dhobi ka kutta ghar ka na ghat ka muhavare ka arth, धोबी का कुत्ता घर का न घाट का मुहावरे का अर्थ
धोबी के पास अगर कोई कुत्ता होता है तो उसे धोबी का कुत्ता ही कहा जाएगा । मगर यहां पर यह मुहावरा है जिसका एक अलग ही मतलब होता है और आज हम इस लेख में धोबी का कुत्ता मुहावरे के अर्थ और इसके वाक्य में प्रयोग के बारे में अच्छी तरह से जान लेगे तो टेंसन लेने की जरूरत नही है ।
धोबी का कुत्ता घर का न घाट का मुहावरे का अर्थ क्या होगा
मुहावरा हिंदी में (idiom in Hindi) | मतलब या अर्थ (Meaning in Hindi) |
धोबी का कुत्ता घर का न घाट का | कहीं का भी न रहना |
धोबी का कुत्ता न घर का न घाट का मुहावरे के अर्थ को समझने का प्रयास करे
वैसे धोबी के पास कुत्ता नही होता है। मगर फिर भी ऐसा क्यो कहा जाता है तो आपको बता दे की यह जो कुत्ता है वह असल में कुतका होता है । जो की डंडे से बना हुआ एक तरह का बल्ला होता है । और इसे जोर जोर से कपड़ो पर मारा जाता है जिसके कारण से कपड़े जो होते है वह अच्छी तरह से साफ हो जाते है । और आपने इसका उपयोग करते हुए अनेक विडियो और असल जीवन में देखा होगा ।
आपको बता दे की धोबी का कुत्ता न घर का न घाटका का मतलब होता है कही का न होना । और इसके पीछे का जो अर्थ होता है वह इसी मुहावरे में छीपा हुआ है ।
दरसल इस बल्ले को आज हम अपने घर में रख सकते है मगर जब कपड़े धोने के लिए बार बार धोबी घाट जाना होता है तो इसे बार बार लेकर जाना होता है और वापस लेकर आना होता है । तो इससे अच्छा होगा की इसे धोबी घाट पर ही रख दे ।
![धोबी का कुत्ता घर का न घाट का का अर्थ और वाक्य में प्रयोग](https://hindimuhavare.com/wp-content/uploads/2023/03/धोबी-का-कुत्ता-घर-का-न-घाट-का-1024x680.jpg)
मगर नही ऐसा हो नही सकता है क्योकी वहां पर एक धोबी तो होता नही है बल्की अनेक सारे धोबी होते है और अनेक सारो के पास यह बल्ला या कुत्ता होता है । जो की आपस में मिल जाने के कारण से अपना कुत्ता पहचान में नही आता है ।
इस कारण से इसे धोबी घाट से कुछ दूरी पर पत्थरो के निचे या फिर किसी पड़ के पीछे छीपा दिया जाता था और इस तरह से यह कुत्ता न तो धोबी घाट पर रहता है और न ही धोबी के घर में रहता है तो इस तरह से यह कही का नही रहता है । अत आप समझ सकते है की धोबी का कुत्ता न घर का न घाट का मुहावरे का अर्थ कही का न होना होता है ।
धोबी का कुत्ता न घर का न घाट का मुहावरे का वाक्य में प्रयोग
1. वाक्य में प्रयोग – महेश प्राइवेट नोकरी करने के लिए शहर जाकर रहने लगा ही था की उसकी नोकरी चली गई अब महेश की हालत ऐसी हो गई की सभी कहने लगे धोबी का कुत्ता न घर का न घाट का ।
2. वाक्य में प्रयोग – महेश सुंदर कन्या के चक्कर में बार बार रिश्ता ठुकराता रहा मगर अंत में यह हालत हो गई की उसके लिए रिश्ता नही आ रहा था सच है धोबी का कुत्ता न घर का न घाट का ।
3. वाक्य में प्रयोग – कंचन को NDTV में काम करने के ज्यादा पैसे मिल रहे थे जिसके कारण से उसेन News 24 का काम छोड़ दिया मगर जब NDTV में पहुंची तो उसे पता चला की वह का मतो किसी और को मिल गया यह तो वही हुआ धोबी का कुत्ता न घर का न घाटका ।
