दूध का दूध और पानी का पानी मुहावरे का अर्थ, doodh ka doodh pani ka pani muhavare ka arth aur vakya mein prayog
दूध का दूध ओर पानी का पानी एक प्रसिद्ध मुहावरा रह चुका है । इस वर्ष का यह सबसे शानदार मुहावरा है और पिछले वर्ष भी काफी बार परिक्षाओ में पूछा गया था । अगर आपने हाल की के दिनो में एसएससी का एग्जाम दिया था तो आपको इस बारे में पता होगा । क्योकी इस बार यह मुहावरा कई बार पूछा गया था ।
आपको बता दे की यह मुहावरा छोटी कक्षओ के लिए भी उपयोगी है । अगर आप इसके अर्थ के बारे में नही जानते है तो आपको इस लेख को देखना चाहिए
दूध का दूध और पानी का पानी मुहावरे का अर्थ क्या होता है
मुहावरा (idiom in Hindi) | अर्थ या मतलब (Meaning in Hindi) |
दूध का दूध और पानी का पानी | सच्चा न्याय करना या सच्चा न्याय होना । |
दूध का दूध और पानी का पानी मुहावरे को समझने का प्रयास करे
आपको पता होगा की आज के युग में जो सच्चा न्याय कर लेता है वही यहां पर सासन कर सकता है । जो राजा न्याय सच्चा नही करते है उनको राजा के पद से कभी न कभी हाथ से छोड़ना पड़ता है । क्योकी सच्चा न्याय ही लोगो को खुश कर सकता है उन्हे संतुष्ठी प्रदान कर सकता है तो जीवन में सच्चा न्याय करना भी जरूरी होता है । और अगर कोई सच्चा न्याय करता है या सच्चा न्याय होता है तो इसे दूध का दूध और पानी का पानी कहा जाता है क्योकी दूध से पानी को अलग करना काफी कठिन है और सच्चा न्याय करना भी कठिन है ।
न्याय सबसे महत्वपूर्ण मूल्यों में से एक है जो मनुष्य के रूप में हमारे पास है। यह एक ऐसा शब्द है जिसका उपयोग हम वर्णन करने के लिए करते हैं कि क्या उचित और सही है, और इसे दुनिया में खोजना कठिन हो सकता है। लेकिन यह सच्चा न्याय करने की कोशिश करने लायक है, भले ही यह मुश्किल हो। अत जीवन मे सच्चा न्याय करना चाहिए ।
दूध का दूध और पानी का पानी मुहावरे का वाक्य में प्रयोग किजिए
वाक्य में प्रयोग – जब चोर को राजा साहब के सामने पेश किया गया तो सब दुध का दुध और पानी का पानी हो गया ।
वाक्य में प्रयोग – हमारे सरपंच साहब ने आज तक दुध का दुध और पानी का पानी किया है और आगे करते रहेगे ।
वाक्य में प्रयोग – जब किसन चोरी के जुर्म में पकड़ लिया गया तो उसने कहा की जमीदार के पास चलो वही दूध का दूध और पानी का पानी कर पाएगे ।
वाक्य में प्रयोग – अदालत का दवाजा खटखटा रहे हो तो यह जरूरी नही है की वहां पर दूध का दूध और पानी का पानी होगा ।
आखिर क्यो दुर्गचंद को दूध का दूध पानी का पानी करवाना पड़ा
बहुत समय पहले की बात है दुर्गचंद एक गरीब आदमी था जो भारत के एक छोटे से शहर में रहता था। उनके दो पुत्र हुए, राम और लक्ष्मण। दुर्गचंद ने अपने परिवार का भरण-पोषण करने के लिए वह सब कुछ किया जो वह कर सकता था, लेकिन यह हमेशा मुश्किल था क्योंकि उसके पास पैसे की कमी थी।
