दिन में तारे दिखाई देना मुहावरे का अर्थ और वाक्य

din me tare dikhai dena muhavare ka arth kya hoga, दिन में तारे दिखाई देना मुहावरे का अर्थ

अगर दिन के अंदर तारे दिखाई देता है तो समझ जाना चाहिए की वह अलग ही समय है । मगर दोस्तो आपको बता दे की यहां पर दिन में तारे दिखाई देना एक मुहावरा है । और ‌‌‌इसका अर्थ जो होता है उसके बारे में हम इस लेख में जान लेगे तो टेंसन न ले और लेख देखे ।

दिन में तारे दिखाई देना मुहावरे का सही अर्थ क्या होगा

‌‌‌मुहावरा ‌‌‌हिंदी में (idiom in Hindi)मतलब‌‌‌ ‌‌‌या अर्थ (Meaning in Hindi)
दिन में तारे दिखाई देनाअत्यधिक कष्ट होना

दिन में तारे दिखाई देना मुहावरे का वाक्य में प्रयोग क्या होगा

वैसे ऐसा कभी नही होता है की आपको दिन के अंदर तारे दिखाई देने लग जाए । दरसल तारो की जो रोशनी होती है वह सूर्य की तुलना में कम होती है जिसके कारण से दिन के समय सूर्य की रोशनी के कारण से तारे की रोशनी गुम हो जाती है और तारे हमे ‌‌‌दिखाई नही देते है । वैसे आपको बता दे की अगर कभी दिन के अंदर तारे दिखते है तो इसका मतलब है की आपको काफी दुख या कष्ट हो रहा है । और यह कष्ट काफी अधिक होता है । तो कुल मिलकार यह कहा जा सकता है की दिन में तारे दिखाई देना मुहावरे का सही अर्थ अत्यधिक कष्ट होना होता है ।

दिन में तारे दिखाई देना मुहावरे का अर्थ और वाक्य

‌‌‌दिन में तारे दिखाई देना मुहावरे का वाक्य में प्रयोग

1. वाक्य में प्रयोग कोविड 19 के चलते भारत के बहुत से लोगो को दिन में तारे दिखाई देने लग गए ।

2. वाक्य में प्रयोग इंडियन आर्मी से मुकाबला करने के कारण से दुश्मन देश को दिन में तारे दिखाई दिए ।

3. वाक्य में प्रयोग लगता है की इंडियन आर्मी को ‌‌‌बुलाना होगा तभी आतंवादियो को दिन में तारे दिखाई देगे ।

4. वाक्य में प्रयोग जब चोर को पुलिस ने पकड़ कर अच्छी तरह से पीटा तो बिचारे को दिन में तारे दिखाई देने लगे  ।

5. वाक्य में प्रयोग पप्पू पहलवान के साथ लड़ने के कारण से महेश को दिन में तारे दिखाई देने लग गए ।

6. वाक्य में प्रयोग क्यो डाकुओ को अपना दुश्मन बना रहे हो तुम्हे पता नही क्या की ‌‌‌इनका सामना करने से दिन में तारे दिखाई देने लग जाएगे ।

7. वाक्य में प्रयोग जब किसलाल को नोकरी से निकाल दिया गया तो बिचारे को दिन में तारे दिखाई देने लग गए ।

8. वाक्य में प्रयोग अपने बेटे को बुरे रास्ते पर जाते देख कर सज्जन ने कहा अगर इसी तरह से चलता रहा तो वह दिन दूर नही होगा जब तुम्हे दिन में तारे दिखाई देने लग जाएगे ।

‌‌‌आखिर किस तरह से भालू (Bear) को दिन में तारे दिखाई देन लग गए , एक मजेदार कहानी

एक बार की बात है, एक हरे-भरे जंगल में बुब्बा (Bear) नाम का एक भालू (Bear) रहता था। बुब्बा (Bear) एक मिलनसार भालू (Bear) था जिसे जंगल में घूमना और दूसरे जानवरों के साथ खेलना बहुत पसंद था। हालाँकि, बुब्बा (Bear) को एक जाड़े में बहुत नुकसान उठाना पड़ा जब जंगल में भयानक बर्फ़ीला तूफ़ान आया।

