खून पसीना बहाना मुहावरे का अर्थ, khoon pasina bahana muhavare ka arth aur vakya me prayog
खून पसीना बहाना एक प्रसिद्ध मुहावरा है अगर आप इसे अर्थ को समझना चाहते है तो इस मुहावरे को अच्छी तरह से समझने का प्रयास करे अर्थ अपने आप समझ में आ जाएगा । दरसल खून पसीना बहाना मुहावरे का जो अर्थ होता है और उसका वाक्य में प्रयोग किस तरह से करते है आदी सभी के बारे में आपको अच्छी तरह से समझाने वाले है । तो लेख को देखे और मोज करे मतलब अर्थ याद करे
खून पसीना बहाना मुहावरे का अर्थ क्या होता है आइए जानते है , khoon pasina bahana muhavare ka arth
मुहावरा (idiom in Hindi) | अर्थ या मतलब (Meaning in Hindi) |
खून पसीना बहाना | दिन रात मेहनत करना । |
खून पसीना एक करना मुहावरे के अर्थ की जब बात होती है तो कुछ लोग समझ लेते है की पसीने की तरह किसी कारण से लोगो का खून बहाने की बात हो रही है । मगर ऐसा नही है । क्योकी लोगो का खून बहना इतना आसान नही है और यह करना भी कानूनी अपराध माना जाता है ।
मगर जब स्वयं के खून को बहाने की बात होती है तो यह काफी मुश्किल भरा होता है और किया भी नही जा सकता है । मगर पसीना जो होता है वह ऐसे तो आता नही है आपको भी पता है की जब आप काफी मेहनत करते है तभी पसिना आता है । तो यही कारण है की जब बहुत अधिक मेहनत करने की बात होती है तो इसे खून पसीना बहाना कहा जाता है ।
खून पसीना बहाना मुहावरे का वाक्य में प्रयोग , khoon pasina bahana muhavare ka vakya me prayog
वाक्य में प्रयोग – महेश काफी समय से जॉब लगने के लिए खून पसीना बहा रहा है ।
वाक्य में प्रयोग – आज पांच वर्ष बित गए किशोर को खून पसीना बहाते हुए मगर जॉब नही मिली ।
वाक्य में प्रयोग – अगर इसी तरह से जीवन भर जॉब पाने के लिए खून पसीना बहाते रहोगे तो कभी न कभी जॉब मिल ही जाएगी ।
वाक्य में प्रयोग – उस उम्र में अगर एक वर्ष भी हम खून पसीना बहा लेते तो आज एक सरकारी अध्यापक होते ।
चंडालाल ने खून पसीना बहा कर जॉब हासिल की, एक प्रसिद्ध कहानी
चंडालाल एक युवा लड़का था जो अभी कॉलेज में पढ़ रहा था। घर में वह अपने माता-पिता और दो छोटी बहनों के साथ रहता था। चांडालाल के माता-पिता दोनों शिक्षक थे, इसलिए वह हमेशा किताबों और विद्याओं से घिरा रहता था। उन्हें स्कूल जाना और नई चीजें सीखना बहुत पसंद था, भले ही उन्हें कभी-कभी अपनी पढ़ाई पर ध्यान केंद्रित करने में मुश्किल होती थी। एक दिन, चंडालाल ने अपनी कक्षाओं से छुट्टी लेने और परिसर में घूमने जाने का फैसला किया।
वह वहां पहले कभी नहीं गया था और उसे नहीं पता था कि कहां जाना है। लेकिन चलते-चलते चांडालाल को अपने अंदर शांति का अहसास होने लगा। वह जानता था कि यह वह जगह है जहाँ वह था – सीखने और खोज की दुनिया में। चंडालाल तब तक चलता रहा जब तक कि वह परिसर के बाहर झील पर नहीं पहुंच गया। वहाँ वह बैठ गया और ध्यान करने लगा।