दुर्गचंद हमेशा पैसा कमाने की योजना बनाता था। ताकि उसके जीवन से दरिद्रता दूर हो सके। दुर्गचंद भारत के उन कई लोगों में से एक हैं, जो चुनौतियों का सामना करने के बावजूद अपने समुदाय में बदलाव लाने के लिए कड़ी मेहनत कर रहे हैं। वह 10 से अधिक वर्षों से एक सफाईकर्मी के रूप में काम कर रहा है और अपने परिवार को गरीबी से बचाने के लिए पर्याप्त पैसा बचा चुका है। मगर यह काफी नही था जिसके कारण से उसने कोई अन्य काम शुरू करने की योजना बनाई ।
दुर्गचंद अपने पुत्रों राम और लक्ष्मण को इस दरिद्रता से मुक्त कराना चाहते थे, इसलिए उन्होंने दूध बेचना शुरू किया। वह पहली बार में सफल रहे, लेकिन जल्द ही उन्हें पता चला कि उच्च मांग को पूरा करने के लिए उन्हें अपना उत्पादन बढ़ाने की जरूरत है। उन्होंने कुछ स्थानीय किसानों की मदद ली और साथ में उन्होंने पहले से कहीं अधिक दूध का उत्पादन शुरू कर दिया। दुर्गचंद की कड़ी मेहनत आखिरकार रंग लाई है और उनके बेटे अब एक बेहतर जीवन जीने में सक्षम हैं, जिसकी उन्होंने कभी कल्पना भी नहीं की होगी।
दुर्गचंद, दूधवाला, गाँव में एक प्रसिद्ध व्यक्ति था। वह हमेशा स्कूली बच्चों को ताजा दूध पिलाते थे और उन्हें उनका दूध बहुत पसंद था। लेकिन एक दिन कई लड़के उसका दूध पीकर बेहोश हो गए। ग्रामीण हैरान थे कि ऐसा क्यों हो रहा है और वे कयास लगाने लगे। कुछ ने कहा कि दुर्गचंद के दूध को श्राप मिला है जबकि अन्य ने कहा कि वह इसे इतना मजबूत बनाने के लिए जादू-टोने का इस्तेमाल करता है।
दुर्गचंद को पुलिस ने बच्चों को मिलावटी दूध देने के आरोप में गिरफ्तार किया है. दूध में उच्च स्तर के बैक्टीरिया होते हैं जो गंभीर स्वास्थ्य जटिलताओं का कारण बन सकते हैं। दुर्गचंद पर नाबालिग को मिलावटी खाना देने का आरोप है और दोषी पाए जाने पर कड़ी सजा भुगतनी होगी। यह गिरफ्तारी यह सुनिश्चित करने के महत्व को रेखांकित करती है कि भोजन सुरक्षित है और हानिकारक संदूषकों से मुक्त है।
मिलावटी दूध देने के लिए खाद्य सुरक्षा प्राधिकरण द्वारा उस पर मुकदमा दायर किया गया है। दुर्गचंद का कहना है कि उन्होंने कोई मिलावटी दूध नहीं दिया और इसी वजह से उन्होंने कोर्ट से गुहार लगाई कि उन्हें वकील दिया जाए. उनके मामले ने जनहित को आकर्षित किया है क्योंकि यह भारत में खाद्य अपमिश्रण की समस्या को उजागर करता है।
अंत में दुर्गचंद को वकिल दिया गया और अदालत में यह पूरी तरह से साबित हुआ की बच्चे दूध पीने के कारण से बेहोस नही हुए । बल्की गर्मी के कारण से ऐसा हुआ था । और अंत में दुर्गचंद को बाइज्जत रिहा कर दिया गया । तब दुर्गचंद ने कहा की अदालत में दूध का दूध पानी का पानी हो गया ।
यह खबर जो भी कोई सुनता वह कहता की अदालत में दूध का दूध और पानी का पानी हुआ । क्योकी असल में दूध में किसी तरह की कोई समस्या या परेशानी नही थी जो की बच्चो के लिए नुकसानदायक हो सकती थी । बल्की यह केवल सूर्य की तेज रोशनी के कारण से ही हुआ था । तो इस घटना के बाद में दुर्गचंद और बाकी सभी को पता चल गया की अदालत में दूध का दूध और पानी का पानी होता है ।