tedi kheer muhavare ka arth aur vakya prayog, टेढ़ी खीर मुहावरे का अर्थ
वैसे जलेबी तो टेढी होती है मगर यह खीर कैसे टेढी हो गई । समझ में नही आया मगर टेंसन न ले क्योकी आपको पहले बता दे की यह एक मुहावरा है और इसके अर्थ और वाक्य में प्रयोग के बारे में इस लेख में हम जान लेगे । तो आइए शुरू करते है ।
टेढ़ी खीर मुहावरे का सही अर्थ क्या होगा
मुहावरा हिंदी में (idiom in Hindi) | मतलब या अर्थ (Meaning in Hindi) |
टेढ़ी खीर | कठिन कार्य । |
टेढी खीर मुहावरे के अर्थ को समझने का प्रयास करे
वैसे आपको पता होगा की टेढी वह होती है जो की सधी न हो । और खीर के बारे में आपको पता ही है । मगर खीर जो होती है न तो सीधी होती है और न ही टेढी होती है । क्योकी यह एक तरह का तरल सा होता है । मगर खीर को टेढी करना बहुत ही कठिन काम होता है । क्योकी खीर टेढी नही हो सकती है असल में वह एक तरल सा होता है । जिसे टेढी किया नही जा सकता है । ओर इस कारण से ऐसा करने को कठिन कार्य कहा जाता है । इस आधार पर टेढी खीर का मतलब कठीन कार्य होता है ।
टेढी खीर मुहावरे का वाक्य में प्रयोग
1. वाक्य में प्रयोग – इंडियन आर्मी को हराना दुश्मनो के लिए टेढी खीर की तरह है ।
2. वाक्य में प्रयोग – आईटीआई का कोर्स करना तो आसान काम है मगर पीएमटी करना टेढी खीर की तरह है ।
3. वाक्य में प्रयोग – आज के युग में डॉक्टर बनाना किसी टेढी खीर से कम नही है ।
4. वाक्य में प्रयोग – कंचन एक स्कुल की अध्यापक है और रामलाल उसी से विवाह करना चाहता है जो की अनपढ है, अरे रामलाल को क्या पता नही की यह तो टेढी खीर की तरह है ।
5. वाक्य में प्रयोग – कोविड 19 के चलते कई लोग बीमार हो गए और कईयो की मोत हो गई और यह सब देख कर समझ में आ रहा था की कोविड 19 से बचना टेढी खीर है ।
6. वाक्य में प्रयोग – आज के युग में राम जैसे लोगो का मिलना टेढी खीर से कम नही है ।
गेंडा (Rhinoceros) के लिए टेढी खीर होना, एक अलग तरह की कहानी
एक छोटे से गांव में गेंडा (Rhinoceros) रहता था और वह अपना जीवन शांति और आराम से बिताता था। वह रोज अपनी खेतों में काम करता और रात को अपने घर वालों के साथ समय बिताता था। उसे अपने जीवन में कोई फिक्र नहीं थी और वह सभी के लिए एक अच्छा दोस्त बन गया था।
गेंडा (Rhinoceros) को अपनी जिंदगी में किसी भी प्रकार की धन-दौलत या संपत्ति की जरूरत नहीं थी। वह खुश था जो कुछ भी उसके पास था, उससे संतुष्ट था। उसे स्वस्थ रहने के लिए एक छोटा सा घर और खेत ही काफी थे। उसे खुश रहने का सबसे बड़ा कारण यह था कि वह अपने जीवन में खुशियों की महत्त्व को समझता था और दूसरों की मदद करने में खुश रहता था।
एक छोटे से गांव में रहने वाले एक गेंडा (Rhinoceros) ने एक दिन सोचा कि वह अपने जीवन में कुछ बदलाव लाना चाहता है। वह सोचता था कि अगर वह कुछ कठिन काम करता है तो उसके जीवन में सफलता मिल सकती है।
एक दिन उसे एक पेड़ से गिरे हुए फलों का समूह देखा गया जो सड़क पर फैला हुआ था। गेंडा (Rhinoceros) ने सोचा कि इस समस्या का समाधान करना उसके लिए एक टेढी खीर हो सकता है।
गेंडा (Rhinoceros) ने सोचा कि उसे फलों को एक साथ इकट्ठा करना होगा ताकि यह सड़क पर फैले न रहें। लेकिन यह टेढी खीर था क्योंकि फल बहुत भारी थे और गेंडा (Rhinoceros) के पास उन्हें उठाने के लिए कोई विशेष उपकरण नहीं था।
गेंडा (Rhinoceros) ने फिर भी कोशिश की और फलों को एकत्रित करने के लिए अपने पैरों का उपयोग किया। वह फलों को एकत्रित करने के लिए अपने पैरों पर खड़ा हो गया था और अपनी पूरी ताकत लगा रहा था।
