सिर मुड़ाते ही ओले पड़ना का अर्थ और वाक्य में प्रयोग

सिर मुड़ाते ही ओले पड़ना मुहावरे का अर्थ , sir mundate hi ole padna muhavare ka arth aur vakya mein prayog

सिर मुड़ाते ही ओले पड़ना आपने मुहावरा काफी बार सुन रखा है । हमे पता है की अभी तक आपको इस मुहावरे का सही उत्तर भी नही मिला है । तो टेंसन ‌‌‌न ले आपके गुरू या साथी आपको बताएगे की इस मुहावरे का अर्थ क्या है । मगर इससे पहले यह जान ले की यह जो मुहावरा है वह 2022 का टॉप महत्वपूर्ण मुहावरो मे से एक रह चुका है । इस मुहावरे के बारे में कई बार छोटी कक्षाओ से लेकर बडे एग्जामो में पूछा जा चुका है । तो आइए जानते है की इस मुहावरे का अर्थ क्या ‌‌‌होता है ।

सिर मुड़ाते ही ओले पड़ना मुहावरे का अर्थ क्या होगा, sir mundate hi ole padna muhavare ka arth

‌‌‌मुहावरा (idiom in Hindi)‌‌‌अर्थ ‌‌‌या मतलब (Meaning in Hindi)
सिर मुड़ाते ही ओले पड़नाकाम शूरू करते ही बाधाएं आना ।

सिर मुड़ाते ही ओले पड़ना पिछले वर्ष का प्रसिद्ध मुहावरा रह चुका है । जिसका अर्थ होता है काम शूरू करते ही बाधाएं आना । वैसे आपने हाल ही के दिनो में कोई काम शुरू किया है क्या । या फिर आपके आस पास रहने वाले किसी व्यक्ति ने अभी अभी कोई काम शुरू किया होगा और वह जैसे ही काम सुरू करता है तो बाधा ‌‌‌आ जाती है । जैसे की आप स्कुल में जाते हो मगर जैसे ही घर से निकलते हो तो वर्षां होने लग जाती है । तो इस तरह से आप काम शुरू कर रहे हो मगर तभी बाधा आ जाती है तो इसे सिर मुड़ाते ही ओले पड़ना कहा जाता है।

सिर मुड़ाते ही ओले पड़ना

सिर मुड़ाते ही ओले पड़ना मुहावरे का वाक्य में प्रयोग

वाक्य में प्रयोग जैसे ही रामू ने गाव में नई दुकान खोली ‌‌‌तो उसी रात को दुकान से सरा समान चोरी हो गया यही है सिर मुड़ाते ही ओले पड़ना ।

वाक्य में प्रयोग किसन बैंक से पैसे निकाल कर बैंक से बाहर आया ही था की तभी लूटेरे ने सारे पैसे लूट लिए यही है सिर मुड़ाते ही ओले पड़ना ।

वाक्य में प्रयोग रणजीत ने सॉफ्टवेर कंपनी में काम शुरू किया ही था की उसी दिन उस कंपनी के करोड़ो रूपय के शेयर ‌‌‌डाउन पड़ गए जिसके कारण से रणजीत को नोकरी से निकाल दिया गया यह तो वही बात हुई सिर मुड़ाते ही ओले पड़ना ।

वाक्य में प्रयोग विक्रम का नया नया विवाह हुआ था और वह घर में अपनी पत्नी के साथ प्रवेश करता ही है की घर में वृद्ध दादी की मोत हो गई यह तो वही बात हुई सिर मुड़ाते ही ओले पड़ना ।

‌‌‌आखिर क्यो महेश के साथ सिर मुड़ाते ही ओले पड़ने वाली बात हुई एक प्रसिद्ध कहानी

महेश नाम का एक व्यक्ति था जो पास के गाँव में रहता था और उसके घर में उसके दादा-दादी, पिता, माता, भाई-बहन रहते थे। उनका परिवार बहुत करीबी है और वे सभी एक-दूसरे के साथ समय बिताना पसंद करते हैं। एक दिन, महेश के दादा का निधन हो गया और उनका परिवार टूट गया। हालाँकि, वे सभी एक साथ जुट गए और अपना जीवन सामान्य रूप से जारी रखने में सफल रहे।