तभी चांडालाल का अध्यापक वहां पर आ गया और उसे डाटते हुए कक्षा के अंदर भेज दिया । चांडालाल को कक्षा में ध्यान देने में कठिनाई हो रही थी। वह केवल घर पहुंचने के बारे में सोच सकती थी ताकि वह अपनी आगामी परीक्षाओं के लिए अध्ययन कर सके। हालांकि, जब वह बैठने के लिए कक्षा के अंदर गई तो शिक्षक आए और सभी को पढ़ाने लगे। चंडालाल हैरान था लेकिन उसने इसके साथ रहने और पढ़ाई शुरू करने का फैसला किया। वह आखिरकार घर आ गया और अपने परीक्षणों के लिए अभ्यास करना शुरू कर दिया, लेकिन इस बार बहुत अधिक ध्यान केंद्रित किया।
अगले दिन की बात है चांडालाल की कक्षा में अध्यापक पढा रहा था । चांडाल को इस विषय का बहुत ज्ञान था और वह शिक्षक द्वारा पूछे गए सभी प्रश्नों का उत्तर देने में सक्षम था। उन्होंने सभी सवालों के जवाब देकर कक्षा में अपनी लगन और रुचि दिखाई। उनके अच्छे प्रदर्शन ने उन्हें प्रश्नोत्तरी में अंक हासिल करने और अच्छे ग्रेड अर्जित करने में मदद की।
भारत की 24 वर्षीय चांडालाल ने अपनी कक्षा में सर्वश्रेष्ठ अंक प्राप्त किए और अच्छी डिग्री प्राप्त की। उसे खुद पर बहुत गर्व था और वह अपनी उपलब्धि से बहुत खुश थी। चंडालाल के माता-पिता उसके लिए बहुत खुश थे और वे उसकी शैक्षणिक उपलब्धियों से भी प्रभावित थे।
चंदालाल, भारत में एक कॉलेज छात्र, एक वर्ष से अधिक समय से बेरोजगार है। उसने स्कूल जाना बंद कर दिया है और अपना सारा समय नौकरी की तलाश में बिता रहा है। वह खाना-पानी तक भूल गया है, क्योंकि वह अपना सारा समय पढ़ाई में लगाता है। चांडालाल का परिवार उस पर नौकरी पाने का दबाव बना रहा है ताकि वे उसका समर्थन कर सकें, लेकिन चांडालाल ऐसा नहीं चाहता। उनका मानना है कि कड़ी मेहनत ही सफलता की कुंजी है और अगर वह कोशिश करते रहें तो उन्हें नौकरी मिल सकती है।
और इसी तरह से चांडालाल ने खून पसीना बहाते हुए एक साल तक पढ़ाई की और आखिरकार उसे नौकरी मिल ही गई। वह अब एक बड़ी कंपनी में मैनेजर है। वह अपनी सफलता का श्रेय कड़ी मेहनत, दृढ़ संकल्प और निरंतर सीखने को देता है। चंडालाल का कहना है कि उसने अपने सपनों को कभी नहीं छोड़ा और हर दिन अपने जुनून का पालन करता है।
इस दिन के बाद में चांडालाल काफी खुश था और घर के सभी सदस्य खुश थे की उनका बेटा नोकरी लग गया है । और तब जाकर चांडालाल और उसके घर के सभी सदस्य दूसरो को बताना शुरू करते है की किस तरह से चांडालाल ने एक वर्ष तक खून पसीना बहाते हुए अध्ययन किया था और यही कारण है की वह आप कंपनी में मैनेजर बना हुआ है । बैंक में मनेजर की पोस्ट होना चांडालाल को खुश कर देता है । और यह खुशी उसे देखते ही जाहिर हो जाती है । और आज उस गाव के अंदर रहने वाले बहुत से लोग चांडालाल को देख कर तैयारी करते है । क्योकी उन लोगो ने देखा है की किस तरह से चांडालाल एक वर्ष तक खून पसीना बहाता रहा तब जाकर वह नोकरी लग सका था ।
तो दोस्तो आप इस कहानी से समझ सकते है की इस मुहावरे का अर्थ क्या है ।