फलों को एकत्रित करने में गेंडा (Rhinoceros) को बहुत समय लगा और उसे बहुत थकान महसूस हो रही थी। गेंडा (Rhinoceros) ने थकाने के बावजूद फलों को एकत्रित करने के लिए पूरी लगन लगाई। उसने फलों को एकत्रित करने के बाद उन्हें बच्चों और ग्रामीणों के बीच बांट दिया।
उसकी इस नेक कार्य की वजह से उसकी गली के बच्चे उसे अधिक सम्मान देने लगे थे। गेंडा (Rhinoceros) जो अभी तक इस तरह के सम्मान से अनभिज्ञ था, उसे अब अधिक समझ में आ रहा था कि सफलता के लिए बड़े टेढी खीर करना ज़रूरी नहीं है, बल्कि छोटे काम भी बड़ी सफलता लाने में सक्षम होते हैं।
गेंडा (Rhinoceros) ने फिर सोचा कि वह अगली बार सड़क पर फैले हुए फलों को एकत्रित करने के लिए बेहतर तरीके ढूंढेगा। इस से उसका सोचने का ढंग भी बदल गया था जिससे वह अधिक सक्रिय और सफल जीवन जीने की ओर बढ़ गया।
एक दिन गेंडा (Rhinoceros) गांव के लोगों की मदद करने के लिए निकला। गांव में एक बहुत बड़ी नदी थी जिसे पार करना बहुत मुश्किल था। इस नदी के उत्तरी तट पर कुछ लोग रहते थे जो रोज नदी पार करने के लिए कश्तियां बनाते थे।
गेंडा (Rhinoceros) ने देखा कि लोग कश्तियों को बनाने में बहुत से कठिनाईयों से जूझ रहे हैं। वे उन्हें देखते हुए पता चला कि ये लोग बहुत तंगदस्ती से काम कर रहे हैं। वे खाद्य सामग्री और अन्य सामग्री के लिए बाहर से आते थे और नदी के उत्तरी तट पर कुछ असुरक्षित कुटियों में रहते थे।
गेंडा (Rhinoceros) को लगा कि इन लोगों को मदद करना उनके लिए अपना कर्तव्य है। उसने इन लोगों के साथ काम करने का फैसला किया और उनकी मदद करने के लिए तत्पर हो गया।
गेंडा (Rhinoceros) ने इन लोगों से मिलकर उनके कश्तियों के बारे में विस्तार से जानकारी ली और उनसे उनकी मदद के लिए पूछा। उसने उन्हें बताया कि वह भी उनके साथ काम करना चाहता है। उन्होंने गेंडा (Rhinoceros) का स्वागत किया और उन्हें बताया कि वे कश्तियों को बनाना उनके लिए टेढी खीर के समान था । गेंडा (Rhinoceros) ने उन्हें अपनी मदद का आश्वासन दिया और उनके साथ काम करना शुरू किया।
गेंडा (Rhinoceros) ने अपनी शारीरिक शक्ति का उपयोग करके लोगों की मदद की। उन्होंने खुद से बड़े और भारी वस्तुओं को उठाया और कश्तियों को ढलाई दी। वे अपनी बल का उपयोग करके लोगों की मदद करते रहे और उनकी मुश्किलें कम करते रहे।
गेंडा (Rhinoceros) ने बिना किसी शिकायत के काम किया और लोगों की मदद की। इससे उनकी मदद का एक बड़ा उदाहरण बना और लोगों के दिलों में उनके लिए एक विशेष स्थान बन गया। इस तरह, गेंडा (Rhinoceros) ने दिखाया कि किसी भी काम को किसी भी समय करना संभव है। अगर हम अपने आसपास के लोगों की मदद करने के लिए तत्पर हों, तो हम जितने भी कठिनाईयों से गुजरते हैं, उन्हें संभव होते हुए देख सकते हैं।
जब लोगों ने देखा कि गेंडा (Rhinoceros) इतनी मेहनत कर रहा है और उनकी मदद कर रहा है, तो उनके मन में उनके प्रति एक गहरी आदर और सम्मान का भाव उत्पन्न हुआ। गेंडा (Rhinoceros) ने देखा कि वह न केवल लोगों की मदद कर रहा था, बल्कि लोग उसे भी सम्मान दे रहे थे।
इस कहानी से हमें यह सीख मिलती है कि हमें अपने आसपास के लोगों की मदद करना चाहिए। इससे न केवल हम उनकी मदद करते हैं, बल्कि हमारी भी उनसे मदद मिलती है। जब हम दूसरों के लिए कुछ करते हैं, तो हम उन्हें एक अच्छा उदाहरण भी प्रदान करते हैं। और जब हम लोगों के दिलों में सम्मान और आदर का भाव उत्पन्न करते हैं, तो हम उनके दिलों में एक स्थायी स्थान बना लेते हैं।
इस तरह से गेंडा (Rhinoceros) टेढी खीर वाले काम कर लेता था ।