महेश अपने दादा की मृत्यु से दुखी था। उसे लगा जैसे उसने एक पिता तुल्य खो दिया है और वह रोना बंद नहीं कर सका। लेकिन किसी तरह, महेश कठिन समय से बाहर निकलने और अपना जीवन जीने में कामयाब रहे।

महेश का जन्म एक गरीब परिवार में हुआ था। अपने परिवार का भरण-पोषण करने के लिए उन्हें कई छोटे-मोटे काम करने पड़े। जब वह 18 साल के हुए तो उन्होंने फैसला किया कि उन्हें अपने पैरों पर खड़ा होना चाहिए और नौकरी ढूंढनी चाहिए। उन्होंने नौकरी की तलाश में महीनों बिताए, लेकिन उनकी पृष्ठभूमि के कारण कोई भी उन्हें काम पर नहीं रखता था। आखिरकार, उन्हें एक अमीर महिला के घर में नौकरानी की नौकरी मिल गई। महेश पहले डरे हुए थे, लेकिन जल्द ही उन्हें एहसास हुआ कि काम आसान था और वेतन अच्छा था। अब वह नौकरानी का काम कर अपना और अपने परिवार का भरण-पोषण करने में सक्षम है।

‌‌‌मगर पता नही क्या हुआ की अगले ही दिन महेश को नोकरानी का काम छोड़ना पड़ा और यह सब देख कर सभी कहने लगे की सिर मुड़ाते ही ओले पड़ना । मगर महेश ने हिम्मत नही हारी और नोकरी की तलाश फिर से करने लगा ।

काफी खोजबीन के बाद आखिरकार महेश को एक बड़े शहर में नौकरी मिल ही गई। वह अपने जीवन को वैसे ही जीने और जीने के लिए बहुत उत्साहित था जैसा वह हमेशा चाहता था। लेकिन कुछ महीने काम करने के बाद उन्हें अहसास हुआ कि वह वहां खुश नहीं हैं। वह अपने गांव के जीवन की सादगी को याद करता था और महसूस करता था कि वह एक अलग दुनिया में रह रहा है। इसलिए एक दिन बिना किसी को बताए उसने अपना बैग पैक किया और घर वापस चला गया। अपना खुद का व्यवसाय फिर से शुरू करना आसान नहीं था लेकिन यह इसके लायक था।

आखिरकार महेश ने गांव में खाने-पीने की छोटी सी दुकान खोल ली। सबसे पहले, उन्होंने ग्रामीणों को केवल मिठाइयाँ और नमकीन बेचे, लेकिन जल्द ही उन्होंने स्थानीय सामग्रियों का उपयोग करके अधिक से अधिक विस्तृत व्यंजनों को बनाना शुरू कर दिया।

सिर मुड़ाते ही ओले पड़ना

भारत के एक छोटे से कस्बे के एक दुकानदार महेश की उसी दिन चोरी हो गई जिस दिन उसकी दुकान खुली थी। अगले दिन उन्हें इस बात का पता तब चला जब किसी ने उन्हें फोन कर कहा कि उनका सामान दुकान के बाहर है। महेश ने जल्दी से सब कुछ इकट्ठा किया और रिपोर्ट दर्ज करने के लिए पुलिस स्टेशन गया। पुलिस अपराधियों की पहचान करने में सफल रही और उन्हें गिरफ्तार कर लिया गया।

‌‌‌मगर इस घटना के बाद में सभी ने महेश से कहा की भाई तुम्हारे साथ तो बार बार वही बात हो रही है की सिर मुंडाते ही ओले पड़ना । मगर महेश ने हार नही मानी और फिर से 2002 में, महेश ने भारत में अपने गांव में एक छोटी सी किराने की दुकान खोली। स्टोर केवल खाने की चीजें बेचता था और समय के साथ, धीरे-धीरे इसका विस्तार हुआ, और अधिक से अधिक वस्तुओं की बिक्री हुई। 2023 में, स्टोर इतना बड़ा हो गया था कि महेश ने इसे एक बड़ी जगह पर ले जाने का फैसला किया। आज, यह स्टोर गाँव में सबसे बड़े स्टोरों में से एक है और यह लगातार बढ़ रहा है, अपने ग्राहकों को खाद्य पदार्थों की एक विस्तृत विविधता प्रदान करता है। ‌‌‌अब महेश की दुकान अच्छी चल रही है और महेश भी काफी खुश है ।

तो इस तरह से महेश के साथ सिर मुडाते ही ओले पड़ने वाली बात हो रही थी ।

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