खून का प्यासा होना मुहावरे का अर्थ aur vakya mein prayog

खून का प्यासा होना मुहावरे का अर्थ , khoon ka pyasa hona muhavare ka arth aur vakya mein prayog

खून का प्यारा एक प्रसिद्ध मुहावरा है जो की काफी अधिक बार परिक्षाओ में पूछा जा चुका है । अगर आपको पता नही है की इस मुहावरे का अर्थ क्या होता है तो आपको बता दे की यह लेख आपके लिए उपयोगी होगा ।

चाहे आप एक छोटी कक्षा के विद्याथी हो या बड़ी कक्षा के विद्याथी ‌‌‌हो आज सभी के लिए खून का प्यासा होना मुहावरा महत्वपूर्ण माना गया है । तो आइए जानते है इस मुहावरे के बारे में

खून का प्यासा होना मुहावरे का अर्थ क्या होता है

‌‌‌मुहावरा (idiom in Hindi)‌‌‌अर्थ ‌‌‌या मतलब (Meaning in Hindi)
खून का प्यासाजान का दुश्मन होना ।

खून का प्यासा होना मुहावरा एक ऐसा मुहावरा है जिसके बारे में आप नाम सुनते ही बता सकते है की इसका अर्थ क्या है । क्योकी खून का प्यासा होने का मतलब है की कोई है जो की जान लेने को तैयार है । वैसे जीवन में जो जान लेना चाहता है उसे जान का दूश्मन कहा जाता है और जो जान का दूश्मन होता है वही खून का ‌‌‌प्यासा होता है । तो इस तरह से खून का प्यासा होना मुहावरे का अर्थ हुआ जान का दुश्मन होना ।

खून का प्यासा होना मुहावरे का वाक्य में प्रयोग कैसे होगा

  • महेश कई दिनो से रामू के खून का प्यासा बना हुआ है ।
  • ऐसा क्या हो गया जो तुम उसके खुन का प्यासा बन गए ।
  • जरूर किसन ने ही यह घिनोना काम किया ‌‌‌होगा क्योकी वह मेरे खून का प्यासा है ।
  • महेश से जरा तुम बच कर रहना वह तुम्हारे खून का प्यारा बना हुआ है ।

‌‌‌क्यो राजा बन गया खून का प्यासा

प्राचीन काल की बात है एक राजा हुआ करता था। उसके पुत्र, पुत्री, पत्नी और बहुत से सेवक राजा के भवन में रहते थे। राजा के पास कई जिम्मेदारियाँ थीं और उसे ऐसे निर्णय लेने पड़ते थे जो उसके राज्य को प्रभावित करते थे। उसने अपने सलाहकारों की मदद से शासन किया और अपने लोगों की भलाई के लिए जिम्मेदार था।

राजा प्रजा की आवश्यकता की बात करता था और उसकी आवश्यकता की पूर्ति करता था। जिस किसी को भी उसकी जरूरत थी, वह उसके लिए हमेशा उपलब्ध था और वह हर संभव मदद करेगा। वह एक महान नेता थे और हमेशा अपने लोगों की जरूरतों को पहले रखते थे।

एक गरीब व्यक्ति राजा के सामने पेट भर भोजन की भीख माँगता हुआ आता है। राजा अचंभित हो जाता है और पूछता है कि वह व्यक्ति ऐसी अवस्था में क्यों है। गरीब व्यक्ति जवाब देता है कि वे भूखे मर रहे हैं और उन्हें मदद की जरूरत है। राजा दलील से हिल गया और गरीब व्यक्ति को वह देने का फैसला किया जो वह चाहता है। वह अपने सेवकों को आज्ञा देता है कि सब के खाने के लिये जेवनार ले आओ।

आर्थिक मंदी के बावजूद एक राजा ने गरीबों को भोजन कराकर कार्रवाई करने का फैसला किया है। इस कदम ने लोगों को बहुत खुश किया है और मानवता में उनका कुछ विश्वास बहाल किया है। राजा को एक बहुत ही दयालु और देखभाल करने वाला शासक कहा जाता है जो वास्तव में अपनी प्रजा की परवाह करता है। यह इस बात का एक बड़ा उदाहरण है कि कैसे एक छोटा सा कार्य किसी समुदाय पर स्थायी प्रभाव डाल सकता है।

