कलेजे पर साँप लोटना मुहावरे का अर्थ और वाक्य में प्रयोग व एक कहानी

kaleje par saap lotna muhavare ka arth kya hai, कलेजे पर साँप लोटना मुहावरे का अर्थ और वाक्य में प्रयोग

कलेजे को Liver कहा जाता है ओर जब Liver पर सांप जाकर लोटने लग जाता है तो हो यगा कलेजे पर सांप लोटना…………. मगर मित्र यह सब‌‌‌ एक तरह का मजाक है । क्योकी आपको पता है की कलेजे पर कभ भी सांप नही जा सकता है । वैसे यह एक मुहावरा है और इसके बारे में आपको विस्तार से लेख में जानकारी मिलेगी । तो लेख देखे ज्ञान बढाए

कलेजे पर सांप लोटना मुहावरे का सही अर्थ क्या होगा

‌‌‌मुहावरा ‌‌‌हिंदी में (idiom in Hindi)मतलब‌‌‌ ‌‌‌या अर्थ (Meaning in Hindi)
कलेजे पर सांप लोटनाजलन होना या ईष्या होना ।

‌‌‌कलेजे पर सांप लोटना मुहावरे के अर्थ को समझने का प्रयास करे

वैसे असल में कलेजा Liver को कहा जाता है मगर मुहावरे में कलेजा मन को दर्शाता है । और मन जो होता है वह हमेशा किसी दुसरो को देख कर खुश नही होता है बल्की कभी कभार मन जो होता है वह ईष्या करने लग जाता है । ‌‌‌क्योकी मन में ईष्या हमेशा दुसरो को देख कर ही होती है । वैसे ईष्या होना को जलन होना भी कहा जाता है और यह आपको पता होना चाहिए । इस तरह से कलेजे पर सांप लोटना मुहावरे का मतलब ईष्या या जलन होना होता है ।

‌‌‌विद्वानो आपके लिए मुहावरे का जो ज्ञान है वह कम है आपको वाक्य देखने चाहिए

कलेजे पर साँप लोटना मुहावरे का अर्थ और वाक्य में प्रयोग व एक कहानी

‌‌‌कलेजे पर सांप लोटना मुहावरे का वाक्य में प्रयोग

1. वाक्य में प्रयोग भारत दिनो दिन अन्य दोशो की तुलना में विकाश करता जा रहा है और यह देख कर कुछ देशो के कलेजे पर सांप लोटता है ।

2. वाक्य में प्रयोग जब कोविड 19 के समय भारत ने जब इसे रोकने की दवा की खोज कर ली तो कुछ देशो के कलेजे पर सांप लोट गया ।

3. वाक्य में प्रयोग किशोर के तीन बेटे थे और तीनो ही ‌‌‌अध्यापक के पद पर नोकरी लग गए और यह देख कर गाव के कुछ लोगो के कलेजे पर सांप लोट गया ।

4. वाक्य में प्रयोग जब मुकेश अंबानी की बेटी का विवाह आनंद पीरामल से हुई तो कई लोगो के कलेजे पर सांप लोट गया ।

5. वाक्य में प्रयोग शिव नादर की व्यापार में तरक्की देख कर बहुत से लोगो के कलेजे पर सांप लोटा मगर ऐसे लोगो का किया भी क्या जा सकता है ।

‌‌‌6. वाक्य में प्रयोग मेरे अनुसार अगर भारत विकशित होता है तो भारत के लोगो के कलेजे पर सांप नही लोटना चाहिए ।

‌‌‌पांडा (Panda) के कलेजे पर सांप लोटने लगा, एक कहानी

एक बार की बात है, जब एक पांडा (Panda) जंगल में रहती थी। वह बहुत ही खुशनुमा जीवन जीती थी और अपने आस-पास के सभी जानवरों से दोस्ती की थी। उसे अपनी आदत से जो बहुत प्रिय थी। वह सबसे पहले सूर्योदय को देखती थी और उसके बाद जंगल के अन्य सभी जानवरों को भी नमस्कार करती थी। ‌‌‌इस तरह की एक पांडा (Panda) हुआ करती थी ।

‌‌‌एक दिर की बात है पांडा (Panda) जो थी वह जंगल में थी और उसने जंगल में घूमते हुए एक हाथी (Elephant) को देखा। हाथी (Elephant) बड़ा था और उसका आकार पांडे से बहुत बड़ा था। पांडा (Panda) को इस बड़े हाथी (Elephant) को देखते हुए ‌‌‌ही कलेजे पर सांप लोट गया। वह सोचने लगी कि यह हाथी (Elephant) इतना बड़ा है कि शायद इससे ‌‌‌मैं दुर्बल हो जाएगी।

