खाक छानना मुहावरे का अर्थ क्या होता है जानिए

खाक छानना मुहावरे का अर्थ क्या होता है, khak channa muhavare ka arth hai, khak channa muhavare ka vakya prayog

अक्षर परिक्षाओ में यह पूछा जाता है की खाक छानना का मतलब या अर्थ क्या है । और यह हाल की परिक्षाओ में पूछा भी गया है । मुझे कुछ साथियो ने बताया की यह एसएससी की होने वाली जीडी की परिक्षा में पूछा गया था । तो इस बात का मतलब यह होता है की यह जो मुहावरा ‌‌‌है वह काफी अच्छा मुहावरा और महत्वपूर्ण होता है ।

दोस्तो अब रही बात यह की खाक छानना मुहावरे का मतलब क्या होता है । या फिर यह कह सकते है की खाक छानना मुहावरे का अर्थ क्या होता है तो दोस्तो इस बारे में हम इस लेख में बात करेगे । तो लेख देखे –

खाक छानना मुहावरे का अर्थ क्या होता है

खाक छानना मुहावरे का अर्थ – भटकना ।

‌‌‌मुहावरा (idiom in Hindi)‌‌‌अर्थ ‌‌‌या मतलब (Meaning in Hindi)
खाक छाननाभटकना ।

‌‌‌जीवन में आज सफल होने के लिए भटकना पड़ता है । और यह बात आपको अच्छी तरह से मालूम है । आप एक ज्ञानी व्यक्ति हो जो की यह अच्छी तरह से जानता है की भटकना किसे कहते है । जब हमे किसी तरह की वस्तु खरीदनी होती है तो वह हमे मिलती नही है तो हम उसे तलाशते हुए पुरे शहर में फिरते रहते है । तो इस तरह ‌‌‌हम भटकते रहते है । उसी तरह से जीवन में कई ऐसे तरीके होते है जिसके कारण से मानव भटकता रहता है। और जहां पर भटकने की बात होती है वहां पर खाक छानना मुहावरे का प्रयोग होता है।

साथि हमेशा ही इस मुहावरे का अर्थ भटकना माना जाता है और यही कारण है की अगर आप परिक्षा में भटकना उत्तर करते हो तो आपका ‌‌‌उत्तर सही होता है ।

 khak channa muhavare ka arth hai

खाक छानना मुहावरा वाक्य मे प्रयोग, khak channa muhavare in hindi

·         ‌‌‌किसन दिन भर खाक छानता रहता है ।

·         नोकरी के लिए आज युवा लोगो को खाक छानते देख कर मुझे अच्छा नही लगता है ।

·         काफी समय से मैं नोकरी पाने के लिए खाक छानता रहा मगर अच्छी नोकरी नही मिली ।

·         आज एक वर्ष बित गया अच्छे काम की तलाश में खाक छान रहा था मगर अभी तक कोई काम नही मिला ।

‌‌‌रघुवीर दिन रात खाक छानता रहता था

‌‌‌रघुवीर का नाम आपने सुना होगा । अगर नही तो आपको बता दे की यह एक छोटे से गाव में रहने वाला आज के युग का जवान था । रघुवीर के घर में उसके माता पिता रहते थे और इसके अलावा उसके घर में कोई नही रहता था  रघुवीर जीतना अधिक पढाई में होसियार था उतना जीवन में सफल नही हो पाया था ।

 ‌‌‌रघुवीर दिन रात काफी अध्ययन करता रहता था । एक दिन एक कीड़ा उसकी खुली किताब में उड़कर पन्ने पर आ गिरा। झटके से रघुवीर की नींद खुल गई। उसने सपना देखा कि उसने एक प्रतिष्ठित कॉलेज की प्रवेश परीक्षा पास कर ली है, लेकिन जब वह उठा, तो कीड़ा गायब था और उसकी किताब खाली थी। यह देख कर रघुवीर को पता चल गया ‌‌‌की यह एक सपना है ।

 जैसे तैसे रघुवीर ने अध्ययन किया और कोलेज में अच्छे अंक प्राप्त कर लिए । अब रघुवीर को लगा की उसे कोई न कोई काम कर लेना चाहिए । ताकी उसके घर की स्थिति सही हो जाए । इसी सोच के कारण से रघुवीर ने काम तलाशना शुरू कर दिया था ।

