ईद का चांद होना मुहावरे का अर्थ और इसका वाक्य में प्रयोग करे

ईद का चांद होना मुहावरे का अर्थ , eid ka chand hona muhavare ka arth aur vakya me prayog

‌‌‌वैसे यह जो ईद का चांद होना मुहावरा है वह अधिकतर मुश्लिम धर्म के लोगो के लिए सही होता है । क्योकी मुश्मिल धर्म के लोगो के लिए ही ईंद मनाई जाती है और ईंद का यहां पर प्रयोग हो रहा तो यह मुश्मिल धर्म से जुड़ा मुहावरा है । मगर दोस्तो आपको यह तो नही बताने की जरूरत होगी की यह प्रसिद्ध मुहावरा ‌‌‌है । तो आपको इस मुहावरे के अर्थ और इसके वाक्य में प्रयोग के बारे मे जानकारी होनी जरूरी है । तो आइए जानते है –

ईद का चांद होना मुहावरे का अर्थ क्या होता है –

‌‌‌मुहावरा (idiom in Hindi)‌‌‌अर्थ ‌‌‌या मतलब (Meaning in Hindi)
ईद का चांद होनाबहुत दिनो बाद दिखाई देना । 

ईद का चांद होना मुहावरे को समझने का प्रयास करे

आपको पता है की ईंद कब आती है यानि वर्ष में एक बार ईंद आती है । जैसे की इस वर्ष 21 अप्रेल की बातई जा रही है । तो अगले वर्ष भी लगभग 9 अप्रेल के आस पास ईंद आती है । इसी तरह से ईंद के आने का समय एक वर्ष के बाद होता है और यह निर्धारित नही होता है । की इस ‌‌‌वर्ष 21 अप्रेल की ईंद है तो अगले वर्ष भी 21 अप्रेल की ईद है । नही ऐसा नही होता है । यह समय अलग अलग होता है । मगर यह बहुत दिनो के बाद में आ रही है और यही कारण है की इस मुहावरे का अर्थ बहुत दिनो के बाद में दिखाई देना होता है ।

ईद का चांद होना मुहावरे का अर्थ और इसका वाक्य में प्रयोग करे

ईद का चांद होना मुहावरे का वाक्य में प्रयोग किजिए

‌‌‌ वाक्य में प्रयोग – अरे शर्मा जी आपका बेटा नोकरी क्या लग गया आप तो ईंद के चांद हो गए ।

‌‌‌ वाक्य में प्रयोग – जब से राहुल नोकरी लगा है वह तो ईंद का चांद हो चुका है ।

‌‌‌ वाक्य में प्रयोग – आरिफ जी आज कल क्या करते हो पूरे ही ईंद के चांद हो चुके हो ।

‌‌‌ वाक्य में प्रयोग – जब से बेटे का विवाह हुआ है तब से आप तो दिखाई ही नही दे रहे हो लगता है की ईंद का चांद हो चुके हो ।

‌‌‌आखिर क्यो आरिफ को ‌‌‌ईंद का चांद होना पड़ा

पुराने समय की बात है जब राजाओं का जमाना हुआ करता था, एक राजा हुआ करता था जो बहुत अच्छे से न्याय करता था। वे दिन थे जब लोग उसके शासन में सुरक्षित महसूस करते थे। लेकिन वे दिन अब लद गए हैं, और हम एक ऐसे समाज में रहते हैं जहां अक्सर शक्तिशाली के लिए न्याय को रोक दिया जाता है। यह कुछ ऐसा है जिसके बारे में बात करने से बहुत से लोग डरते हैं, लेकिन यह कुछ ऐसा है जिसे बदलने की जरूरत है। लोगों को खड़े होने और न्याय की मांग करने की जरूरत है, क्योंकि अगर वे ऐसा नहीं करते हैं तो शक्तिशाली अपने अपराधों से बच निकलते रहेंगे।

