दाने दाने को तरसना मुहावरे का अर्थ और वाक्य में प्रयोग

दाने दाने को तरसना मुहावरे का अर्थ, dane dane ko tarasna muhavare ka arth 

मुहावरा तो बहुत है मगर यह मेरा पंसदिदा मुहावरा है । दरसल आपको बता दे की यह कई बार परिक्षाओ में पूछा गया है और आगे भी पूछा जा सकता है । तो इसे याद जरूर रखे । अब बात ‌‌‌आती है की इस मुहावरे का अर्थ क्या होता है तो आपको इस लेख में यह जानने केा मिल जाएगा

दांने दांने को तरसना मुहावरे का अर्थ क्या होगा

‌‌‌मुहावरा ‌‌‌हिंदी में (idiom in Hindi)मतलब‌‌‌ ‌‌‌या अर्थ (Meaning in Hindi)
दांने दांने को तरसनाभोजन न होने पर ‌‌‌भूखा रहना, भोजन प्राप्त न होना ।

दांने दांने को तरसना मुहावरे को समझने का प्रयास करे

वैसे आपको पता होना चाहिए की दांना अन्न को कहा जाता है । जैसे की अन्न में हम गेंहू का उदहारण लेते है तो यह जो गेंहू है वह एक तरह का दाना होता है और बहुत सारे दान मिलते है तो हम अपना भोजन बना कर खा सकते है । कहने का मतलब है की दाना भोजन को कहा ‌‌‌जाता है । अब तरसने का मतलब हुआ न मिलना । तो इस तरह से दाने दाने को तरसना मुहावरे का अर्थ होता है भोजन प्राप्त न होना और जब भोजन प्राप्त नही होता है तो भूखा रहना पड़ता है । तो इस तरह से भोजन न होने पर ‌‌‌भूखा रहना भी इसका अर्थ होगा ।

दाने दाने को तरसना मुहावरे का अर्थ और वाक्य में प्रयोग

दांने दांने को तरसना मुहावरे का वाक्य में प्रयोग

‌‌‌1. वाक्य में प्रयोग कोविड 19 के समय में भारत के बहुत से लोगो को दांने दांने तरसना पड़ा था ।

2. वाक्य में प्रयोग लॉकडाउन के समय में शहर में रहने वाले बहुत से लोगो को दांने दांने को तरसना पड़ा था और यह देख कर सरकार ने उनकी मदद भी की थी ।

‌‌‌3. वाक्य में प्रयोग किसन ही अपने घर में काम करने वाला था और उसका ऐक्सीडेंट हो गया जिसके कारण से परिवार को दांने दांने को तरसने पड़ गया ।

‌‌‌4. वाक्य में प्रयोग रमेश एक अच्छी सी कंपनी में काम करता था और महीने के 30 हजार रूपय कमा लेता था । मगर लॉकडाउन के कारण से उसे कंपनी से निकाल दिया गया और आज तक वह दांने दांने को तरस रहा है।

‌‌‌5. वाक्य में प्रयोग पप्पू पहलवान की मृत्यु की खबर ने सभी को दूखी कर दिया मगर अब उसकी पत्नी अकेली थी और उसे दांने दांने को तरसना पड़ेगा ।

6. वाक्य में प्रयोग गरीब लोग तो कई दिनो तक दांने दांने के लिए तरसते रहते है ।

‌‌‌7. वाक्य में प्रयोग सुरजमल ने अपने बेटे को समझाते हुए कहा की बेटा पढ लिख कर एक अच्छी सी नोकरी कर लो, वरना दांने दांने को तरसना पड़ेगा ।

8. वाक्य में प्रयोग भगवान विष्णु के होते हुए हमे कभी भी दांने दांने के लिए तरसना नही पड़ेगा ।

जिराफ दांने दांने को तरसा और सिखी एक नई सीख, एक मजेदार कहानी

एक बार एक जंगल में एक जिराफ रहता था। वह जंगल का सबसे ऊँचा जानवर था और उसे उन्नति और आकर्षण का प्रतीक माना जाता था।

