ढोंग करना मुहावरे का अर्थ, dhong karna muhavare ka arth aur vakya mein prayog
ढोंग करना के बारे में आज कोन नही जानता है । सभी हमारे आस पास रहने वाले लोग ढोंग कर रहे है । हमारे अपने होने का ढोग कर रहे है । और इस आधार पर आप इस मुहावरे का अर्थ समझ सकते है मगर अब भी आपको समझ में नही आया है तो टेंसन न ले । आपको इस लेख में अर्थ और वाक्य में प्रयोग के साथ साथ कहानी भी हम बताएगे ।
ढोंग करना मुहावरे का अर्थ क्या होगा, dhong karna muhavare ka arth
मुहावरा (idiom in Hindi) | अर्थ या मतलब (Meaning in Hindi) |
ढोंग करना | दिखावा करना । |
ढोंग करना मुहावरे को समझने का प्रयास करे
विश्वास दिलाना बचपन का जादू है। यह अविश्वास को निलंबित करने और कहानी में खुद को डुबोने की क्षमता है। इस शक्ति का उपयोग अक्सर वास्तविकता से बचने या नई संभावनाओं का पता लगाने के लिए किया जाता है। बच्चे इस क्षमता का उपयोग दुनिया बनाने के लिए करते हैं जहां वे नायक हैं, या जहां वे जटिल रहस्यों को सुलझा सकते हैं। विश्वास करना भी कहानियों को साझा करके और संबंध बनाकर दूसरों से जुड़ने का एक तरीका है।
मगर हम कभी कभार लोगो पर ज्यादा ही विश्वास कर लेते है । हमारे पास ऐसे अनेक तरह के लोग है जो की अपने होने का दिखावा कर रहे है । मगर असल में वे लोग हमारे नही है । बल्की वह तो केवल दिखावा कर रहे है । जैसे की कोई साधू बन कर असली साधू होने का दिखावा करता है तो उसे ढोगी कहा जाता है । ठिक ऐसे ही जो लोग दिखावा करते है उनके लिए ढोग करना कहा जाता है । यानि ढोग करना मुहावरे का अर्थ होता है दिखावा करना ।
ढोग करना मुहावरे का वाक्य में प्रयोग करे , dhong karna muhavare ka vakya mein prayog
वाक्य में प्रयोग – हमने तो उसे असली साधू बाबा मान रखा था मगर असल में वह तो साधू होने का ढोग कर रहा था।
वाक्य में प्रयोग – आजकल हर कोई घर में मागने के लिए आ जाता है और धर्म के नाम पर अच्छी अच्छी बाते बता कर स्वयं साधू बन जाते है मगर असल में वे ढोग करते है और खुब रूपय कमाते है ।
वाक्य में प्रयोग – कल ही गाव में एक बाबा फिर रहा था और लोगो को कुछ बता कर पैसे ले रहा था तभी उसकी असलियत सभी के सामने आ गई और सभी को पता चल गया की यह तो ढोग कर रहा है ।
वाक्य में प्रयोग – महेश एक शिक्षक है मगर उसे आता कुछ नही और कक्षा में जाकर बच्चो के सामने ढोग करने लग जाता है ।
वाक्य में प्रयोग – चंद पैसो के लिए लोग एक दूसरे के सामने ढोग करते रहते है ।
आखिर क्यो खरगोश ने पीलिया होने का ढोग किया, एक प्रसिद्ध कहानी
पहले के समय की बात है शेर कभी जंगल का राजा था। वह जानवरों का शिकार करने और उनके मांस से अपना पेट भरने के लिए जाना जाता था। अफसोस की बात है कि आज शेरों को विलुप्त होने का खतरा है, मुख्यतः मानवीय गतिविधियों के कारण। हालाँकि, अभी भी कुछ ऐसे क्षेत्र हैं जहाँ वे शांति और सुरक्षा में रह सकते हैं, और ऐसी ही एक जगह केन्या में मसाई मारा नेशनल रिज़र्व है। यहां शेर इंसानों से डरे बिना घूमने और शिकार करने के लिए आजाद हैं।
