया जाता है जो जो हृदय या मन के अंदर दुख होता है वह दबा लिया जाता है और वह सहनशील बन जाता है ।

और कहते है की जिसको दुख नही होता है उसका हृदय कठोर होता है । तो इस तरह से कहा जा सकता है की छाती पर पत्थर रखना मुहावरे का अर्थ हृदय कठोर करना या हृदय कठोर होना होता है ।

छाती पर पत्थर रखना मुहावरे का अर्थ 

छाती पर पत्थर रखना मुहावरे का ‌‌‌वाक्य में प्रयोग

1. ‌‌‌वाक्य में प्रयोग महेश की बैंक मनेजर के रूप में नोकरी लगी थी मगर छोटी सी गलती के कारण से उसे नोकरी से निकाल दिया बिचारा अब छाती पर पत्थर रख कर जीवन गुजार रहा है ।

2. ‌‌‌वाक्य में प्रयोग पप्पु पहलवान की लड़की किसी लड़के के साथ भाग गई जिसके कारण से पप्पू पहलवान ने छाती पर पत्थर रख रखा है ।

‌‌‌3. ‌‌‌वाक्य में प्रयोग घर से बेटी के भाग जाने के कारण से हर किसी को छाती पर पत्थर रखना पड़ता है ।

4. ‌‌‌वाक्य में प्रयोग कंचन को डॉकटर ने कहा की तुम्हारी मां को कैंसर है और यह खबर सुनते ही कंचन को काफी दुख हुआ मगर उसने छाती पर पत्थर रखा और अपनी मां के अंतिम दिनो में अच्छी देखभाल की  ।

‌‌‌5. ‌‌‌वाक्य में प्रयोग देश के लिए अपने फोजी भाई के बलिदान को देख कर देश ही नही बल्की उसका परिवार (Family) भी छाती पर पत्थर रख लेता है ।

6. ‌‌‌वाक्य में प्रयोग देश की हिफाजत के लिए हर मां को अपनी छाती पर पत्थर रख कर बेटे को फोजी बनाना चाहिए ।

7. ‌‌‌वाक्य में प्रयोग राहुल जब इंडियन आर्मी में सामिल हुआ तो उसने बताया की उसकी मां ने छाती पर पत्थर रख कर उसे यह काम ‌‌‌करने को कहा है ताकी देश कर रक्षा हो सके ।

8. ‌‌‌वाक्य में प्रयोग सरोज का विवाह हो जाने के बाद में उसके पिता ने अपनी पत्नी से कहा की अब छाती पर पत्थर रखो और बेटी को विदा करो  ।

‌‌‌आखिर कैसे पांडा (Panda) ने छाती पर पत्थर रखा, एक कहानी

एक बार की बात है, बाँस के घने जंगल में, पांडों का एक परिवार (Family) रहता था। पिता, ‌‌‌‌‌खाजी (Panda) नाम का एक बड़ा और मजबूत पांडा (Panda), परिवार (Family) का रक्षक था। उनकी एक पत्नी मेई और दो छोटे शावक, पिंग और पोंग थे। वे सभी एक साथ बहुत खुश थे, अपने दिन बाँस खा रहे थे और जंगल में एक साथ खेल रहे थे। ‌‌‌इस तरह से पांडो के परिवार (Family) का जीवन बितता था ।

एक दिन, जब ‌‌‌‌‌खाजी (Panda) भोजन की तलाश में निकला, तो उसका सामना शिकारियों के एक समूह से हुआ। शिकारी सर्कस को पकड़ने और बेचने के लिए पांडा (Panda) की तलाश कर रहे थे। ‌‌‌‌‌खाजी (Panda) जानता था कि उसे अपने परिवार (Family) की रक्षा करनी है, इसलिए उसने बहादुरी से शिकारियों का मुकाबला किया। हालांकि, इस प्रक्रिया में, वह घायल हो गया और बुरी तरह से घायल हो गया।