एक दिन जंगल में एक बड़ी बाढ़ आई जिससे सभी जानवर घबराए हुए थे। जिराफ ने भी बाढ़ के आने से पहले ही खाने की तलाश में निकल ली थी। लेकिन जैसे ही बाढ़ आई, जंगल के नदियाँ उफान पर आ गई जिससे सभी जानवर खाने की तलाश में घास की खेती के पास पहुंच गए।

जिराफ ने भी उस खेत में जाकर अपनी भूख मिटाने की कोशिश की, लेकिन उसे उन्नति की ऊँचाइयों के कारण जमीन पर से नीचे झुककर खाना नहीं मिल पाया। वह बहुत देर तक जमीन पर झुके हुए रहा लेकिन उसे भोजन नहीं मिला। ‌‌‌उस दिन जिराफ दांने दांने को तरसने लगा था । उस दिन जिराफ ने समझ लिया कि उसकी ऊँचाई उसे खुश नहीं रख सकती है। उसने अपनी ऊँचाई कम करने की कोशिश की लेकिन वह संभव नहीं था।

फिर एक दिन उसे एक वैज्ञानिक मिला जिसने जिराफ की इस समस्या का हल ढूंढ निकाला। वह वैज्ञानिक ने जिराफ को बताया कि उसकी उचाई उसकी ताकत है और उसे ना कम करना चाहिए। वह जिराफ को यह समझाने के लिए कहा कि वह अपने आसपास ध्यान से देखे, क्योंकि खाने का संभव होने के लिए वह कुछ नया खोज सकता है।

जिराफ ने उसकी बातों को माना और अपने आसपास ध्यान से देखना शुरू कर दिया। उसने खेत के आसपास कुछ स्थानों में खाने के लिए खोज करना शुरू किया। उस दिन से जिराफ ने नए-नए स्थानों में खाना खोजना शुरू कर दिया। वह बहुत समय तक खोज करता रहता था लेकिन अपनी भूख को मिटाने के लिए कोई भी स्थान खोज लेता था।

ऐसे ही कुछ दिनों बाद उसे एक ऐसा स्थान मिल गया जहां उसे आसानी से खाना मिलता था। वहां खाना मिलने के बाद, जिराफ ने अपनी भूख मिटा ली और उसकी जिंदगी में एक नयी तरंग आ गई।

जिराफ दांने दांने को तरसा और सिखी एक नई सीख, एक मजेदार कहानी

जिराफ को यह सीख मिली कि कभी-कभी अपनी समस्याओं का हल खुद खोजना होता है और अपनी ताकत का इस्तेमाल करना होता है। इस तरह से, जिराफ ने एक नयी सोच विकसित की और अपने जीवन में आगे बढ़ने के लिए तैयार हो गया। उसने देखा कि जब वह नए स्थानों में जाता है तो उसे कभी-कभी खाना नहीं मिलता है लेकिन इससे उसे निराश नहीं होना चाहिए।

जिराफ ने यह भी सीखा कि जब भी कोई समस्या आती है तो उसे समाधान निकालने के लिए एक नयी दृष्टि और सोच की जरूरत होती है। उसने खुद को उस स्थिति में लाने के लिए सक्रिय ढंग से काम करना शुरू किया। वह नए स्थानों की तलाश करने लगा और अपने जीवन की नई सीमाओं तक पहुंचने में सफल हुआ। ‌‌‌और अब उसे दाने दांने को तरसना नही पड़ता था क्योकी वह भोजन तलाश सकता था ।

जिराफ की यह कहानी हमें यह सीख देती है कि हमें उन्नति के लिए अपनी ताकतों का इस्तेमाल करना चाहिए। हमें कभी भी निराश नहीं होना चाहिए बल्कि समस्याओं के सामने उच्च स्थिति बनाने की कोशिश करनी चाहिए। जैसा कि जिराफ ने किया, हमें सक्रिय ढंग से अपनी समस्याओं का समाधान निकालना चाहिए और नए स्थानों को खोजना जारी रखना चाहिए।

‌‌‌इस तरह से दोस्तो जो जिराफ था उसे दांने दांने के लिए तरसना पड़ा था और काफी कोशिशो के बाद में वह भोजन तलाशने में लगा हुआ था ।

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