मगर पहले एक जंगल था जिसमें एक शेर रहा करता था वह वहां का राजा था और जो भी जानवर होता था वह शेर से डरता था और शेर रोज नए जानवर का शिकार करता और उसे मारता था । शेर रोज सुबह छोटे बड़े जानवरों का शिकार करने के लिए जंगल में निकल जाता था और रात को आराम करता था। इस तरह से शेर का जीवन काफी अच्छा चल रहा था ।
जब जंगली जानवरों को भोजन नहीं मिल पाता है, तो उन्हें अक्सर छोटे शिकार को खाकर ही संतोष करना पड़ता है। हालाँकि, कुछ मामलों में यह पर्याप्त नहीं हो सकता है और जानवर को पूरी तरह से भोजन के बिना रहना पड़ सकता है। एक दिन अफ्रीका में एक शेर के साथ ऐसा ही हुआ। शेर पूरे दिन शिकार की तलाश में था और अंत में हार मानने ही वाला था कि उसने क्षितिज पर ज़ेबरा के एक झुंड को देखा।
दुर्भाग्य से, शेर को नीचे ले जाने के लिए ज़ेबरा बहुत बड़ा था, इसलिए उसे इसके बजाय मैला ढोना पड़ा। शेर केवल एक ज़ेबरा को पकड़ने में कामयाब रहा, इससे पहले कि वह जारी रखने के लिए बहुत थक गया। शेर ने एक जिराफ को मार डाला और फिर दो-तीन दिन तक उसे खाता रहा। शेर का जीवन सुचारू रूप से चल रहा था। उसके पास बड़ा अहंकार, पर्याप्त भोजन और एक जीराफ था। लेकिन चीजें बदलने वाली थीं।
एक दिन शेर को केवल एक खरगोश मिला था ओर शेर उसे खाने ही वाला था की तभी खरगोश ने कहा की मुझे पीलिया हो गया है अगर तुम मुझे खाओगे तो तुम बीमार हो जाओगे यह सुन कर खरगोश को शेर ने नही खाया और अपनी गुफा में लेकर चला गया था ।
अब शेर खरगोश के ठिक होने का इंतजार कर रहा था मगर खरगोश के पास जैसे ही शेर जाता तो खरगोश कहता की तुम इस जंगल के राजा हो और एक पीलिया हुए खरगोश को खाते हो तो तुम्हारे भी पिलाया हो सकता है । यह सुन कर शेर डर गया और खरगोश का इलाज करने लगा । ताकी जैसे ही खरगोश ठिक हो तो उसे शेर खा सके । कुछ ही समय के बाद में जब शेर खरगोश के पास पहुंचा तो उसने देखा की खरगोश पूरा पीला हो चुका है । यह देख कर शेर हैरान था तब खरगोश ने शेर से कहा की राजा शेर मुझे पिलिया अधिक हो रहा है तुम खा नही सकते हो मुझे जाने दो या फिर मेरा इलाज करो ।
खरगोश की बात सुन कर शेर उसका इलाज करता रहा । और इसी तरह से पूरा एक महिना बित गया और अभी तक शेर ने सही तरह से भोजन नही किया था और खरगोश का पीलिया ठिक नही हुआ । तभी एक दिन खरगोश भाग जाता है और और जब शेर को इस बारे में पता चलता है तो वह हैरान रह जाता है ।
तब शेर को समझ में आ जाता है की खरगोश जीवित रहने के कारण से पीलिया होने का ढोग कर रहा था और मुझे इस ढोग के बारे मे पता तक नही चला । इस तरह से बात में शेर अपने आप पर पछताने लगा ।
मगर अगले ही दिन फिर से शेर शिकार पर निकल गया और उस दिन उसने एक छोटे जानवर से पेट भर और अगले ही दिन फिर से बड़े जानवरो का शिकार शुरू हो गया । इस तरह से शेर का जीवन फिर से चल उठा ।
इस तरह से दोस्तो शेर से बचने के लिए खरगोश ने पीलिया होने का ढोग किया था ।