‌‌‌‌‌खाजी (Panda) नहीं चाहता था कि उसका परिवार (Family) उसकी चिंता करे, इसलिए उसने अपना दर्द और दुख उनसे छुपाया। वह बहुत दर्द में होने के बावजूद उनकी रक्षा करता रहा। उसने सुनिश्चित किया कि उनके पास खाने के लिए पर्याप्त भोजन हो और उन्हें किसी भी खतरे से सुरक्षित रखे।

लेकिन जैसे-जैसे समय बीतता गया, ‌‌‌‌‌खाजी (Panda) की चोटें और भी बदतर होती गईं, और वह कमजोर और कमजोर होता गया। वह जानता था कि वह अपना दर्द हमेशा के लिए छुपा कर नहीं रख सकता। इसलिए एक दिन, उसने अपने परिवार (Family) को अपने पास इकट्ठा किया और जो कुछ हुआ था, उसके बारे में उन्हें सच्चाई बताई।

पहले तो मेई और शावक चौंक गए और डर गए। उन्हें पता नहीं था कि ‌‌‌‌‌खाजी (Panda) कितनी पीड़ा झेल रहा था। लेकिन जब उन्होंने देखा कि वह कितना बहादुर था, चोट लगने पर भी उनकी रक्षा कर रहा था, तो उन्हें गर्व और आभारी महसूस हुआ। मेई और शावक, पिंग और पोंग ने कहा की कहा की ‌‌‌‌‌खाजी (Panda) आपने तो अपनी छाती पर पत्थर रख रखा था और हमे इस बारे में कुछ नही बताया ।

साथ में, उन्होंने ‌‌‌‌‌खाजी (Panda) को वापस स्वास्थ्य के लिए तैयार किया, उसकी देखभाल की और यह सुनिश्चित किया कि उसे भरपूर आराम मिले। और भले ही ‌‌‌‌‌खाजी (Panda) अभी भी दर्द में था, उसे यह जानकर अच्छा लगा कि उसका परिवार (Family) उससे प्यार करता है और उसकी सराहना करता है।

उस दिन से ‌‌‌‌‌खाजी (Panda) ने सीखा कि जरूरत पड़ने पर मदद मांगना ठीक है। और मेई और शावकों ने सीखा कि हममें से सबसे मजबूत और सबसे बहादुर को भी कभी-कभी थोड़े से समर्थन की आवश्यकता हो सकती है। ‌‌‌‌‌खाजी (Panda) अब भी अपने परिवार (Family) की रक्षा कर रहा था, ‌‌‌।

‌‌‌आखिर कैसे पांडा (Panda) ने छाती पर पत्थर रखा, एक कहानी

एक दिन की बता है ‌‌‌‌‌खाजी (Panda) आराम कर रहा था की अचानक शिकारियो ने उन पर हमला कर दिया और इस घटनो कारण से बहुत बड़ा नुकसान हो गया था । दरसल ‌‌‌‌‌खाजी (Panda) की जो पत्नी थी यानि मेई उसका देहांत हो गया था । मगर शिकारियो से ‌‌‌‌‌खाजी (Panda) अपने अपने दोनेा बेटो को बचा लिया था । अब ‌‌‌‌‌खाजी (Panda) अपने बेटो पिंग और पोंग के साथ था । ओर उसे ‌‌‌इस घटना के कारण से काफी अधिक दुख हुआ था ।

मगर किसी तरह से ‌‌‌‌‌खाजी (Panda) ने छाती पर पत्थर रखा और अपने बेटो से कहा की पिंग और पोंग इस दुनिया में हमरा कोई नही है । न मैं तुम्हारा हूं और न ही तुम मेरे हो  । इस कारण से हमे जीवन में हमेशा आगे बढता रहना चाहिए । हां जब तक हम साथ है हमे एक दूसरे की रक्षा जरूर ‌‌‌करनी चाहिए । और इस तरह से ‌‌‌‌‌खाजी (Panda) ने छाति पर पत्थर रख कर अपने बेटो की देखभाल की और उनके जीवन को आगे बढाने लगा था ।

और फिर इसी तरह से ‌‌‌‌‌खाजी (Panda) अपना जीवन जीने लगा था ।

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