khayali pulav pakana muhavare ka arth kya hoga, ख्याली पुलाव पकाना मुहावरे का अर्थ
अगर आप अपने ख्यालो में भी पुलाव को पकाने लग जाते हो तो हो गया ख्याली पुलाव पकाना …………… मजाक कर रहे है ऐसा न तो हुआ है और न ही होगा ।
वैसे आपकी जानकारी के लिए बता दे की ख्याली पूलाव पकाना एक मुहावरा है जो की कोई छोटा मुहावरा नही है बल्की यह काफी प्रसिद्ध मुहावरो में से एक है । तो आपको इसके बारे में अच्छी तरह से जानकारी होनी जरूरी है । वैसे हम इस लेख में इस बारे में जान लेगे तो आइए शुरू करते है
ख्याली पुलाव पकाना मुहावरे का सही अर्थ क्या होता है
मुहावरा हिंदी में (idiom in Hindi) | मतलब या अर्थ (Meaning in Hindi) |
ख्याली पुलाव पकाना | असंभव बाते करना या कल्पनाओं में रहना |
ख्याली पुलाव पकाना मुहावरे के अर्थ को समझने का प्रयास करे
वैसे पुलाव जो होता है वह एक तरह का चावल से बना व्यंजन होता है । और आपको पता है की इस व्यंजन को बनाने के लिए असल जीवन में मेहनत और कार्य करना होता है ।
मगर वही पर केवल ख्यालो के अंदर यानि सोच के अंदर ही पुलाव को पकाया जाए तो आप ही सोचिए की यह कैसे संभव हो सकता है। यह तो केवल कल्पना करने के समान ही होता है । और वैसे जो इस तरह के ख्याल रखता है उन्हे कल्पनाओ में रहना कहा जाता है । जैसे की हमने बताया की ख्यालो के अंदर पुलाव को पकाना अंसभव होता है । तो अगर कोई अपनी कल्पना या ख्याल के आधार पर कुछ बाते बोलता है तो इसे भी ख्याली पुलाव पकाना कहा जाता है । इन सभी बातो से यह साफ हो जाता है की ख्याली पुलाव पकाना मुहावरे का सही अर्थ असंभव बाते करना या कल्पनाओं में रहना होता है ।

ख्याली पुलाव पकाना मुहावरे का वाक्य में प्रयोग किजिए
1. वाक्य में प्रयोग – महेश आज 20 वर्षों का हो गया है मगर अभी तक ख्याली पुलाव पकाना नही छोड़ा ।
2. वाक्य में प्रयोग – अर्जुन को श्री कृष्ण जी ने बताया की युद्ध भुमी में सामने वालो को मारने की हिम्मत रखनी होती है केवल ख्याली पुलाव पकाने से कुछ नही होता है ।
3. वाक्य में प्रयोग – जब कंचन के लिए योग्य वर मिल गया तो वह अपने होने वाले पति के साथ बिताने वाले समय के बारे में ख्याली पुलाव पकाने लग गई ।
4. वाक्य में प्रयोग – जब चोर को जेल में डाल दिया गया तो वह जेल से फरार होने के लिए ख्याली पुलाव पकाने लग गया ।
5. वाक्य में प्रयोग – सरोज कभी कहती है की वह एक डॉक्टर से विवाह करेगी तो कभी कहती है की वह एक इंजिनियर से विवाह करेगी, तब उसकी सहेली ने भी कह दिया की इस तरह से ख्याली पुलाव पकाना बंदर करो ।
6. वाक्य में प्रयोग – कोविड के चलते पुरे भारत के लोग अपने घर पर बैठ गए और काम न होने के कारण से ख्याली पुलाव पकाने लग गए ।
7. वाक्य में प्रयोग – महेश जैसे ही 21 वर्ष का हुआ तो उसके लिए रिश्ते आने लग गए और उसने भी विवाह के लिए ख्याली पुलाव पकाना शुर कर दिया ।
बंदर ने बताया की वह ख्याली पुलाव पकाता नही है, एक कहानी
एक बार की बात है, दूर एक हरे-भरे जंगल में, बोंगो (Monkey) नाम का एक नटखट बंदर रहता था। बोंगो (Monkey) अपनी त्वरित बुद्धि और असीम ऊर्जा के लिए पूरे जंगल में जाने जाते थे। वह हमेशा एक चुनौती के लिए तैयार रहते थे और यह साबित करना पसंद करते थे कि वह असंभव को भी संभव कर सकते हैं।