रघुवीर रोज नौकरी की तलाश में जाता था। लेकिन नौकरी नहीं मिल रही थी. उन्होंने अलग-अलग रास्ते आजमाए और कई कंपनियों से संपर्क भी किया, लेकिन कोई फायदा नहीं हुआ। उनके दोस्तों और परिवार ने उनसे कहा कि उन्हें नौकरी की तलाश छोड़ देनी चाहिए और अपनी पढ़ाई पर ध्यान देना चाहिए।

रघुवीर असहमत; वह जानता था कि अगर उसे बस एक अच्छी नौकरी मिल जाए, तो उसका जीवन बेहतर के लिए बदल जाएगा। एक दिन, शहर में घूमते हुए, उन्होंने ‘jcr’ नामक एक कंपनी में एक पद के लिए एक विज्ञापन देखा। उसने आवेदन किया और उसका साक्षात्कार हुआ; कुछ सोचने के बाद कंपनी ने उन्हें नौकरी पर रखने का फैसला किया। यह पता चला कि ‘jcr’ एक कपटपूर्ण कंपनी थी; उन्होंने कभी किसी को काम पर नहीं रखा था, लेकिन उन्होंने रघुवीर को लुभाने के लिए विज्ञापन बनाया था। ‌‌‌और अंत में रघुवीर को ‘jcr’ कंपनी में भी काम नही मिला।

लंबे समय के बाद आखिरकार रघुवीर को एक कंपनी में नौकरी मिल ही गई। आखिरकार एक स्थिर रोजगार पाकर वह बहुत उत्साहित और खुश था। उसने सोचा कि यह एक आसान काम होगा लेकिन जल्द ही उसे पता चला कि ऐसा नहीं था।

कंपनी कुछ कठिन दौर से गुजर रही थी और संगठन के भीतर बहुत सारे बदलाव हो रहे थे। तमाम चुनौतियों के बावजूद, रघुवीर अपने काम पर अड़े रहे और चीजों को काम करने की पूरी कोशिश की।

रघुवीर एक नौजवान है जिसे नौकरी खोजने के लिए कई शहरों में घूमना पड़ा है। उसने ऐसा इसलिए किया है क्योंकि वह अपने परिवार के साथ नहीं रहना चाहता और उन्हें अपने जीवन पर नियंत्रण रखना है। रघुवीर अपने निर्णय लेने में सक्षम होना चाहता है और वह जीवन जीना चाहता है जो वह चाहता है।‌‌‌और जब रघुवीर को नोकरी मिल गई तो वह भी अपने घर के लोगो के साथ अच्छी तरह से रहने लगा ।

खाक छानना मुहावरे का अर्थ क्या होता है जानिए

रघुवीर के नौकरी लगने की खुशी में घर के लोगों ने थोड़ी खुशियां मनाईं। वे सभी उसके लिए बहुत उत्साहित थे और उसकी उपलब्धि पर उसे बधाई दी। रघुवीर बहुत आभारी थे और उन्होंने उन सभी को उनके समर्थन के लिए धन्यवाद दिया। वह बहुत खुश था कि आखिरकार उसे एक ऐसी नौकरी मिली जो उसके अनुकूल थी और वह जल्द ही काम शुरू करने की आशा कर रहा था।

कोई नहीं जानता था कि जब रघुवीर ने घोषणा की कि उसे नौकरी मिल गई है तो क्या उम्मीद की जाए। जश्न मनाने के लिए उत्सुक उनके दोस्तों ने सबसे अच्छी पार्टी दी जिसकी वे कल्पना भी नहीं कर सकते थे। रात हँसी और अच्छे समय से भरी हुई थी क्योंकि सभी ने रघुवीर को उसकी नई स्थिति में बसने में मदद की। सभी के समर्थन से, रघुवीर को विश्वास है कि वह इसे काम कर सकता है और अपने नए करियर में सफल हो सकता है।

‌‌‌इस तरह से काफी कोशिशो के बाद में रघुवीर को नोकरी मिली थी। मगर जब तक नोकरी नही मली थी तब तक रघुवीर इसी तरह से भटकता रहा था । और यही कारण है की इस मुहावरे का अर्थ भटकना होता है ।

‌‌‌अंत में कह सकते है की आप इस मुहावरे के अर्थ को समझ चुके है ।

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