बर्फ़ीले तूफ़ान के दौरान, बुब्बा (Bear) को भोजन और आश्रय खोजने के लिए संघर्ष करना पड़ा। बर्फ इतनी गहरी थी कि उसके लिए चलना मुश्किल था। कई छोटे जानवर हाइबरनेशन में चले गए थे या गर्म क्षेत्रों में चले गए थे, जिससे बुब्बा (Bear) के पास भोजन के सीमित विकल्प रह गए थे।

जैसे-जैसे दिन बीतते गए, बुब्बा (Bear) कमजोर और कमजोर होता गया। वह कुपोषित हो गया और खुद को गर्म रखने के लिए संघर्ष करने लगा। उसने भोजन के लिए शिकार करने की कोशिश की, लेकिन बर्फ बहुत गहरी थी और उसके लिए घूमना मुश्किल था। उसने खुद को लगातार भूखा-प्यासा पाया।

अपने संघर्षों के बावजूद, बुब्बा (Bear) ने हार नहीं मानी। वह भोजन और आश्रय की तलाश में, बर्फ से आगे बढ़ता रहा। अंत में, कई दिनों तक बर्फ में भटकने के बाद, उसे एक छोटी सी गुफा मिली। गुफा सूखी और गर्म थी, और इसने बर्फ़ीले तूफ़ान से सुरक्षित आश्रय प्रदान किया।

बुब्बा (Bear) ने राहत की भावना महसूस की क्योंकि वह गुफा में घुस गया, अंत में आराम करने में सक्षम हो गया। वह बर्फ़ीला तूफ़ान से बच गया था, लेकिन इस प्रक्रिया में उसे बहुत नुकसान हुआ था। ‌‌‌उस दिन बुब्बा (Bear) को दिन में तारे दिख गए थे । उस दिन से, बुब्बा (Bear) ने जीवन में सरल चीजों की सराहना करना सीखा, जैसे एक गर्म गुफा और एक भरा हुआ पेट। उन्होंने कठोर सर्दियों के लिए और अधिक तैयार रहना, भोजन का भंडारण करना और सर्दियों के तूफानों के आने से पहले एक सुरक्षित आश्रय खोजना भी सीखा।

अनुभव ने बुब्बा (Bear) पर एक स्थायी प्रभाव छोड़ा था, लेकिन वह जीवित रहने और अपने संघर्षों से सीखने के लिए आभारी थे। और जैसे ही बर्फ पिघली और वसंत आया, बुब्बा (Bear) गुफा से बाहर निकले, एक बार फिर जंगल का पता लगाने के लिए तैयार।

‌‌‌अब बूब्बा जो था वह हमेशा जंगल के लोगो को कहता था की अगर बर्फ के तुफान आते है तो उनसे कैसे बचा जा सकता है ओर इस तर हसे बुब्बा (Bear) सभी को ज्ञान देने लगा था । बूब्बा का जीवन काफी अच्छी तरह से चलने लगा था । अब बुब्बा (Bear) को यह समझ में आ चुका था की बूब्बा अगर किसी के जीवन में इस तरह के बर्फले तुफान में फसने की बात होती है तो उसकी हालि ऐसी हो जाती है जैसे मानो की उसे दिन में तारे दिखने लगे हो ।

‌‌‌आखिर किस तरह से भालू (Bear) को दिन में तारे दिखाई देन लग गए , एक मजेदार कहानी

और इस परिस्थिति से निकलना उसके लिए काफी अधिक घातक होता ‌‌‌है । मगर बुब्बा (Bear) समझ चुका था की आखिर इस तरह की परिस्थी से कैसे निकाला जा सकता है और यही कारण था की बुब्बा (Bear) सभी को इस तरह का ज्ञान देने लगा था । ताकी सभी अपने जीवन में इस तरह की आने वाली परिस्थति से बचने में सक्षम हो जाए ।

‌‌‌इस तरह से चलते रहने के कारा से बुब्बा (Bear) ने काफी अधिक कुछ सिखा और इस बारे में दूसरो को बता कर उनकी सहायता करना ही अपना उदश्य बना लिया था । और इस तरह से बुब्बा (Bear) का जीवन चलता रहता था ।

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