‌‌‌मगर उस समय ऐसा नही था । राजा जो था वह अपराधी को सजा देता था और किसी निरअपराधी को सजा नही देता था । मगर एक बार जिसने अपराध नही किया था उसे भी राजा सजा देने को तैयार हो गए थे । दरसल बात कुछ इस तरह से है –

आरिफ नामक एक लड़का हुआ करता था ।

आरिफ का जन्म एक शहर में एक गरीब परिवार में हुआ था। लेकिन वह ज्यादातर लोगों की तुलना में ज्यादा चालाक था और उसने इसका फायदा उठाया। उन्होंने कम उम्र में सीखना शुरू किया और जल्द ही गणित और विज्ञान में बहुत अच्छे हो गए। उन्हें इतिहास से भी प्यार था, इसलिए उन्होंने अतीत के बारे में सब कुछ सीखा। ‌‌‌मगर उस समय आरिफ के जीतना ज्ञानी होने के बाद भी वह आगे नही बढ सका था । और यह कारण उस समय की प्रजा का था क्योकी लोग कही दूर जाकर काम नही करते थे । तो आफिर अपने ही गाव में रह कर खेती करने लगा था ।

‌‌‌एक दिन उस नगर में राजा के मंत्री के यहां बड़ी चोरी हो गई और लोगों ने वहां आरिफ को देखा। ‌‌‌सेनिको ने आरिफ को हिरासत में लिया और पूछताछ की, लेकिन उसे अपराध के बारे में कुछ भी याद नहीं आया। अगले दिन उसी शहर में एक और चोरी हुई और लोगों ने फिर आरिफ को देखा। ‌‌‌सेनिको ने उनसे पॉलीग्राफ टेस्ट कराने को कहा, लेकिन उन्होंने मना कर दिया। अंत में, उन्होंने उसे चोरी के लिए गिरफ्तार कर लिया और उसने उन्हें कबूल कर लिया।‌‌‌ मगर आफिर चोर नही था तो उसने राजा के सेनिको से छुटकारा पा कर भाग निकला । अब आफिर किसी को नजर नही आ रहा था ।

ईद का चांद होना मुहावरे का अर्थ और इसका वाक्य में प्रयोग करे

एक साल बीत गया लेकिन आरिफ किसी की नजर में नहीं आया, वह सबसे छुपाता रहा। तभी राजा साहब के सिपाहियों ने असली चोर को पकड़ लिया जिसका नाम सुल्तान था। सुल्तान ने कबूल किया कि उसने ‌‌‌मंत्री के गहने चुराए क्योंकि उसे अपने जुए के कर्ज को चुकाने के लिए पैसे की जरूरत थी। राजा साहब सुल्तान से इतने प्रसन्न हुए कि उन्होंने उसे अपने ‌‌‌कारागार में डाल दिया और चोरी करने की सजा दी । अब राज्य के लोगो में यह घोषणा कर दी की चोर पकड़ा गया है और आफिर चोर नही है । तो वह जहां पर भी हो आ जाए ।

‌‌‌राजा की घोषणा सुन कर आफिर एक साल बात बाहर निकला तब वह स्वयं ही राजा के पास चला गया और स्वयं के चोर न होने को कहा । ‌‌‌तब राजा ने आफिर से कहा की तुम तो ईंद के चांद ही हो गए थे । तब आफिर ने कहा की महाराज यह जुर्म से बचने के लिए था क्योकी मैंने कोई जुर्म नही किया था  । राजा प्रशन्न हुए और आरिफ को सेनिक बना दिया गया ।

‌‌‌इस तरह से फिर आफिर राजा के यहां पर सेनिक की नोकरी करने लगा था । मगर अब आफिर को जो भी मिलता एक ही बात कहता की अरे आप तो ईंद के चांद हो गए थे । मगर आखिर में आफिर यही कहता की बेवजह गुनेहगार बनने से अच्छा है की फरार हो जाए । क्योकी मैंने किसी तरह का जुर्म नही किया था ।

इस तरह से आफिर को ‌‌‌ईंद का चांद होना पड़ा था ।

—————-हिंदी मुहावरो की दुनिया के प्रसिद्ध मुहावरे——————-

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