4. वाक्य में प्रयोग – सुरज Zee News में काम करता था और वह Aaj Tak में काम करने के लिए Zee News से काम छोड़ना चाहता था तब मैंने उसे कहा की पहले भाई Aaj Tak में अपना काम तो पुख्ता कर लो वरना वही होगा धोबी का कुत्ता न घर का न घाटका ।
कुत्ता के साथ हुआ, धोबी का कुत्ता न घर का न घाट का वाली बात, एक मजेदार कहानी
बहुत समय पहले की बात है एक धोबी हुआ करता था । जो की आस पास के लोगो के कपड़े धोता और इसी से उसका जीवन चलता था । उसे एक दिन एक कुत्ता मिला और धोबी को वह कुत्ता काफी अधिक पसंद आया था जिसके कारण से धोबी ने उस कुत्ते को अपने घर लेकर चला गया ।
वह कुत्ता बहुत ही चंचल और खुशमिज़ाज था। धोबी को उसकी मस्ती और खुशी देखकर बड़ी खुशी हुई। धोबी कुत्ते को गांव में भी ले जाता था जहाँ उसे खेलने के लिए अन्य कुत्तों से मिलने का मौका मिलता था। और धोबी यह सब देख कर काफी खुश होता था ।
धोबी की यह आदत कुछ लोगों को पसंद नहीं आई थी, जिन्हें उसकी घर पर लाने से बहुत तकलीफ होती थी। कुछ लोग इस बात से परेशान थे कि उन्हें धोबी के घर से उसके कुत्ते की भौंकन से तंग कर दिया जाता था। क्योकी धोबी का कुत्ता जब भी किसी को देखता तो उसे भौकने लग जाता था ।
एक दिन, धोबी के कुत्ते ने एक नई गतिमान पायी, जिसमें वह घर के बाहर निकल गया और किसी भी दिशा में नहीं जाया। लोग उसे देखकर विस्मित हो गए और सोचने लगे कि क्या वह कुत्ता अब न तो धोबी का था और न ही किसी अन्य घर का। क्योकी उसका मालिक उसके पास नही था ।
फिर एक आदमी ने उसे बुलाकर पूछा, “तुम कहाँ जा रहे हो?”
कुत्ता नहीं बोला लेकिन उसके पास धोबी का कपड़ा था। आदमी ने इसे देखकर समझ क्योकी उसका मालिक उसके पास नही था और कुत्ते के गल में किसी तरह का पट्टा न था ।
आदमी ने कहा, “तुम धोबी के कुत्ते हो, जो घर के अंदर भी नहीं जाते और न ही घाट पर जाते हैं।”
इस बात को सुनकर कुत्ता उसके पास आया और उससे कहा, “यह सब सही है, मैं धोबी के कुत्ते हूँ, लेकिन मुझे पता नहीं कि मैं इस तरह क्यों हूँ।” क्यो में घर नही जाता हूं और क्यो में धोबी के साथ घाट पर नही जाता हूं । लगता है की मैं तो धोबी का कुतका न घर कान घाट का की तरह हूं ।
फिर कुत्ते ने उस आदमी को बताया, “धोबी मुझे बहुत प्यार करता है और मुझे अपने साथ सभी जगह ले जाता है, लेकिन जब वह अपने काम में लग जाता है, तब वह मुझे यहाँ छोड़ देता है। मुझे फिर वहीं खड़े होकर उसकी वापसी का इंतजार करना पड़ता है।”
![कुत्ता के साथ हुआ, धोबी का कुत्ता न घर का न घाट का वाली बात, एक मजेदार कहानी](https://hindimuhavare.com/wp-content/uploads/2023/03/कुत्ता-के-साथ-हुआ-धोबी-का-कुत्ता-न-घर-का-न-घाट-का-वाली-बात-एक-मजेदार-कहानी.jpg)
आदमी ने उसकी बात समझी और कहा, “तुम बहुत भले और उदार कुत्ते हो, जो अपने मालिक को इतना वफादारी से सेवा करते हो।” और कुत्ते से कहा की जब तुम्हारा मालिक घा में जाता है तब तुम धोबी का कुत्ता न घर का न घाट का बन जाते हो ।
धोबी के कुत्ते ने उसे धन्यवाद दिया और उससे कहा, “मैं अपने मालिक का वफादार हूँ और मैं हमेशा उसके साथ रहूँगा, चाहे वह मुझे कहीं भी छोड़ दे।”
इस कहानी से हमें यह सीख मिलती है कि जीवन में वफादारी और सेवा करने की भावना बहुत महत्वपूर्ण होती है । इस तरह से कुत्ता घर में और घाट में न होकर भी वफादारी का पात्र बना हुआ था ।
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