एक दिन, जब बोंगो (Monkey) पेड़ों पर झूल रहा था, उसने जानवरों के एक समूह को एक असंभव प्रतीत होने वाले कार्य के बारे में चर्चा करते हुए सुना। जानवर एक बोल्डर के बारे में शिकायत कर रहे थे जो हफ्तों से उनके जल स्रोत के प्रवेश द्वार को अवरुद्ध कर रहा था। चाहे वे कितनी भी कोशिश कर लें, वे शिलाखंड को हिला नहीं सकते थे और धीरे-धीरे पानी खत्म हो रहा था।
बोंगो (Monkey) एक चुनौती का विरोध नहीं कर सका, और उसने मदद करने की पेशकश की। जानवरों को पहले तो संदेह हुआ, लेकिन बोंगो (Monkey) ने उन्हें गलत साबित करने की ठानी। वह शिलाखंड पर झूल गया और उसे आकार दिया। यह एक विशाल चट्टान थी, कम से कम अपने आकार से दोगुनी, और असंभव रूप से भारी लग रही थी।
लेकिन बोंगो (Monkey) ने उसे रोकने नहीं दिया। उसने एक गहरी साँस ली, अपनी आँखें बंद कीं और अपनी सारी ऊर्जा शिलाखंड पर केंद्रित कर दी। धीरे-धीरे लेकिन निश्चित रूप से, वह उसे आगे बढ़ाने लगा। पहले तो यह केवल कुछ इंच ही हिली, लेकिन बोंगो (Monkey) ने इसे जारी रखा। उन्होंने अपनी सारी शक्ति के साथ धक्का दिया, तनाव और प्रयास के साथ घुरघुराना।
आखिरकार, घंटों की तरह लगने के बाद, बोल्डर लुढ़कने लगा। बोंगो (Monkey) ने विजय की लहर महसूस की जब उसने बोल्डर को पानी के स्रोत से दूर और पास के समाशोधन में निर्देशित किया। जैसे ही पानी एक बार फिर स्वतंत्र रूप से बहने लगा जानवरों ने खुशी मनाई।
बोंगो (Monkey) ने अपने नए प्रशंसकों की प्रशंसा का आनंद लिया, लेकिन वह जानता था कि उसका काम अभी पूरा नहीं हुआ था। उसे एक और असम्भव काम निपटाना था। बंदरों (Monkeys) का एक समूह वर्षों से एक ऊंचे पेड़ पर चढ़ने के लिए संघर्ष कर रहा था, लेकिन वे कितनी भी कोशिश कर लें, वे शीर्ष पर नहीं पहुंच सके। सभी को लगता की पेड़ पर चढना तो ख्याली पुलाव पकाना की तरह है ।
बोंगो (Monkey) हमेशा कहता था की उसके लिए पेड़ पर चढना बांए हाथ का खेल है । मगर कोई भी इस बात को समझता नही था । सभी को लगता था की बोगो केवल ख्याली पुलाव पकाता है । मगर ऐसा नही था । बोंगो (Monkey) कभी भी चुनौती से पीछे हटने वालों में से नहीं थे, और उन्होंने अपनी किस्मत आजमाने का फैसला किया। फिसलन वाली शाखाओं और हर मोड़ पर दुबके रहने वाले खतरनाक शिकारियों से बचने के लिए अपनी तेज़-तर्रार सजगता का उपयोग करते हुए, वह आसानी से पेड़ पर चढ़ गया।

जब वह अंत में शीर्ष पर पहुंचा, तो उसने आश्चर्यजनक बंदरों (Monkeys) के एक समूह को उसकी प्रतीक्षा करते देखा। वे विश्वास नहीं कर सकते थे कि उसने इसे पूरे रास्ते बना लिया था, और उन्होंने उस पर प्रशंसा और प्रशंसा की बौछार कर दी। तब बोंगो (Monkey) के इस काम के कारण से जानवरों को पता चल गया था की वह केवल ख्याली पुलाव नही पकाता है ।
बोंगो (Monkey) एक ही दिन में दो असंभव कार्यों को पूरा करने के लिए रोमांचित था, लेकिन वह जानता था कि जंगल में अभी और भी चुनौतियाँ उसका इंतजार कर रही थीं। उसकी आंखों में एक शरारती चमक के साथ, वह आगे आने वाली हर चीज के लिए तैयार होकर पेड़ों पर झूल गया।