पांडा (Panda) ने इस समस्या को हल करने के लिए विचार किया और अंत में उसने अपने आप को समझाया कि इस हाथी (Elephant) से डरने की कोई आवश्यकता नहीं है। उसने सोचा कि हाथी (Elephant) भी एक जीव है और जैसे वह जंगल में रहती है, उसी तरह हाथी (Elephant) भी अपने आस-पास की वातावरण से जुड़ा हुआ होगा।

उस दिन से पांडा (Panda) ने विश्वास को स्थायी कर लिया था और वह हाथी (Elephant) को देखते हुए इस तरह के दुर्भावों से छुटकारा पा गई। ‌‌‌अब पांडा (Panda) अगर हाथी (Elephant) को देखती थी तो उसे ईष्या नही होती थी ।

‌‌‌मगर हैरानी की बात तो यह थी की अब पांडा (Panda) ‌‌‌के जंगल में दूसरे जानवरों को देखते हुए ‌‌‌कलेजे पर सांप लोटना शुरू कर दिया। ‌‌‌इस तरह से होने के कारण से पांडा (Panda) को यह समझ में नही आया की आखिर ऐसा क्यो हो रहा है । मगर अंत में से समझ में आया की उसे किसी से ईष्या नही करनी चाहिए । उसे अब हमेशा याद रहता था कि सभी जीव एक ही प्रकार के होते हैं, बस उनके आकार और रूप थोड़े अलग-थलग होते हैं।

इसी तरह, पांडा (Panda) को उस दिन से एक बड़ा सबका मिला था। उसने समझ लिया था कि अपनी दृष्टि को बदलने से हम दूसरों के साथ बेहतर ढंग से जुड़ सकते हैं और उनसे सही ढंग से बातचीत कर सकते हैं। इस तरह, पांडा (Panda) ने एक बड़ी सीख हासिल की थी और उसे याद रखने के बाद से वह अपनी ईष्या को हमेशा वहीं से शुरू करती थी जहां उसे अपने आस-पास के जीवों को देखता हुआ सबसे पहले देखती थी। ‌‌‌मगर समय में बदलाव होने के कारण से ऐसा अब नही हो रहा था ।

उस दिन के बाद से, पांडा (Panda) ने अपनी ईष्या को ध्यान में रखते हुए अपने जीवन के कई चुनौतियों का सामना किया। वह दूसरों से अधिक संवेदनशील हो गई थी और उनकी भावनाओं को समझने में उसे आसानी होती थी। इससे वह दूसरों के साथ बेहतर ढंग से जुड़ने लगी थी और उनसे अच्छी तरह से समझौता करने में सक्षम हो गई थी।

‌‌‌पांडा (Panda) के कलेजे पर सांप लोटने लगा, एक कहानी

‌‌‌मगर एक दिन की बात है पांडा (Panda) ने एक हाथी (Elephant) को देखा जो की बहुत ही बड़ा था और वह काफी समझदार था । वह अपने सुंड से पकड़ कर पेड़ को हिलाता और पल भर में फलो को जमीन पर गिरा लेता था और यह सब पांडा (Panda) के पास नही था जिसके कारण से उसके कलेजे पर सांप लोट गया । और तब उसने हाथी (Elephant) से कहा की तुमने ऐसा कैसे कर लिया ‌‌‌मैं तो ऐसा नही कर सकती हूं । तब हाथी (Elephant) ने उसे कहा की तुम मुझे देख कर जल रही हो ।

तुम्हे ऐसा नही करना चाहिए क्योकी तुम बेहतरी जीवन जी सकती हो और दूसरे जानवरो को देख कर ऐसा कभी  नही करना चाहिए । तुम्हारे पास कुछ अलग है जो की मेरे पास भी नही है । और इस तरह से कहते हुए हाथी (Elephant) ने उसे पूरी तरह से ‌‌‌समझाया की हमे असल में ईष्या क्यो नही करनी चाहिए । तो इस तरह से पांडा (Panda) फिर जीवन में कभी ईष्या नही करता है । क्योकी अब वह स्वयं के जो अनोखे गुण थे उन्हे तलाशने में लग गई थी । तो इस तरह से पांडा (Panda) थी जो की हमेशा ईष्या करती रहती थी ।

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