‌‌‌इसके बाद में राजा प्रजा की भुख की समस्या को हल करने की सोचता है और इस बारे मे अपने मंत्री से बात करता है और वे एक योजना बनाते हैं। राजा समाधान से बहुत खुश है और यह सुनिश्चित करता है कि इसे जल्द से जल्द अमल में लाया जाए। उम्मीद है कि इससे उसके राज्य के लोगों की भूख की समस्या का समाधान होगा और वे अधिक संतुष्ट होंगे।

‌‌‌इसके बाद में राजा ने अपनी प्रजा को भरपेट भोजन करवाना शुरू कर दिया था । ताकी अगर कोई व्यक्ति भुखा है तो उसकी मदद की जा सके । तब राजा को यह भी पता चला की इस धरती पर और इस प्रजा में काफी ऐसे लोग है जीनके पास खाना नही है । क्योकी उनके पास उचित मात्रा में अन्न तक नही है । और इसका कारण इस वर्ष ‌‌‌वर्षां का न होना था । जिसके कारण से अन्न बहुत ही कम पैदा हुआ था । और यह जान कर राजा ने फैसला लिया की वह लोगो को अन्न बाटेगा ।

राजा ने प्रजा को खाने के लिए अन्न दान किया। लेकिन उस अनाज का बड़ा हिस्सा बिचौलिए ने अपने पास रख लिया। लोग उससे बहुत नाखुश थे और विरोध किया। जवाब में, राजा ने अपने सैनिकों को आदेश दिया कि वे बिचौलिए का माल जब्त कर लें और उसे लोगों को लौटा दें। ‌‌‌मगर ऐसा नही हुआ । क्योकी बिचोलिया नही माना और सेनिको की एक नही सुनी । जब इस बारे में राजा को पता चला तो राजा ने बिचोलिए को पकड़ने का आदेश दे दिया ।

‌‌‌मगर बिचोलिया राजा के आदेश का पालन नही करता है और सेनिको को वापस भेज देता है । और कहता है की प्रजा का कोई अन्न मेरे पास नही है । ‌‌‌मगर जब सेनिक उसे पकड़ने की कोशिश करते है तो वह भाग जाता है ।

खून का प्यासा होना मुहावरे का अर्थ क्या होता है

जब बिचौलिया सिपाहियों पर हमला करके भाग जाता है तो राजा को बिचौलिए की कहानी सुनने की प्यास लग जाती है। राजा अपने सभी सलाहकारों को बुलाता है और उनसे पूछता है कि उन्हें क्या करना चाहिए। कुछ सुझाव देते हैं कि किसी को बिचौलिए के पीछे जाना चाहिए, दूसरों का तर्क है कि यह इसके लायक नहीं है क्योंकि वह पहले ही जा चुका है। अंत में, राजा अपने सबसे अच्छे सैनिक को बिचौलिए को पकड़ने और पकड़ने के लिए भेजने का फैसला करता है। ‌‌‌और कहता है की अब मैं प्रजा के लिए बिचोलिए के खुन का प्यासा बन चुका हूं । तो अगर आकपो बिचोलिया नजर आता है तो उसे वही पर मार देना होगा । और उससे अन्न का पता पूछ लेना ताकी अन्न प्रजा के पास सही स्थान पर पहुंच सके ।

मगर जब इस बारे में बिचोलिए को पता चला तो वह राजा के सामने गिरफतार हो जाता ‌‌‌है और माफी मागते हुए कहता है की मेरे से गलती हो गई जो की मैं प्रजा का धन चुराने लगा । ‌‌‌इस तरह से कहने पर राजा ने उसे माफ किया और कारागार में डाल दिया गया  । साथ ही प्रजा को जो अन्न देना था वह प्रजा के पास पहुंचा दिया । तो इस तरह से प्रजा के लिए राजा खुन का प्यासा तक बन जाता था ।

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