खबर लेना मुहावरे का अर्थ, khabar lena muhavare ka arth aur vakya mein prayog
खबर लेना एक ऐसा प्रसिद्ध मुहावरा है जिसके बारे में आज लगभग सभी को पता है । सभी इस मुहावरे का अपने जीवन में उपयोग लेते है। मुहावरे वही नही है जो आप परिक्षाओ में देखते है । हालाकी इसका मतलब यह नही है की यह मुहावरा परिक्षओ में नही पूछा जाता है । बल्की यह मुहावरा परिक्षाओ की दृष्टी से महत्वपूर्ण होता है । मगर असल जीवन में भी खबर लेना मुहावरे का प्रयोग अधिक होता है । अगर इसके अर्थ की बात करे तो आप लेख देखे –
खबर लेना मुहावरे का अर्थ क्या होता है
मुहावरा (idiom in Hindi) | अर्थ या मतलब (Meaning in Hindi) |
खबर लेना | सजा देना या किसी के विरुद्ध कार्यवाई करना । |
खबर लेना मुहावरे को समझे
जब कोई व्यक्ति कुछ ऐसा काम कर देता है जिसे गलत माना जाता है तो उसे सजा दी जाती है । जैसे की आप स्कुल में अध्ययन करते हो मगर आप कुछ शरारत कर देते हो तो आपको शिक्षक सजा देता है । या फिर कह सकते है की आपके विरुद्ध कार्यवाही की जाती है । तो यही पर इस मुहावरे का प्रयोग होता है ।
इस आधार पर हम कहे तो खबर लेना मुहावरे का मतलब सजा देना या किसी के विरुद्ध कार्यवाई करना होता है । वैसे आप जैसे विद्वान अगर इस मुहावरे के बारे में समझ रहे है तो इतना काफी है । क्योकी आप समझ चुके है ।
खबर लेना मुहावरे का वाक्य में प्रयोग भी कर कर बताइए
- जब किसन गलती करता हुआ पकड़ा गया तो अध्यापक ने उसकी अच्छी खबर ली ।
- जैसे ही रामू गलत करता हुआ पिता के सामने आया तो पिता ने खबर लेनी शुरू कर दी ।
- महेश की तो हर दिन उसके पिता खबर लेते रहते है ।
- घोटाला करता हुआ जब पुलिसकर्मी पकड़ा गया तो अधिकारियो ने उसकी अच्छी खबर ली ।
जानिए क्यो साधु की खबर लेनी पड़ी
एक नगर में एक धनी राजा रहता था। राज के पास किसी चीज की कमी नहीं थी। उसके पास वह सब कुछ था जो वह कभी भी चाह या चाह सकता था। हालाँकि, एक दिन, राज का राज्य उससे ले लिया गया था और उसके पास कुछ भी नहीं बचा था। मजबूरी में उन्हें शहर छोड़कर गाँव में रहना पड़ा। राज ने पाया कि ग्रामीण इलाकों में जीवन कठिन था, लेकिन उन्होंने कोशिश करना और इसे काम करना जारी रखा। एक दिन, राज रानी नाम की एक लड़की से मिला, जिसने उसे शहर वापस जाने में मदद की। रानी के लिए धन्यवाद, राज अपनी खोई हुई संपत्ति वापस पाने और अपने पुराने जीवन में वापस आने में सक्षम था।
और समय के साथ राजा को राज्य संभालने का मोका वापस मिला । दरसल राजा के पिता जो थे वह राजा को बताना चाहता था की एक गरीब व्यक्ति किस तरह से गाव में रहता है । और राजा को इस बारे में अच्छी तरह से पता चल गया था । और इसके बाद में राजा अपने राज्य को संभालने लगा था ।
प्राचीन काल में, राजा अक्सर ऋषियों का सम्मान करते थे क्योंकि उन्हें उनके क्षेत्र में विशेषज्ञ माना जाता था। हालाँकि, समय के साथ यह बदल गया है और आज कई राजा ऋषियों को तिरस्कार की दृष्टि से देखते हैं। ऐसा क्यों है? उत्तर इस तरह से निहित है कि आधुनिक समाज ज्ञान और विशेषज्ञता को महत्व देता है। पारंपरिक समाजों में, ज्ञान को एक मूल्यवान संपत्ति के रूप में देखा जाता था और सभी इसका सम्मान करते थे। हालाँकि, आज के समाज में ज्ञान को एक ऐसी चीज़ के रूप में देखा जाता है जिसे सस्ते में और बिना किसी वास्तविक प्रयास के प्राप्त किया जा सकता है।
मगर यह राजा ऐसा नही था बल्की यह तो साधुओ का काफी सम्मान करता था । मगर एक बार राजा को भी साधू की खबर लेनी पड़ गई थी । दरसल एक ढोंगी साधु राजा के राज्य में रहने आया। राज्य के लोग निश्चित नहीं थे कि पहले उसे क्या बनाया जाए, लेकिन जल्द ही वे उसकी ईमानदारी और ईमानदारी के लिए उससे प्यार करने लगे।
वह किसी भी जरूरतमंद की मदद करने के लिए हमेशा तैयार रहते थे और उनमें गजब का सेंस ऑफ ह्यूमर भी था। मगर काफी समय बित जाने पर साधु अपना असली रंग दिखाने लगा था । साधु लोगो को भोला समझ कर उन्हे ठगना शुरू कर देता है और लोगो को बहला फुसलाकर अच्छा धन हासिल कर लेता है । और लोग साधु की बातो पर आंख मुंद कर भरोषा कर कर उसे धन देने लगे थे ।
राजा को पता चलने तक ढोंगी साधु लोगों से पैसे ठगने का सिलसिला काफी समय से चल रहा था। राजा ने भिक्षु को उसके वस्त्र उतारकर और निर्वासित करके दंडित किया। और राजा ने लोगो को भी बताया की यह एक ढोगी साधू है जो की साधू होने का ढोग कर रहा है । जिसके कारण से लोगो को भी पता चला की वह तो एक ढोगी साधू था जो की हमको ठगने में लगा था । तभी लोगो को पता चला की वह तो पास के ही राज्य में कई लोगो को ठग चुका था ।
बौद्ध समुदाय के कई लोग उस समय हैरान रह गए जब उन्हें पता चला कि उनका एक साधु, जिसे वे पहले एक गुणी व्यक्ति समझते थे, एक चोर हुआ करता था। खेमाहत्थु के नाम से जाने जाने वाले साधु को कई साल पहले एक मठ से चोरी करते हुए पकड़ा गया था। तब से, वह समुदाय का एक प्रसिद्ध सदस्य बन गया है और अब एक पाखंडी के रूप में जाना जाता है। कई लोगों को लगता है कि उन्होंने बौद्ध धर्म और उसके मूल्यों की प्रतिष्ठा को धूमिल किया है।
और इस तरह से ढोगी साधू के बारे में पुरी प्रजा को पता चल गया था । और इसके बाद में लोगो ने फैसला किया की वे आसानी से किसी पर भरोषा नही करेगे ।
तो इस तरह से राजा ने बताया की वह साधू की अच्छी खबर लेने लगा तब जाकर ढोगी साधू ने अपनी सच्चाई हमको बताई थी और लोगो से कहा की अगर कोई ऐसा करेगा तो उसके साथ बुरा होगा ।
इस तरह से राजा ने ढोगी साधू की खबर ली थी । और आपको समझना चाहिए की इस मुहावरे का अर्थ क्या है ।